ट्रिपल तलाक़ के ज़रिए बीजेपी मुस्लिम वोट बैंक में लगाना चाहती है सेंध!
मुस्लिम समाज में महिलाओं और पुरुषों के बीच तलाक़ मुद्दों को लेकर मतभेद है।
नई दिल्ली:
ट्रिपल तलाक के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने ये कहते हुए फैसला सुरक्षित रखा है कि ये मामला अल्पसंख्यक या बहुसंख्यक का नहीं है बल्कि ये महिलाओं के हित की लड़ाई है। वहीं सरकार भी ट्रिपल तलाक को लेकर काफी गंभीर दिखाई दे रही है।
शनिवार को केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू ने कहा कि अगर मुस्लिम समुदाय ट्रिपल तलाक को बदलने में विफल रहता है तो सरकार कानून बनाकर इसे खत्म कर देगी।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में चली सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार का पक्ष रखते हुए अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा था कि अगर कोर्ट ट्रिपल तलाक की प्रथा को खत्म करता है तो केंद्र सरकार इस मामले में कानून लाएगा।
सवाल ये उठता है कि आख़िर सरकार ट्रिपल तलाक को लेकर इतनी तत्परता क्यों दिखा रही है।
ज़ाहिर है बीजेपी को लेकर हमेशा से मुसलमानों के बीच एक डर का माहौल रहा है। लेकिन यूपी चुनाव में मुस्लिम महिलाओं ने बीजेपी को वोट किया।
मुस्लिम समाज में महिलाओं और पुरुषों के बीच तलाक़ मुद्दों को लेकर मतभेद है। बीजेपी भी इस बात को अच्छी तरह समझती है। यही वजह है कि यूपी विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 'तीन तलाक' के विवादित मुद्दे को उठाकर मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश की।
24 अक्तूबर को उत्तर प्रदेश के महोबा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहली बार इस मुद्दे को उठाते हुए कहा था कि तीन तलाक को लेकर राजनीति नहीं की जानी चाहिए।
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लेकिन क्या वाकई ट्रिपल तलाक के मुद्दे पर राजनीति नहीं हो रही ?
बीजेपी अबतक सभी क्षेत्रीय पार्टियों के वोट बैंक में सेंध लगा चुकी है। लेकिन मुस्लिम समुदाय का वोट पाना अब तक उसके लिए टेढ़ी खीर साबित हुई है।
साल 2011 में हुई जनगणना के मुताबिक़ भारत में मुस्लिमों की आबादी 17.22 करोड़ है। विपक्षी खेमे में ज़्यादातर पार्टी की राजनीति इसी समुदाय के भरोसे चलती रही है। ऐसे में अगर मुस्लिम समुदाय की महिलाओं का वो़ट बीजेपी को मिलता है तो आगे की राजनीति उनके लिए और भी आसान हो सकती है।
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ट्रिपल तलाक़ एक ऐसा मामला है जिसपर अब तक राजनीति की वजह से सुधार की कोई कोशिश नहीं हुई। बीजेपी के पास मौका है कि वो ट्रिपल तलाक पर ठोस निर्णय लेकर मुस्लिम महिलाओं का दिल जीत सके।
वहीं लंबे समय से ट्रिपल तलाक़ को लेकर शोषण झेल रही मुस्लिम महिलाएं भी शायद समझती है कि अगर अब इस मुद्दे को लेकर कोई हल नहीं निकला तो आगे की राह आसान नहीं होगी।
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