कर्नाटक में वोटिंग के बाद, केंद्र ने कावेरी प्रबंधन योजना का ड्राफ्ट SC को सौंपा
सुप्रीम कोर्ट से फटकार पाने और कई हफ्तों की देरी के बाद देश की शीर्ष अदालत को केंद्र सरकार ने कावेरी प्रबंधन का ड्राफ्ट सौंप दिया है। जिस पर कोरट विचार करेगी। ये ड्राफ्ट केंद्रीय जल संसाधन सचिव ने कोर्ट सौंपा है।
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट से फटकार पाने और कई हफ्तों की देरी के बाद देश की शीर्ष अदालत को केंद्र सरकार ने कावेरी प्रबंधन का ड्राफ्ट सौंप दिया है। जिस पर कोरट विचार करेगी। ये ड्राफ्ट केंद्रीय जल संसाधन सचिव ने कोर्ट सौंपा है।
मामले की सुनवाई कर रही बेंच ने कहा कि अदालत इसकी समीक्षा करेगी और ये तय करेगी कि ड्राफ्ट सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार है या नहीं।
सीजेआई की अध्यक्षता वाली बेंच जिसमें जस्टिस एएम खानविलकर और डीवाई चंद्रचूड़ भी हैं ने कहा कि कोर्ट इसकी 'योजना की शुद्धता' पर नहीं जाएगा बल्कि वो ये देखेदा कि ये अदालती आदेश के अनुसार है कि या नहीं।
सुप्रीम कोर्ट ने ड्राफट की कॉपी इस विवाद से जुड़े सभी पक्षों तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल और पुदुचेरी को भी दी गई ताकि वो भी जांच कर सकें कि ये पहले के आदेश के अनुसार है या नहीं। इसके साथ ही कोर्ट इस मामले की सुनवाई अब 16 मई को करेगा।
कावेरी बोर्ड के गठन को लेकर हो रही देरी को लेकर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कर्नाटक चुनाव में व्यस्त होने की वजह से इसका ड्राफ्ट तैयार नहीं किया जा सका है। इसके साथ ही ड्राफ्ट तैयार करने के लिये समय भी मांगी था।
और पढ़ें: कावेरी जल विवाद: योजना नहीं देने पर केंद्र से सुप्रीम कोर्ट नाराज, कहा - अवमानना कर रही सरकार
जिस पर कोर्ट ने नाराज़गी जाहिर करते हुए कहा कि कोर्ट को चुनाव से कोई मतलब नहीं है और समय देने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि सरकार ड्राफ्ट तैयार कर कोर्ट को दे क्योंकि इसमें राज्यों का कोई रोल नहीं है।
इसके अलावा कोर्ट केंद्र सरकार को फटकार भी लगाई थी और कहा था कि कावेरी को लेकर योजना न बनाकर वो कोर्ट के आदेश का उल्लंघन कर रही है। कोर्ट ने का
कावेरी जल विवाद पर फरवरी में सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में केंद्र सरकार को चार राज्यों तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल और पुडुचेरी में जल बंटवारे के लिए योजना प्रस्तुत करने का आदेश दिया था।
सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 14 मई से पहले जल संसाधन मंत्रालय के सचिव को कावेरी प्रबंधन योजना के ड्राफ्ट के साथ कोर्ट में पेश होकर यह बताने का आदेश दिया है कि सरकार तमिलनाडु और कर्नाटक समेत चार राज्यों में पानी का बंटवारा कैसे करेगी।
जस्टिस ए एम खानविलकर और डी वाई चंद्रचूड़ वाली बेंच ने कहा, 'हम दोबारा फिर इसी मुद्दे पर नहीं आना चाहते। एक बार जब जजमेंट दे दिया गया है तो इस लागू किया जाना चाहिए।'
फरवरी के अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु को मिलने वाली पानी को कम कर दिया था। कोर्ट के फैसले के बाद तमिलनाडु को 177.25 टीएमसी फीट (हजार मिलियन क्यूबिक फीट) पानी जबकि कर्नाटक को 14.75 टीएमसी फीट पानी अतिरिक्त देने का आदेश दिया था।
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