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पंडितों को बिना सुरक्षा कश्मीर घाटी लौटने के लिए विवश न करे सरकार: Rahul Gandhi

Congress MP Rahul Gandhi has written to PM Modi on Kashmiri Pandits : कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है. पत्र में उन्होंने अपनी भारत जोड़ो यात्रा के दौरान कश्मीरी पंडितों से हुई मुलाकातों का जिक्र किया है. पत्र में उन्होंने लिखा है कि सरकार को कश्मीरी पंडितों को वापस घाटी में लौटने के लिए बाध्य...

Updated on: 03 Feb 2023, 10:14 PM

highlights

  • राहुल गांधी ने पीएम मोदी को लिखा पत्र
  • कश्मीरी पंडितों की सुरक्षा को लेकर जताई चिंता
  • कश्मीरी पंडितों को घाटी में लौटने के लिए विवश करना निर्दयी कदम

नई दिल्ली:

Congress MP Rahul Gandhi has written to PM Modi on Kashmiri Pandits : कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ( Rahul Gandhi ) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ( Narendra Modi ) को पत्र लिखा है. पत्र में उन्होंने अपनी भारत जोड़ो यात्रा के दौरान कश्मीरी पंडितों से हुई मुलाकातों का जिक्र किया है. पत्र में उन्होंने लिखा है कि सरकार को कश्मीरी पंडितों को वापस घाटी में लौटने के लिए बाध्य करना निर्दयी कदम है. उन्होंने कहा कि कश्मीरी पंडितों को टारगेटेड किलिंग का शिकार बनाया जा रहा है, इसलिए सरकार पहले उनकी सुरक्षा की व्यवस्था करे. इसके बाद ही कोई कदम उठाए.

कश्मीरी पंडितों से अपनी मुलाकात का किया जिक्र

राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में अपनी भारत जोड़ो यात्रा के कश्मीर पहुंचने और वहां कश्मीरी पंडितों के प्रतिनिधिनिमंडल से मुलाकात का जिक्र किया है. राहुल गांधी ने पत्र में लिखा है कि घाटी में इस समय डर और निराशा का माहौल है. राज्य प्रशासन कश्मीरी पंडितों की सुरक्षा की व्यवस्था किये बगैर उन्हें घाटी में लौटने को विवश कर रही है. जोकि निर्दयी कदम है. 

पढ़ें-राहुल गांधी का पत्र: 

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माहौल सुधरने तक दिया जाए दूसरा काम

राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा है कि कश्मीरी पंडितों में इस समय डर है. उन्हें उस समय तक, जबतक घाटी में सुरक्षा व्यवस्था सुधर नहीं जाती, तब तक प्रशासनिक कामों में लगाया जाना चाहिए. ताकि उन्हें आतंकी अपना शिकार न बना सकें. राहुल गांधी ने जम्मू-कश्मीर के उप राज्यपाल मनोज सिन्हा पर भी निशाना साधा है. उन्होंने मनोज सिन्हा द्वारा 'भिखारी' शब्द के इस्तेमाल पर निशाना साधते हुए लिखा है कि जब समय कश्मीरी पंडितों को सरकार से हमदर्दी और अपनेपन की उम्मीद है, उस समय ऐसी भाषा और शब्दों का प्रयोग बेहद गैर-जिम्मेदाराना है.