खजुराहो की धरती से अन्ना ने फूंका जनलोकपाल आंदोलन का बिगुल, कहा पीएम नहीं देते पत्रों का जवाब
अन्ना हजारे ने कहा है कि उन्होंने पीएम मोदी को अब तक कुल 32 पत्र लिखे हैं, लेकिन इनमें से किसी भी पत्र का जवाब उन्हें नहीं मिला है।
highlights
- अन्ना ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी लोकपाल को कमजोर करने का काम किया है
- अन्ना जनलोकपाल और किसानों के मुद्दे को लेकर अगले साल 23 मार्च से दिल्ली में आंदोलन करेंगे
नई दिल्ली:
सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आरोप लगाते हुए कहा है कि उन्होंने उस लोकपाल विधेयक को कमजोर कर दिया है, जिसे पूर्व की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार के दौरान पारित किया गया था।
अन्ना हजारे ने कहा है कि उन्होंने पीएम मोदी को अब तक कुल 32 पत्र लिखे हैं, लेकिन इनमें से किसी भी पत्र का जवाब उन्हें नहीं मिला है। इनमें 10 लोकपाल कानून और शेष किसानों व जमीन संबंधी समस्याओं को लेकर हैं।
अन्ना हजारे मध्यप्रदेश की पर्यटन नगरी, खजुराहो में शनिवार से शुरू हुए दो दिवसीय राष्ट्रीय जल सम्मेलन में हिस्सा लेने पहुंचे थे।
अन्ना ने कहा कि मनमोहन सिंह बोलते नहीं थे और उन्होंने लोकपाल-लोकायुक्त कानून को कमजोर किया और अब वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी लोकपाल को कमजोर करने का काम किया है।
अन्ना का ने कहा, 'सरकारें तब तक बात नहीं सुनती हैं, जब तक उन्हें यह डर नहीं लगने लगता कि उनकी सरकार इस विरोध के चलते गिर सकती है। इसलिए जरूरी है कि सरकार के खिलाफ एकजुट होकर आंदोलन चलाया जाए।'
खजुराहो में आंदोलन की 23 मार्च से होने वाले आंदोलन की उद्घोषणा के साथ ही वहां की दीवार पर लिख दिया, '23 मार्च को चलो दिल्ली'।
बता दें कि अन्ना हजारे जनलोकपाल और किसानों के मुद्दे को लेकर अगले साल 23 मार्च से दिल्ली में आंदोलन करेंगे। अन्ना ने आंदोलन के लिए इस दिन को इसलिए चुना है इसी दिन शहीद दिवस भी मनाया जाता है।
और पढ़ें: जनलोकपाल बिल को लेकर मोदी सरकार के खिलाफ आंदोलन करेंगे अन्ना हजारे
बीते मंगलवार को महाराष्ट्र में अपने गांव रालेगण सिद्धि में समर्थकों को संबोधित करते हुए अन्ना ने कहा था, 'जनलोकपाल, किसानों के मुद्दे और चुनाव सुधारों के लिए यह एक सत्याग्रह होगा।'
अन्ना का आरोप है कि चाहे मनमोहन सिंह हों या मोदी, दोनों के दिल में न देश सेवा है और न समाज हित की बात। यही कारण है कि उद्योगपतियों को तो लाभ पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे, लेकिन किसान की चिंता किसी को नहीं है।
अन्ना ने उद्योगपतियों का कर्ज माफ किए जाने पर सवाल उठाया और कहा, 'उद्योगपतियों का हजारों करोड़ रुपये कर्ज माफ कर दिया गया है, मगर किसानों का कर्ज माफ करने के लिए सरकार तैयार नहीं है। किसानों का कर्ज मुश्किल से 60-70 हजार करोड़ रुपये होगा, क्या सरकार इसे माफ नहीं कर सकती?'
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