logo-image

मुंबई में डांस बार के खिलाफ कदम उठाएगी महाराष्ट्र सरकार, अध्यादेश लाने पर कर रही विचार

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बीजेपी की नेतृत्व वाली राज्य सरकार इसे रोकने के लिए अध्यादेश लाने का विचार कर रही है.

Updated on: 18 Jan 2019, 04:37 PM

नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने गुरूवार को महाराष्ट्र में डांस बार के लिए लाइसेंस और कारोबार पर पाबंदी लगाने वाले कुछ प्रावधान को निरस्त कर दिया. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बीजेपी की नेतृत्व वाली राज्य सरकार इसे रोकने के लिए अध्यादेश लाने का विचार कर रही है. इस मामले पर महाराष्ट्र के वित्त मंत्री सुधीर मुंगंतीवार ने कहा, 'सुप्रीम कोर्ट के आदेश का विश्लेषण करने के बाद कानून और न्याय विभाग से बातचीत की जाएगी. हमने तय कर लिया है कि मुंबई में डांस बार पर रोक लगाने के लिए अगर अध्यादेश लाने की जरूरत हुई तो लाएंगे.'

महाराष्ट्र के वित्त मंत्री ने कहा, 'एक बार अदालत का आदेश मिलने पर हमारे वकील इसका अध्ययन करेंगे. उनकी सिफारिशों के आधार पर हम अगले दो हफ़्तों में एक अध्यादेश लाएंगे, जिसके तहत मौजूदा कानून में संशोधन को मजबूत किया जाएगा. '

मुंगंतीवार ने कहा कि राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करती है लेकिन वह अपने रुख पर कायम है. उन्होने बताया कि अगले हफ्ते राज्य मंत्रिमंडल की साप्ताहिक बैठक में इस मुद्दे पर विस्तार से चर्चा की जाएगी.

और पढ़ें: आरएसएस महासचिव भैय्याजी जोशी बोले-2025 तक बनेगा राम मंदिर 

बता दें कि न्यायमूर्ति ए के सीकरी की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने महाराष्ट्र के होटल, रेस्तरां और बार रूम में अश्लील नृत्य पर प्रतिबंध और महिलाओं की गरिमा की रक्षा संबंधी कानून, 2016 के कुछ प्रावधानों को निरस्त कर दिया. इसमें सीसीटीवी लगाने की अनिवार्यता और बार रूम और डांस फ्लोर के बीच विभाजन जैसे प्रावधान शामिल हैं.

फैसला सुनाते हुए, न्यायमूर्ति सिकरी ने कहा कि डांस स्टेज और पीने व खाने के लिए अलग-अलग जगह नहीं हो सकते. इसके साथ ही उन्होंने सीसीटीवी कैमरा 'आवश्यक' रूप से लगाने के भी प्रावधान को निजता का उल्लंघन करार देते हुए खारिज कर दिया. शीर्ष अदालत ने धार्मिक स्थलों और शिक्षण संस्थाओं से एक किलोमीटर दूर डांस बार खोलने की अनिवार्यता संबंधी प्रावधान निरस्त कर दिया. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने टिप के नाम पर पैसे उड़ाने की अनुमति नहीं दी. पीठ ने इन डांस बार के शाम 6 बजे से रात 11:30 बजे तक ही कार्यक्रम आयोजित करने की समय सीमा निर्धारित करने संबंधी प्रावधान सही ठहराया है.

(इनपुट-आइएएनएस)