logo-image

अयोध्या के साथ देश के इस राज्य में किया गया राम मंदिर का उद्घाटन, 7 साल में बनकर हुआ तैयार

Ram Mandir: अयोध्या से करीब 1000 किलोमीटर दूर एक और राम मंदिर का उद्घाटन किया गया. इस भव्य राम मंदिर को बनाने में सात साल का वक्त लगा है.

Updated on: 22 Jan 2024, 09:04 PM

नई दिल्ली:

Ram Mandir: अयोध्या में बनाए गए भव्य राम मंदिर में 22 जनवरी 2024 को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हो गई. इसके साथ ही अयोध्या से करीब 1000 किलोमीटर दूर एक और राम मंदिर का उद्घाटन किया गया. इस भव्य राम मंदिर को बनाने में सात साल का वक्त लगा है. जिसे 150 मजदूरों ने बनाया है. ये मंदिर ओडिशा में समुद्र तल से करीब 1,800 फीट की ऊचांऊ पर एक पहाड़ी पर बनाया गया है. जहां पीएम मोदी ने अयोध्‍या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्‍ठा की तो वहीं दूसरी ओर ओडिशा में नयागढ़  के फतेगढ़ गांव में भगवान राम को समर्पित मंदिर का उद्घाटन किया गया. ये मंदिर 73 फुट ऊंचा है.

ये भी पढ़ें: अयोध्या के राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के बाद पीएम मोदी ने जलाई 'राम ज्योति'

दान से किया गया मंदिर का निर्माण

स्थानीय मीडिया में आई रिपोर्टों के मुताबिक, इस मंदिर को 165 फीट की ऊंचाई पर स्थित एक पहाड़ी पर किया गया है. इस मंदिर को बनाने के लिए राज्य के ग्रामीणों और श्रद्धालुओं के दान दान दिया है. सबसे ज्यादा दान फतेगढ़ के निवासियों ने ही दिया है जो कुछ धनराशि का आधा है. एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया कि इस मंदिर का निर्माण साल 2017 में शुरू हुआ था. जिसे बनाने में 150 से ज्यादा मजदूरों को लगाया गया. उसके बाद सात साल में ये मंदिर बनकर तैयार हुआ है.

ये भी पढ़ें: सरयू तट से सामने आई दीपोत्सव की तस्वीर, लाखों दीयों से जगमग हुआ अयोध्या धाम

ऐसा माना जा रहा है कि इस मंदिर के निर्माण से इस इलाके में पर्यटन बढ़ेगा. बताया जा रहा है कि इस मंदिर को बनाने की जड़ें 1912 में नबकलेबर से मिलती है जो भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की लकड़ी की मूर्तियों का पुनर्निर्माण है. बताया जाता है कि फतेगढ़ ने लकड़ी के लिए पवित्र वृक्ष प्रदान कर महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी जिसे अनुष्ठान में शामिल किया गया था. इस मंदिर के निर्माण के लिए ग्रामीणों ने श्री राम सेवा परिषद समिति का गठन किया.

ये भी पढ़ें: अयोध्या तो झांकी है.. काशी-मथुरा बाकी है! 22 जनवरी के बाद अब क्या होने वाला है?

बारिश के लिए की जाती थी प्रार्थना

इस स्थान पर ये मंदिर बनाया गया है उसके बारे में कहा जाता है कि यहां स्थानीय लोग बारिश कराने और सूखा से बचने के लिए प्रार्थना करते थे. जिसे गिरि गोवर्धन के नाम भी जाना जाता है. इस मंदिर का निर्माण पारंपरिक ओडिशा की वास्तुकला शैली में किया गया है. जिसका इस्तेमाल तारा तारिणी और कोणार्क के मंदिरों में किया गया है. मंदिर का गर्भगृह 65 फीट की ऊंचाई तक जाता है. मुख्य मंदिर के चारों ओर सूर्य देव, भगवान शिव, भगवान गणेश और हनुमान के मंदिर बनाए गए हैं.