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अशोक गहलोत या कैप्‍टन अमरिंदर सिंह या फिर पर्दे के पीछे से कोई और, कौन हो सकता है अगला कांग्रेस अध्‍यक्ष

पार्टी सूत्रों के अनुसार, दो नाम चर्चाओं में हैं- राजस्‍थान के मुख्‍यमंत्री अशोक गहलोत और पंजाब के सीएम कैप्‍टन अमरिंदर सिंह.

Updated on: 27 Jun 2019, 05:28 PM

highlights

  • पर्दे के पीछे से भी कोई चेहरा आ सकता है सामने
  • पार्टी पर वर्चस्‍व खत्‍म होने का खतरा मोल नहीं लेगा गांधी परिवार 
  • अध्‍यक्ष पद पर बदलाव सिर्फ विरोधियों की धार को कुंद करना 

नई दिल्‍ली:

लोकसभा चुनाव 2019 (Lok sabha Elections 2019) में कांग्रेस की हार की जिम्‍मेदारी लेकर अध्‍यक्ष पद से इस्‍तीफा देने वाले राहुल गांधी (Rahul Gandhi) अपने फैसले पर अडिग हैं. उनका मानना है कि पार्टी का अध्‍यक्ष अब गांधी परिवार से न हो. कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में राहुल गांधी ने अपने परिवार को इसमें न घसीटने की बात कही थी. इस तरह प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) के अध्‍यक्ष पद संभालने का भी रास्‍ता बंद हो गया लगता है. शायद राहुल गांधी अब विराधियों को और अधिक मौका नहीं देना चाहते. 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव के अलावा विधानसभा चुनावों में भी बीजेपी और पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) कांग्रेस को प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बताकर घेरते रहे हैं. अब सवाल यह है कि कांग्रेस का अगला अध्‍यक्ष कौन होगा. पार्टी सूत्रों के अनुसार, दो नाम चर्चाओं में हैं- राजस्‍थान के मुख्‍यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) और पंजाब के सीएम कैप्‍टन अमरिंदर सिंह (Captain Amrinder Singh).

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गहलोत और कैप्‍टन में से कौन कितना मुफीद
राजस्‍थान के मुख्‍यमंत्री अशोक गहलोत और पंजाब के सीएम कैप्‍टन अमरिंदर सिंह में से कांग्रेस और खासकर गांधी परिवार के लिए कौन ज्‍यादा मुफीद रहेगा, इसे लेकर तमाम तरह की बातें कही जा रही हैं. राजनीतिक जानकारों और पार्टी के अंदरूनी सूत्रों की मानें तो कैप्‍टन अमरिंदर सिंह का तेवर गांधी परिवार को नहीं भा सकेगा. उनका काम करने का अलग अंदाज है. चुनावों में भी उनके बारे में कहा जाता है कि वे अपने राज्‍य में आलाकमान की दखल बर्दाश्‍त नहीं करते हैं. पंजाब में कैप्‍टन और नवजोत सिंह सिद्धू की आपसी तनातनी से आलाकमान वैसे भी परेशान है. हालांकि अगर कैप्‍टन पार्टी अध्‍यक्ष बनते हैं तो नवजोत सिंह सिद्धू पंजाब के मुख्‍यमंत्री के तौर पर गांधी परिवार की पहली पसंद हो सकते हैं. इसी का दूसरा पहलू यह है कि जब आलाकमानी ही नहीं रहेगी तो गांधी परिवार नवजोत सिंह सिद्धू की ताजपोशी कैसे करा पाएगा.

दूसरी ओर, अशोक गहलोत की बात करें तो उनकी सौम्‍य, शालीन और किसान परिवार की छवि के अलावा संगठनात्‍मक अनुभव उन्‍हें इस कुर्सी के योग्‍य बनाता है. वहीं अशोक गहलोत के पार्टी अध्‍यक्ष बनने से राजस्‍थान में सचिन पायलट से उनका टकराव खत्‍म हो सकता है और पार्टी को हो रहे नुकसान से बचा सकता है. अशोक गहलोत की सबसे बड़ी काबिलियत यह है कि वे राहुल गांधी के बहुत खास हैं. राहुल गांधी ने राजस्‍थान विधानसभा चुनाव से पहले उन्‍हें संगठन महासचिव का खास दायित्‍व दे रखा था. वे सोनिया और प्रियंका गांधी के भी करीब हैं. इस लिहाज से भी उनका पलड़ा भारी है.

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पर्दे के पीछे से आ सकता है कोई और चेहरा
हालांकि कुछ राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो अशोक गहलोत और कैप्‍टन अमरिंदर सिंह के बदले कांग्रेस अध्‍यक्ष पद के लिए कोई और चेहरा सामने आ सकता है. गांधी परिवार का यह स्‍टाइल रहा है. खासकर सोनिया गांधी की. मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री बनवाकर सोनिया गांधी ने सभी को चौंका दिया था. माना जा रहा है कि इस बार भी अगर गांधी परिवार से अलग किसी को अध्‍यक्ष बनाया गया तो पर्दे के पीछे से कोई और चेहरा सामने आ सकता है. गांधी परिवार की कोशिश यही होगी कि अध्‍यक्ष ऐसा व्‍यक्‍ति हो, जिसके रहते उनकी मनमर्जी चलती रहे. अपना हुक्‍म चलाने वाला शायद ही इस पद तक पहुंच सके.

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चेहरा बदलना मकसद, चरित्र नहीं
राहुल गांधी द्वारा इस्‍तीफा वापस लेने से इनकार करने के बाद पार्टी नए अध्‍यक्ष की तलाश में जुट गई होगी. नामों पर मंथन भी हो रहा होगा, लेकिन अभी सामने कुछ नहीं आ रहा है. कांग्रेस विरोधी दलों की धार को कुंद करने के लिए अध्‍यक्ष पद बदलेगी. वह ऐसा कोई काम नहीं करेगी, जिससे पार्टी पर परिवार का वर्चस्‍व कम हो.