लोकसभा में आसानी से पास हो गया सामान्य वर्ग को आरक्षण वाला बिल, जानें राज्यसभा में क्या है गणित
लोकसभा में उपस्थित 326 सदस्यों में से 323 ने बिल के समर्थन में वोट दिया और महज 3 सदस्यों ने विरोध किया.
नई दिल्ली:
सामान्य वर्ग को आरक्षण का लाभ देने वाला 124वां संविधान संशोधन विधेयक लोकसभा में आसानी से पास हो गया. लोकसभा में उपस्थित 326 सदस्यों में से 323 ने बिल के समर्थन में वोट दिया और महज 3 सदस्यों ने विरोध किया. अब सरकार बुधवार को राज्यसभा में बिल पेश करेगी, जहां उपस्थित सदस्यों में से दो तिहाई का समर्थन पाना आसान नहीं होगा. राज्यसभा में 246 सदस्य हैं और अगर सभी सदस्य वोटिंग में हिस्सा लेते हैं तो बिल को पास कराने के लिए 164 वोटों की जरूरत होगी. आइए जानते हैं क्या है राज्यसभा का गणित:
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राज्यसभा में कुल 246 सदस्य हैं. बिल को पास कराने के लिए कम से कम दो तिहाई वोटों की जरूरत होगी. साथ में यह भी जरूरी है कि वोटिंग में कम से कम आधे सदस्य मौजूद रहे यानी कम से कम 123 सदस्यों का वोटिंग में हिस्सा लेना जरूरी है. बीजेपी के पास 73 सांसद हैं. उसके सहयोगियों में जेडीयू के 6, अकाली दल के 3 और शिवसेना के 3 सांसद हैं. कुछ और छोटे दलों के 4 सांसदों का समर्थन बीजेपी के साथ है. नामांकित और निर्दलीय मिलाकर 9 और सांसद उसके पक्ष में आ सकते हैं.
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दूसरी ओर, कांग्रेस के 50, टीएमसी के 13, एआईडीएमके के 13, सपा के 13, बीजू जनता दल के 9, लेफ़्ट फ्रंट के 7, टीडीपी के 6, टीआरएस के 6, आरजेडी के 5, बीएसपी के 4, डीएमके के 4, आप के 3 और पीडीपी के 2 सांसद हैं. हालांकि कांग्रेस, टीएमसी ने लोकसभा में बिल का समर्थन किया है, लेकिन लोकसभा में कांग्रेस ने बिल को सेलेक्ट कमेटी में भेजने की मांग की थी. ऐसे में माना जा रहा है कि राज्यसभा में कांग्रेस बिल की राह में रोड़े अटका सकती है. समाजवादी पार्टी ने भी लोकसभा में बिल का समर्थन किया था, लिहाजा, सरकार को उससे समर्थन मिलने की उम्मीद है.
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जेटली बोले, बिल को राज्यों की मंजूरी की जरूरत नहीं
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मंगलवार को लोकसभा में बिल पर बहस के दौरान बिल को लेकर आशंकाओं को तर्कों के साथ खारिज कर दिया. उन्होंने बताया, क्यों संविधान संशोधन बिल होने के बावजूद इसे राज्यों की मंजूरी की जरूरत नहीं होगी. यह संविधान संशोधन दूसरे संविधान संशोधनों से अलग है. जेटली ने कहा कि संविधान के आर्टिकल 15 और 16 में संशोधन करके नया क्लॉज जोड़ा जा रहा है, लिहाजा दोनों सदनों से पारित होने के साथ ही यह प्रभावी हो जाएगा. बता दें कि संविधान संशोधन बिल को दोनों सदनों में दो-तिहाई बहुमत से पास कराने के साथ-साथ कम से कम आधे राज्यों की विधानसभाओं से भी मंजूरी चाहिए होती है.
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