सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बीजेपी ने AAP पर किया वार, कहा- दिल्लीवासियों के 4 साल किए बर्बाद
बीजेपी की दिल्ली इकाई ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि इस फैसले से दिल्ली सरकार की शक्तियों को लेकर मौजूद संशय हट गया हैं.
नई दिल्ली:
बीजेपी की दिल्ली इकाई ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि इस फैसले से दिल्ली सरकार की शक्तियों को लेकर मौजूद संशय हट गया हैं. दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता ने कहा, 'भ्रम या विवाद के लिये अब कोई जगह नहीं होनी चाहिए और आप सरकार को विनम्रतापूर्वक सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को स्वीकार कर लेना चाहिए.' उन्होंने ट्विटर पर लिखा, 'दिल्ली सरकार की शक्तियों को लेकर मौजूद संशय को हटाने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हम स्वागत करते हैं. इस फैसले के बाद भ्रम या विवाद के लिये कोई जगह नहीं रहनी चाहिए. दिल्ली सरकार को विनम्रतापूर्वक इसे स्वीकार कर लेना चाहिए और राजधानी पर उसी तरह से शासन करना चाहिए जैसा कि उनके सत्ता में आने से पहले होता था.'
We welcome the Supreme Court decision removing ambiguities in the powers of the Delhi govt. After this verdict there shouldn’t be any scope for confusion or conflict. The Delhi govt shpuld humbly accept it & govern the capital as it was being done before they had come to power.
— Vijender Gupta (@Gupta_vijender) February 14, 2019
वहीं प्रदेश बीजेपी ने इस मुद्दे पर अरविंद केजरीवाल पर दिल्लीवासियों के चार साल बर्बाद करने के आरोप लगाए हैं.
ख़ुद को दिल्ली का मालिक साबित करने के चक्कर में दिल्लीवासियों के 4 साल बर्बाद करने वाले मुख्यमंत्री केजरीवाल जी, क्या अब आप काम करेंगे या फिर से काम चोरी का कोई नया बहाना ढूँढेंगे ? #4SaalFailKejriwal pic.twitter.com/CiRkZS7PvM
— BJP Delhi (@BJP4Delhi) February 14, 2019
बता दें कि कोर्ट ने आज राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में सेवाओं के नियंत्रण से जुड़े विवादास्पद मुद्दे पर खंडित फैसला दिया और मामला वृहद पीठ को भेज दिया. सेवाओं के नियंत्रण को लेकर दिल्ली सरकार और केंद्र के बीच खींचतान अक्सर होती है.
ये भी पढ़ें: सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर AAP ने सनी देओल के इस डायलॅाग से किया गुस्सा जाहिर
न्यायमूर्ति ए. के. सीकरी और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की दो सदस्यीय पीठ हालांकि भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी), जांच आयोग गठित करने, बिजली बोर्डों पर नियंत्रण, भूमि राजस्व मामलों और सरकारी वकीलों की नियुक्ति से संबंधित विवादों पर उनके विचारों से सहमत दिखी.
शीर्ष अदालत ने केंद्र की अधिसूचना का भी समर्थन किया कि उसके कर्मचारियों पर भ्रष्टाचार के मामलों में दिल्ली सरकार की एसीबी जांच नहीं कर सकती है.
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