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बॉम्बे हाई कोर्ट ने गर्भधारण के 8 वें महीने में दी गर्भपात की इजाजत, जाने क्या है पूरा मामला

नासिक के रहने वाले एक शादीसुदा जोड़े ने सीजोफेलिया जैसी गंभीर बीमारी की वजह से गर्भधारण के 7वें महीने में गर्भपात कराने की इजाजत मांगी थी

Updated on: 22 Sep 2018, 02:40 PM

मुंबई:

महिलाओं के गर्भपात को लेकर बॉम्बे हाई कोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है। नासिक के रहने वाले एक दंपति ने सीजोफेलिया जैसी गंभीर बीमारी की वजह से गर्भधारण के 8वें महीने में गर्भपात कराने की इजाजत मांगी थी जिसे बॉम्बे हाईकोर्ट ने स्वीकार करते हुए उन्हें ऐसा करने की इजाजत दे दी। दरअसल 22 साल की महिला ने बच्चे के जन्म से जुड़ी गंभीर बीमारी सीजोफेलिया की वजह से कोर्ट से गुहार लगाई थी कि ऐसे में अगर वह बच्चे को जन्म देती है तो उसे उस बच्चे के विकास से जुड़ी कई समस्याएं होंगी। पीड़ित दंपति ने कोर्ट को बताया कि उनका 5 साल का बेटा भी डाउन सिंड्रोम जैसी बीमारी से जूझ रहा है ऐसे में उसकी देखरेख और हमारे लिए बेहद कष्टकारक है।

दंपति की समस्या को सुनने के बाद हाई कोर्ट ने जेजे अस्पताल के डॉक्टर को मामले की जांच करने का आदेश देते हुए कहा कि अगर बच्चे के जन्म से मां और परिवार को खतरा है तो ऐसे स्थिति में गर्भपात कराया जा सकता है।

बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश के बाद जेजे अस्पताल ने महिला की जांच कर दी और उसके गर्भपात को हरी झंडी दे दी। इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति एएस गडकरी और न्यायमूर्ति एएस ओका की खंडपीठ ने करते हुए कहा, 'भ्रूण को शारीरिक असामान्यताओं का पर्याप्त खतरा है, इसलिए याचिकाकर्ता की गर्भावस्था को समाप्त करना जरूरी है।'

पीड़ित महिला की वकील ने कुलदीप निकम ने अदालत से कहा कि उनकी क्लाइंट को नासिक में एक निजी क्लिनिक में गर्भपात करने की इजाजत दी जानी चाहिए, क्योंकि डॉक्टरों को उनके केस इतिहास के बारे में अच्छी जानकारी है। अदालत ने उनके इस आग्रह को भी मान लिया।