CJI पर महाभियोग के चक्रव्यूह में फंसी कांग्रेस, उपराष्ट्रपति वेंकैया पर टिकी नजरें
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव दिए जाने के बाद सभी की नजरें राज्यसभा के चेयरमैन वेंकैया नायडू पर टिक गई हैं।
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव दिए जाने के बाद सभी की नजरें राज्यसभा के चेयरमैन वेंकैया नायडू पर टिक गई हैं।नायडू के फैसले से ही इस प्रस्ताव की किस्मत का फैसला होगा।
हालांकि इस बीच विपक्षी दल इस प्रस्ताव पर एकजुट नजर नहीं आ रहे हैं। कांग्रेस के साथ छह विपक्षी दलों ने इस प्रस्ताव का नोटिस दिया है। जबकि अन्य दलों ने इससे दूरी बना ली है।
कांग्रेस की अगुवाई में सात विपक्षी दलों ने शुक्रवार को राज्यसभा के सभापति एम.वेकैंया नायडू से मुलाकात कर मुख्य न्यायधीश (सीजेआई) को हटाने के लिए महाभियोग प्रस्ताव सौंपा।
नोटिस देने के बाद कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने प्रेस कांफ्रेंस कर इस बात की जानकारी दी। प्रेस कांफ्रेंस में आजाद ने कहा कि हम सीजेआई दीपक मिश्रा को हटाने के लिए महाभियोग प्रस्ताव ला रहे हैं।
आजाद ने कहा, 'विपक्षी दलों ने भारतीय संविधान के धारा 124 सहित धारा 270 के तहत सीजेआई दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग के प्रस्ताव लाया है।'
उन्होंने कहा कि सीजेआई के खिलाफ इस प्रस्ताव पर 71 सांसदों के हस्ताक्षर हैं, लेकिन 7 रिटायर हो चुके हैं, अब केवल 64 हैं।
जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग लाने को लेकर कांग्रेस पिछले कई महीनों से हां और ना कि स्थिति में थी। लेकिन जस्टिस लोया की मौत को लेकर गुरुवार को आए फैसले पर कांग्रेस ने नाराज़गी जताई और उसके बाद से उसने जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग लाने के प्रस्ताव का समर्थन कर दिया।
हालांकि कांग्रेस में इस फैसले को लेकर पार्टी के ही कई नेताओं ने आपत्ति जताई है। लेकिन इस पर खुलकर बोलने के लिये कोई तैयार नहीं है।
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सलमान खुर्शीद ने कहा, 'महाभियोग एक गंभीर मामला है जिसे सिर्फ इस आधार पर उठाया जाए कि आप कोर्ट के किसी फैसले या टिप्पणी से सहमत नहीं है।'
न सिर्फ खुर्शीद बल्कि कांग्रेस के कई नेता पार्टी के सीजेआई के खिलाफ महाभियोग लाने के फैसले के खिलाफ हैं। इसके अलावा कई विपक्षी दलों ने भी इस पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया है।
कांग्रेस के अंदर ही नहीं दूसरी पार्टियां भी महाभियोग के खिलाफ
महाभियोग लाने को लेकर शुक्रवार को हुई बैठक में कांग्रेस के गठबंधन में शामिल आरजेडी और पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी दल तृणमूल कांग्रेस ने हिस्सा नहीं लिया। बीजेडी पहले भी जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ लाए जाने वाले महाभियोग के खिलाफ रही है।
तृणमूल कांग्रेस के सूत्रों का कहना है कि राजनीतिक और जमीनी हकीकत के कारण पार्टी इस महाभियोग से दूर है। हालांकि पार्टी पहले इस महाभियोग के पक्ष में थी।
इसके साथ ही महाभियोग एक लंबी प्रक्रिया है। जस्टिस मिश्रा का कार्यकाल अक्टूबर में खत्म हो रहा है और उनके खिलाफ कोई 'ठोस सबूत' नहीं है।
इसी तरह से डीएमके भी महाभियोग को लेकर इंतज़ार कर रही है कि इसका क्या हश्र होता है। दरअसल वो इस मसले के सदन में आने तक इंतजार करेगी।
वहीं एआईएडीएमके ने साफ मना कर दिया है कि पार्टी महाभियोग का समर्थन नहीं करेगी।
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