अध्यात्म पर बातें करने वाला बलात्कारी बना आसाराम, अब काट रहा है उम्रकैद की सजा
आसाराम ने एक नाबालिग लड़की का जोधपुर के निकट मनाई आश्रम में यौन शोषण किया था. इस नाबालिग के यौन शोषण के आरोप के बाद 31 अगस्त 2013 को आसाराम को मध्य प्रदेश के इंदौर से गिरफ्तार कर लिया गया.
highlights
- असुमल से बलात्कारी बना आसाराम
- नाबालिग से रेप में हुई उम्र कैद की सजा
- जेल में बिगड़ी तबीयत अस्पताल में भर्ती
नई दिल्ली:
अपने आपको धर्मगुरु कहने वाला आसाराम साल 2013 में एक नाबालिग से रेप के आरोप में गिरफ्तार किया गया. आसाराम ने एक नाबालिग लड़की का जोधपुर के निकट मनाई आश्रम में यौन शोषण किया था. इस नाबालिग के यौन शोषण के आरोप के बाद 31 अगस्त 2013 को आसाराम को मध्य प्रदेश के इंदौर से गिरफ्तार कर लिया गया. गिरफ्तारी के बाद आसाराम पर पोस्को, जुवेनाइनल जस्टिस एक्ट, रेप, आपराधिक षडयंत्र और दूसरे कई मामलों के तहत केस दर्ज किए गए और आसाराम को नाबालिग के साथ यौन शोषण का अपराधी पाया गया जिसके बाद कोर्ट ने आसाराम को पोक्सो कानून के तहत आजीवन कारावास और एक लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई.
आसाराम के खिलाफ नाबालिग से रेप के मुकदमे में दायर पुलिस की चार्जशीट में यही लिखा गया है कि आसाराम ने 15 अगस्त की शाम 16 वर्षीय पीड़िता को इलाज करने के बहाने से अपनी कुटिया में बुलाया और वहां पर उसका बलात्कार किया. इसी मामले में अदालत ने आसाराम को दोषी करार दिया है.
असुमल से बना आसाराम
आसाराम का जन्म अप्रैल 1941 में पाकिस्तान के सिंध इलाके के बेरानी गांव में हुआ था. इसके बचपन का नाम असुमल हरपलानी था. आसाराम एक सिंधी व्यापारी परिवार से था जो कि आजादी के बाद भारत-पाकिस्तान बंटवारे में भारत आ गया. असुमल का परिवार गुजरात के अहमदाबाद में आकर रहने लगा था. साठ के दशक में असुमल ने लालाशाह नाम के बाबा को अपना अध्यात्मिक गुरू माना जिसने असुमल का नाम आसाराम रखा. साल 1972 में आसाराम ने अहमदाबाद के मोटेरा कस्बे अपनी पहली कुटिया बनाई थी. आसाराम की ये कुटिया साबरमती नदी के किनारे बनी थी.
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आसाराम ने ऐसे फैलाया अपना साम्राज्य
अहमदाबाद के मोटेरा आश्रम से शुरू होती है आसाराम के धर्मगुरु बनने की कहानी. यहीं से शुरू होकर आसाराम का आध्यात्मिक प्रोजेक्ट धीरे- धीरे गुजरात के अन्य शहरों से होता हुआ देश के अलग-अलग राज्यों में के छोटे-छोटे शहरों तक जा पहुंचा. आसाराम ने शुरुआत में गुजरात के ग्रामीण इलाकों में अपना प्रभुत्व बनाया. ग्रामीण इलाकों से आने वाले गरीब, पिछड़े और आदिवासी समूहों को आसाराम ने अपने लुभावने प्रवचनों, देसी दवाइयों और भजन कीर्तनों की मदद से अपना प्रभाव बनाया. आसाराम के प्रवचनों की पहुंच धीरे-धीरे राज्यों के शहरी और मध्यमवर्गीय परिवारों तक भी पहुंचना शुरू हो चुकी थी.
