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8वीं क्लास तक हिन्दी स्कूलों में अनिवार्य ? शिक्षा मंत्री जावड़ेकर ने दिया ये जवाब

देश के स्कूलों में 8 वीं कक्षा तक हिन्दी भाषा को अनिवार्य करने के लिए सूत्रों के मुताबिक बीते महीने ही एक कमेटी ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय को ड्राफ्ट तैयार कर दे दिया था

Updated on: 10 Jan 2019, 10:59 AM

नई दिल्ली:

देश के स्कूलों में 8 वीं कक्षा तक हिन्दी भाषा को अनिवार्य बनाए जाने को लेकर बीते महीने ही एक कमेटी ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय को ड्राफ्ट तैयार कर दे दिया था. इस खबर के सामने आते ही देश में राजनीति गर्म होने लगी. यह खबर सूत्रों के हवाले से दी गई थी और कई समाचार पत्रों और न्यूज वेबसाइटों ने इस खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया. हालांकि अब खुद मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने साफ कर दिया कि सरकार ऐसा कुछ भी नहीं कर जा रही है और स्कूलों में 8 वीं कक्षा तक हिन्दी को अनिवार्य बनाने का सरकार का कोई इरादा नहीं है.

रिपोर्ट को लेकर प्रकाश जावड़ेकर ने कहा, 'नई शिक्षा नीति बनाने के लिए जो कमेटी बनाई गई थी उन्होंने अपनी अनुशंसा दे दी है और उसमें किसी भी भाषा को अनिवार्य बनाने की सिफारिश नहीं की गई है. मीडिया के एक वर्ग में शरारती और भ्रामक रिपोर्ट को देखते हुए यह स्पष्टीकरण जरूरी है'.

इससे पहले कुछ न्यूज रिपोर्टस में दावा किया जा रहा था कि सरकार ने देश भर के स्कूलों के लिए एक ड्राफ्ट तैयार किया है जिसके तहत तीन भाषाई सूत्र तैयार किया गया है. इस फॉर्मूले के तहत पूरे देश में एक तरह की शिक्षा व्यवस्था को लागू कर विज्ञाऩ और गणित विषय के साथ ही बच्चों को हुनरमंद बनाने पर जोर दिया जाएगा. इस ड्राफ्ट में पिछड़े हुए तबकों के बच्चों के लिए देवनागिरी में सिलेबस तैयार करने की बात भी कई गई.

9 सदस्यों की बनी कमेटी ने ये कुछ प्रमुख अनुशंसा इस मामले में सरकार से की थी जिसे नई शिक्षा नीति का नाम दिया गया था और इसका मुख्य मकसद भारत केंद्रित वैज्ञानिक तरीके से स्कूली शिक्षा को बढ़ावा देना था.

सूत्रों के मुताबिक यह दावा किया गया था कि यह कमेटी 31 दिसंबर 2018 से पहले ही सरकार को सौंप दी थी. हालांकि एचआरडी मंत्री जावड़ेकर के बयान ने इन सभी अटकलों और संभावनाओं पर विराम लगा दिया है.