बीएचयू हिंसा: कमिश्नर ने प्रशासन को माना जिम्मेदार, कुलपति को हटाने की मांग
वाराणसी के कमिश्नर ने विश्वविद्यालय के प्रशासन को दोषी ठहराया है। इस बीच बीएयचू प्रशासन ने इस पूरे मामले की न्यायिक जांच कराने का फैसला किया है।
highlights
- कमिश्नर ने प्रशासन को माना जिम्मेदार, VC को हटाने की मांग
- BHU प्रशासन ने इस पूरे मामले की न्यायिक जांच कराने का किया फैसला
नई दिल्ली:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में स्थित काशी हिंदू विश्वविद्यालय में छात्राओं पर शनिवार की रात हुए लाठीचार्ज का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। मंगलवार को कमिश्नर ने अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपी, जिसमें उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया।
कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों ने कुलपति को तत्काल हटाने की मांग की है। वाराणसी के कमिश्नर नितिन गोकर्ण ने मुख्य सचिव राजीव कुमार को अपनी रिपोर्ट सौंप दी।
रिपोर्ट में उन्होंने विश्वविद्यालय के प्रशासन को दोषी ठहराया है। इस बीच बीएयचू प्रशासन ने इस पूरे मामले की न्यायिक जांच कराने का फैसला किया है।
शासन से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, गोकर्ण ने अपनी रिपोर्ट मुख्य सचिव को भेज दी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि बीएचयू प्रशासन ने पीड़िता की शिकायत पर संवेदनशील तरीके से गौर नहीं किया और वक्त रहते इसका समाधान नहीं किया गया।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अगर वक्त रहते इस मामले को सुलझा लिया गया होता, तो इतना बड़ा विवाद खड़ा नहीं होता।
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इस बीच, कुलपति गिरीश चंद्र त्रिपाठी ने अपने बचाव में कहा कि कार्रवाई उन लोगों पर की गई, जो विश्वविद्यालय की संपत्ति को आग लगा रहे थे।
उन्होंने एक समाचार चैनल से बातचीत में छात्राओं पर हुए लाठीचार्ज और परिसर में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम न होने की बात को झुठलाते कहा कि प्रधानमंत्री के दौरे को प्रभावित करने के लिए 'बाहरी तत्वों' ने कैम्पस का माहौल बिगाड़ा।
उन्होंने कहा कि कुछ लोग कैम्पस में पेट्रोल बम फेंक रहे थे, पत्थरबाजी कर रहे थे। किसी भी छात्रा पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। कार्रवाई का एक भी प्रमाण नहीं है।
कुलपति ने कहा, '23 सितंबर की रात लगभग 8.30 बजे जब मैं छात्राओं से मिलने त्रिवेणी छात्रावास जा रहा था, उस समय अराजक तत्वों ने मुझे रोककर आगजनी और पत्थरबाजी शुरू कर दी।'
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कुलपति ने कहा कि पीड़ित छात्रा और उसकी सहेलियों के साथ उन्होंने दो बार मुलाकात की। छात्राओं ने उन्हें बताया था कि धरने का संचालन खतरनाक किस्म के अपरिचित लोग कर रहे हैं।
उन लोगों ने पीड़ित छात्रा को धरना स्थल पर बंधक बनाकर जबरन बिठाए रखा था। पुलिस ने ऐसे तत्वों को कैम्पस से बाहर करने के लिए ही बल प्रयोग किया।
इस बीच, बीएचयू प्रशासन ने इस पूरी घटना की न्यायिक जांच कराने का फैसला किया है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश वी.के. दीक्षित की अध्यक्षता में जांच समिति गठित की गई है।
बीएचयू प्रशासन से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि विश्वविद्यालय में 65 और संवेदनशील स्थलों को चिन्हित किया गया है, जहां सीसीटीवी कैमरे स्थापित होंगे।
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पहले चरण में विश्वविद्यालय के द्वार और महिला छात्रावास पर इन्हें लगाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। सुरक्षा तंत्र में महिला सुरक्षाकर्मियों को भी शामिल किया जा रहा है।
उधर लखनऊ में, कैबिनेट की बैठक से निकले ऊर्जा मंत्री और सरकार के प्रवक्ता श्रीकांत शर्मा से जब पत्रकारों ने पूछा गया कि बीएचयू मामले को लेकर सरकार ने क्या कार्रवाई की है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने मामले की न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं। हालांकि अगले ही पल वह अपनी बात से मुकर गए और कहा कि स्थानीय अधिकारी ही इस मामले की जांच करेंगे।
मंत्री शर्मा ने कहा, 'कुछ लोग बीएचयू का माहौल बिगाड़ने की कोशिश में जुटे हैं। ऐसे लोगों को सरकार कामयाब नहीं होने देगी। असामाजिक तत्वों से सख्ती के साथ निपटा जाएगा। पुलिस ने ऐसे लोगों को चिह्न्ति करने का काम शुरू कर दिया है और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।'
बीएचयू मामले पर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष मायावती ने मंगलवार को एक बयान जारी कर कहा कि भाजपा सरकार के गलत रवैये व उपेक्षा के कारण बीएचयू पुलिस ज्यादती, हिंसा, आगजनी व उपद्रव का शिकार हो रहा है।
इस मामले में बीएचयू के कुलपति त्रिपाठी का रवैया भी छात्र-छात्रा हितैषी न होकर काफी अड़ियल व तानाशाही पूर्ण लगता है।
उन्होंने कहा, "बीएचयू की छात्राएं अपनी सहपाठी छात्रा के साथ छेड़खानी के मामले का विरोध कर रही थीं, लेकिन कुलपति के भड़काऊ रवैये के कारण छात्रों का आंदोलन तीव्र हुआ और अंतत: वे पुलिस की जुल्म-ज्यादती के शिकार हुए।"
वहीं, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राज बब्बर मंगलवार को भी बनारस में मौजूद रहे और इस मुद्दे पर उन्होंने अपनी नजर बनाए रखी। उन्होंने पत्रकारों से बातचीत के दौरान बीएचयू के कुलपति को हटाने की मांग की।
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उन्होंने कहा, 'यूपी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नारा बदल गया है। अब बेटी पढ़ाओ, बेटी बढ़ाओ की जगह नया नारा बेटी पढ़ाओ, बेटी पिटवाओ हो गया है। कुलपति को तुरंत हटाया जाना चाहिए। उनके पद पर रहते निष्पक्ष जांच नहीं हो सकती।'
राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) ने राजधानी के जीपीओ पार्क स्थित गांधी प्रतिमा के सम्मुख धरना दिया। रालोद ने बीएचयू के कुलपति को बर्खास्त करने के साथ दोषी प्रशासनिक एवं पुलिस अधिकारियों को भी तत्काल निलंबित करने की मांग की।
पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. मसूद अहमद के नेतृत्व में रालोद के पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ नारेबाजी की। उन्होंने राज्यपाल राम नाईक को एक ज्ञापन भी भेजा।
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