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आर्मी चीफ जनरल बिपिन रावत का बड़ा बयान, AFSPA पर पुनर्विचार का अभी सही समय नहीं

जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर के विवादित इलाकों में लागू आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर एक्ट (AFSPA) को लेकर काफी समय से विवाद चल रहा है।

Updated on: 28 Jan 2018, 06:28 PM

नई दिल्ली:

जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर के विवादित इलाकों में लागू आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर एक्ट (AFSPA) को लेकर काफी समय से विवाद चल रहा है

सेना को इस कानून के जरिए मिलने वाले विशेष अधिकार को लेकर आर्मी चीफ बिपिन रावत ने कहा है कि अभी इसे हटाने का सही समय नहीं आया है।

जनरल रावत कहा, 'मुझे नहीं लगता कि अभी वह समय आया है जब AFSPA पर फिर से विचार किया जाए।' AFSPA के कुछ मजबूत प्रावधान हैं, सेना अतिरिक्त नुकसान को लेकर चिंतित रहती है और यह भी सुनिश्चित किया जाता है कि कानून के तहत इसकी परिचालन से स्थानीय लोगों को असुविधा न हो।

आर्मी चीफ ने आगे कहा, 'AFSPA के तहत जितनी सख्ती बरती जा सकती है, वैसा हमने कभी नहीं किया है। हम मानवाधिकार के बारे में चिंतित है। किसी को परेशान होने की जरूरत नहीं है क्योंकि हम सावधानी बरत रहे हैं।'

आर्मी चीफ ने कहा, 'हर स्तर पर कई मुश्किल ऑपरेशंस के लिए सेना के अपने नियम होते हैं। इस बात का जरूर ख्याल रखा जाता है कि कहीं लोगों को इससे परेशानी न हो।' उन्होंने कहा, 'हमारी सेना का काफी अच्छा मानवाधिकार रिकॉर्ड रहा है।' 

जब जनरल रावत से पूछा गया कि पाकिस्तान द्वारा स्पॉनसर आतंकवाद से निपटने के लिए तीनों सेनाओं को शामिल करते हुए रणनीति अपनाई जाए तो उन्होंने कहा, 'हाँ हमारे पास कई ऑप्शंस है ऑपरेशन करने के लिए पर इसके बारे में बताया नहीं जा सकता क्योंकि इससे दुश्मन सतर्क और सावधान हो सकता है।'

लंबे समय से AFSPA को हटाने की है मांग

गौरतलब है कि मणिपुर की आयरन लेडी कही जाने वाली इरोम शर्मीला आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर एक्ट के खिलाफ 16 साल तक अनशन पर थी। लंबे समय से इस एक्ट को हटाने की मांग की जा ही है। स्थानीय लोग अक्सर इस एक्ट के खिलाफ प्रदर्शन करते रहे हैं। 

क्या है AFSPA 

दरअसल, AFSPA घाटी और विवादित इलाकों में सेना को विशेष सुरक्षा अधिकार प्रदान कर सकता है।

ऐसी अटकलें लगाई जा रही थी कि सरकार इस एक्ट को ज्यादा मानवीय बनाने पर पुनर्विचार कर रही है। इन अटकलों को ख़ारिज करते हुए आर्मी चीफ जनरल बिपिन रावत ने कहा, 'अभी वो वक़्त नहीं आया है जब अफ्स्पा पर पुनर्विचार किया जाये या प्रावधानों को हल्का किया जाये।'

आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर एक्ट (AFSPA) सुरक्षा बलों को विवादित क्षेत्रों में विभिन्न कार्यों को चलाने में विशेष अधिकार देता है। जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर में विभिन्न क्वॉर्टर्स से इसे वापस लेने के लिए एक लंबे समय से मांग की जा रही है।

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पाकिस्तान की ओर से बार- बार होता सीजफायर उल्लंघन के सवाल पर जनरल ने कहा कि सभी इंटेलिजेंस एजेंसियां और सुरक्षा बल एक साथ मिलकर काम कर रहे है। 

सेना पाकिस्तान की ओर से होते सीजफायर उल्लंघन का मुंहतोड़ जवाब दे रही है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक पाकिस्तान की ओर से पिछले साल 860 बार सीजफायर का उल्लंघन कर चुका है।

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सेना के काफिले पर किया था पथराव

गौरतलब है कि कल जम्मू-कश्मीर के शोपियां में पत्थरबाजों ने सेना की पेट्रोल पार्टी के काफिले पर पत्थरबाजी की, जिससे जान-माल का नुकसान हुआ।

शोपियां के गनोपारा इलाके में 100-200 पत्थरबाजों ने हमला बोल दिया था। हिंसक भीड़ ने सेना के चार वाहनों को आग के हवाले कर दिया और सुरक्षाबलों पर जमकर पथराव किया। बचाव में सेना की ओर से हुई फायरिंग में दो लोगों की मौत हो गई थी।

अधिकारियों ने श्रीनगर के सफाकदाल, खानयार, नौहट्टा, रैनावाड़ी और एम आर गंज पुलिस स्टेशन इलाके में प्रतिबंध लगा रखे हैं।

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