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दुनिया की तेज गति से बढ़ती अर्थव्यवस्था पर नोटबंदी का ब्रेक, 6.1 फीसदी हुई जीडीपी

भारत अब दुनिया की तेज गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में शामिल नहीं रहा। पिछले साल मोदी सरकार के नोटबंदी के फैसले का भारतीय अर्थव्यवस्था की गति पर बुरा असर पड़ा है।

Updated on: 01 Jun 2017, 12:42 PM

highlights

  • भारत अब दुनिया की तेज गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में शामिल नहीं रहा
  • मोदी सरकार के नोटबंदी के फैसले का भारतीय अर्थव्यवस्था की गति पर बुरा असर पड़ा है
  • इसके साथ ही आने वाले समय में भारतीय अर्थव्यवस्था की रिकवरी को लेकर सवाल उठने लगे हैं

New Delhi:

भारत अब दुनिया की तेज गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में शामिल नहीं रहा। पिछले साल मोदी सरकार के नोटबंदी के फैसले का भारतीय अर्थव्यवस्था की गति पर बुरा असर पड़ा है। इसके साथ ही आने वाले समय में भारतीय अर्थव्यवस्था की रिकवरी को लेकर सवाल उठने लगे हैं।

पिछले वित्त वर्ष के 7.1 फीसदी के मुकाबले 2016-17 की चौथी तिमाही में देश की विकास दर कम होकर 6.1 फीसदी हो चुकी है। जबकि सरकार को वित्त वर्ष 2016-17 में देश की जीडीपी 7 फीसदी से उपर रहने की उम्मीद थी।

वित्त वर्ष 2016-17 की चौथी तिमाही में जीडीपी दर में आई गिरावट की सबसे बड़ी वजह नोटबंदी रही, जिसने अर्थव्यवस्था की गति को खासा नुकसान पहुंचाया है। भारत अब दुनिया की तेज गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था के मुकाबले मध्यम गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था में शामिल हो चुका है।

हालांकि सरकार ने पिछली बार की तरह ही इस बार भी अर्थव्यवस्था की गति पर नोटबंदी के असर को खारिज कर दिया है। ख्य सांख्यिकीविद टी.सी.ए. अनंत ने कहा कि पिछले साल की गई नोटबंदी का प्रभाव उतना नहीं है, जितना कहा जा रहा है।

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उन्होंने कहा कि पहले भी लोगों ने उनसे नोटबंदी के प्रभाव को लेकर सवाल पूछे थे। उन्होंने कहा, 'नोटबंदी जैसी नीतियों का सरल 'पोस्ट हॉक' प्रभाव विश्लेषण के जरिए विश्लेषण नहीं किया जा सकता। कोई नीति समाज पर कई रास्तों से असर डालती है, जिसमें विभिन्न प्रक्रियाएं होती हैं और उनका विश्लेषण अत्यधिक परिष्कृत तरीके से ही किया जा सकता है।'

नोटबंदी के कारण पटरी से उतरी अर्थव्यवस्था

मोदी सरकार ने पिछले साल 8 नवंबर को नोटबंदी की घोषणा करते हुए 500 और 1000 रुपये के नोटों को बैन कर दिया था।

सरकार के इस फैसले की वजह से कई रेटिंग एजेंसियों और वित्तीय संस्थाओं ने भारत की रेटिंग में कटौती कर दी थी। हालांकि सरकार नोटबंदी के कारण अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले परिणाम को मानने को तैयार नहीं थी।

पिछले वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में आई जीडीपी की दर कई एजेंसियों के मुकाबले उलट है। हाल ही में आए संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में कहा गया था कि नोटबंदी के बाद नकदी की कमी से उबरते हुए भारत की अर्थव्यवस्था पर तेजी से पटरी पर लौट रही है। रिपोर्ट में 2018 तक भारत की जीडीपी के 8 फीसदी होने का अनुमान जताया गया था।

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हालांकि चौथी तिमाही के आंकड़ें बिलकुल आशंकाओं के मुताबिक रहे। संसद में सरकार के नोटबंदी के फैसले का विरोध करते हुए पूर्व प्रधानमंत्री और अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह ने कहा था कि सरकार के इस फैसले से भारत की अर्थव्यवस्था में करीब 2 फीसदी की गिरावट आएगी।

तीसरी तिमाही में उम्मीद के मुताबिक थे आंकड़ें

नोटबंदी के तत्काल बाद तीसरी तिमाही के आंकड़े आए थे। तीसरी तिमाही में देश की जीडीपी दर 7 फीसदी रही थी। इन आंकड़ों के बाद तत्कालीन वित्त सचिव शक्तिकांत दास ने कहा था, 'देश की विकास पर नोटबंदी का कोई असर नहीं हुआ है।

लोगों को उम्मीद थी कि नोटबंदी की वजह से जीडीपी पर असर होकगा लेकिन हम 7 फीसदी की ग्रोथ रेट बनाए रखने में सफल रहे।'

हालांकि नोटबंदी के बाद रिजर्व बैंक ने 6.9-6.5 फीसदी विकास दर का अनुमान जताया था वहीं आईएमएफ ने 6.6 फीसदी विकास दर रहने का अनुमान जताया था।

तीसरी तिमाही के आंकड़ें नोटबंदी के फैसले के तत्काल बाद आए थे और इसकी वजह से अर्थव्यवस्था पर इसके असर का वास्तविक आकलन नहीं हो पाया था।

चौथी तिमाही ने आंकड़ों ने यह साफ कर दिया है कि नोटबंदी की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था अब अपनी रफ्तार खोते हुए सुस्त गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में शुमार हो चुकी है।

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