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प्रसाद के नाम पर मुफ्त भोजन से बढ़ते रहे अनुयायी
आसाराम ने शुरुआती सालों में अपने अनुयायियों की संख्या बढ़ाने के लिए लिए एक नया फंडा अपनाया. उसने प्रवचनों के खत्म होने के बाद प्रसाद के नाम पर मुफ्त भोजन गरीबों को दिया. इस वजह से उसके अनुयायियों में दिन दूना रात चौगुना बढ़ोत्तरी हुई. कहते हैं कि भीड़ ही लोगों को अपनी ओर खींचती है ठीक ऐसा ही हमें आसाराम के धर्मगुरू बनने की कहानी में भी दिखाई दिया. गरीबों की इस भीड़ को देखकर मध्यवर्ग विचलित हुआ और बाबा के प्रवचनों को सुनने के लिए पहुंचना शुरू किया.
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देखती ही देखते अनुयायियों की संख्या चार करोड़ तक जा पहुंची
आसाराम ने अपने प्रवचन के शुरुआती सालों में प्रसाद के नाम पर मुफ्त भोजन वितरित किया जिससे कि उसके आश्रम में भक्तों की संख्या तेजी से बढ़ने लगी. जिस नाबालिग से रेप के दोष में आसाराम सजा काट रहा है उसी के पिता ने अपने खर्चे पर शाहजहांपुर में आसाराम का आश्रम बनवाया था. ऐसे ही अब आसाराम के कई शिष्य बन गए जो उसपर मोटा पैसा खर्च करने को तैयार थे. पीडिता के पिता ने 'संस्कारवान शिक्षा' की उम्मीद में उन्होंने अपने दो बच्चों को आसाराम के छिंदवाडा स्थित गुरुकुल में पढ़ने के लिए भेजा था.
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ऐसे बढ़ा आसाराम का राजनीति कद
एक सामाजिक कार्यकर्ता मनीषी जानी ने मीडिया से बातचीत में बताया था कि आसाराम को एक तरह का राजनीतिक संरक्षण भी प्राप्त है. उन्होंने बताया कि आसाराम के गिरफ्तार किए जाने के बाद उसका मामला विधानसभा तक जा पहुंचा था. आसाराम का विवाद इतना बढ़ गया था कि उसकी गिरफ्तारी पर विधानसभा में जमकर हंगामा हुआ. आपको बता दें कि गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी भी आसाराम के आश्रम में समय-समय पर जाते रहते थे. अपना ये कद देखकर आसाराम को ऐसा लगने लगा था कि अब कानून भी उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकता था, लेकिन ये उसकी सबसे बड़ी गलतफहमी थी क्योंकि कोई भी कानून से बढ़कर नहीं है.
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आसाराम पर गवाहों की हत्या के भी आरोप हैं
आसाराम पर अपने खिलाफ गवाहों की हत्या के आरोप भी लगे हैं. सूरत की निवासी दो बहनें जिन्होंने आसाराम और उसके बेटे नारायण सांई पर बलात्कार करने का आरोप लगाया है उनमें से एक के पति जो कि इस मामले का गवाह था उसपर 28 फरवरी 2014 की सुबह सूरत शहर में ही जानलेवा हमला हुआ. इस हमले के अगले 15 दिनों तक ये मामला गर्म रहा जिसमें शक की सुईयां आसाराम और उसक बेटे पर ही जाती है. वहीं एक और मामला था जब आसाराम का कैमरामैन भी जिसका नाम राकेश पटेल है वो भी उसके खिलाफ गवाही के लिए तैयार था उसके ऊपर भी जानलेवा हमला हुआ. इसके कुछ ही दिनों के बाद एक और गवाह जिसका नाम दिनेश भगनानी था उसके ऊपर भी सूरत की एक मार्केट में तेजाब से हमला किया गया.
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