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दिव्यांग विधेयक राज्यसभा में पारित, जानिए नए नियमों के बारे में

2014 में यूपीए-दो सरकार के कार्यकाल के अंत में लाया गया विकलांग विधेयक बुधवार को शीतकालीन सत्र के दौरान राज्यसभा में पारित कर दिया गया।

Updated on: 14 Dec 2016, 05:38 PM

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2014 में यूपीए-दो सरकार के कार्यकाल के अंत में लाया गया विकलांग विधेयक बुधवार को शीतकालीन सत्र के दौरान राज्यसभा में पारित कर दिया गया। सरकार इस विधेयक को 119वे संशोधन के साथ लायी है। इस विधेयक को सितंबर 2014 सामाजिक न्याय और अधिकारिता समिति के पास भेजा गया था।


संशोधित बिल में क्या है

-इस विधेयक के अंतर्गत आने वाली विकलांगता की वर्तमान सात श्रेणियों को बढ़ा कर 19 कर दिया गया है।

-अब इस संशोधित संस्करण भी दो अन्य विकलांग केटेगरी को जोड़ा गया है। यह दो केटेगरी है एसिड हमलों और पार्किंसंस रोग के कारण हुई विकलांगता। कोई भी व्यक्ति जो 40 प्रतिशत तक विकलांग है उसे शिक्षा और रोजगार, और सरकारी योजनाओं में वरीयता में आरक्षण मिल सकता है।

-रोजगार के स्थानों पर विकलांग व्यक्तियों के खिलाफ भेदभाव नहीं किया जा सकता है।

-मानसिक रूप से बीमार लोगों को जिला अदालतों द्वारा सीमित अभिभावक और पूर्ण अभिभावक नियुक्त कर सकता है। सीमित अभिभावक मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति के साथ विचार-विमर्श कर कोई भी निर्णय ले सकता है जबकि पूर्ण अभिभावक उनकी जानकारी के बिना उनके लिए निर्णय कर सकते है।

-मौजूदा अधिनियम में किसी भी तरह से दंडा का प्रावधान नही था। लेकिन नए सेशोधित विधेयक में यह स्पष्ट है कि किसी भी विकांलग व्यक्ति के साथ दुरव्यवहार करने पर छह महीने तक की कैद और / या 10,000 रुपये का जुर्माना की सजा दी जा सकती है।