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एचएएल ने कहा, वायुसेना, आर्मी से मिलने वाली रकम में देर हुई

एचएएल को अपनी कार्यशील पूंजी की पूर्ति के लिए बैंक से ऋण लेना पड़ा क्योंकि कंपनी को प्राप्त होने वाली रकम मिलने में देरी हुई है.

Updated on: 21 Feb 2019, 04:42 PM

नई दिल्ली:

सरकारी स्वामित्व में संचालित हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने स्वीकार किया कि उसे भारतीय वायुसेना (आईएएफ) और थलसेना समेत अपने ग्राहकों से प्राप्य 9,500 करोड़ रुपये की राशि मिलने में देर हुई है. एचएएल के निदेशक (वित्त) अनंत कृष्णन ने संवाददाताओं से कहा, 'हमारी वित्तीय स्थिति स्थिर और मजबूत है. हमारी वित्तीय स्थिति को लेकर कोई समस्या नहीं है क्योंकि हमारे पास आरक्षित व अधिशेष के तौर पर 1,200 करोड़ रुपये है.'

उन्होंने स्वीकार किया कि एचएएल को अपनी कार्यशील पूंजी की पूर्ति के लिए बैंक से ऋण लेना पड़ा क्योंकि कंपनी को प्राप्त होने वाली रकम मिलने में बिलंब हुआ है. कृष्णन ने कहा कि नकदी के अभाव के कारण उत्पादन, बिक्री व अन्य संचालन कार्य पर असर नहीं पड़ा है. 

वायुसेना के येलाहंका अड्डे पर यहां एरो इंडिया एक्पो में कृष्णन ने कहा, 'वित्त वर्ष 2018-19 के शुरुआती नौ महीनों में हमारे वित्तीय प्रदर्शन से जाहिर होता है कि बिक्री व सेवा से प्राप्त हमारा राजस्व लक्ष्य के अनुसार रहा और पिछले वित्त वर्ष 2017-18 की समान अवधि के मुकाबले लाभ में 13 फीसदी की वृद्धि हुई.'

विगत कई वर्षो में पहली बार विमानन क्षेत्र की प्रमुख कंपनी ने देशभर में 9 स्थानों पर स्थित 20 संभागों के अपने कर्मचारियों के वेतन समेत कार्यशील पूंजी के लिए तीसरी तिमाही में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों से 1,000 करोड़ रुपये का ऋण लिया. 

एचएएल के अध्यक्ष आर. माधवन ने दृढ़ता के साथ कहा कि फ्रांसीसी राफेल लड़ाकू विमान बनाने का ठेका कंपनी को नहीं मिलने के विवाद की प्रतिकूल रिपोर्ट के बावजूद कंपनी के कर्मचारियों और अधिकारियों के हौसले बुलंद हैं. उन्होंने कहा कि मानवशक्ति की कोई कमी नहीं है. 

माधवन ने कहा, 'हमें नकारात्मक मीडिया रिपोर्ट बुरी लगती है, लेकिन उसका हमारे कर्मचारियों, यूनियन और मध्यम स्तर के प्रबंधन पर कोई असर नहीं है. वस्तुत: हम अपने कार्यबल को राष्ट्रीयकृत कर रहे हैं और नियुक्तियां कर रहे हैं क्योंकि हम अपने 2,300 उद्योग साझेदारों के लिए एयरफ्रेम, स्ट्रक्चर व कंपोनेंट बनाने का काम आउटसोर्स कर रहे हैं.'