जम्मू-कश्मीर, असम और नागालैंड से AFSPA को जल्द हटाया जा सकता है: किरण रिजिजू
केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू ने रविवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर और उत्तर पूर्व के जिन स्थानों पर सुरक्षा स्थिति में सुधार हुआ है वहां से आर्म्ड फोर्सेस स्पेशल पावर एक्ट (आफस्पा) हटाया जा सकता है।
highlights
- रिजिजू ने कहा कि पिछले चार सालों में उत्तर-पूर्व में सुरक्षा स्थिति में सुधार आया
- हाल ही में केंद्र सरकार ने मेघालय से आफस्पा को पूरी तरह हटा दिया था
- नागालैंड, असम, मणिपुर, अरुणाचल, जम्मू-कश्मीर में अब भी लागू है आफस्पा
नई दिल्ली:
केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू ने रविवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर और उत्तर पूर्व के जिन स्थानों पर सुरक्षा स्थिति में सुधार हुआ है वहां से आर्म्ड फोर्सेस स्पेशल पावर एक्ट (आफस्पा) हटाया जा सकता है।
किरण रिजिजू ने कहा, 'पिछले चार सालों में उत्तर पूर्व में सुरक्षा स्थिति में सुधार आया है, आफस्पा को कई इलाकों से हटाया भी गया है। हमें उम्मीद हैं कि आगे और सुधारों के बाद जल्द ही बाकी बचे इलाकों से इसे हटा लिया जाएगा।'
रिजिजू ने कहा कि सरकार के वार्ताकार और एनएससीएन-आईएम के बीच चल रही नागा शांति वार्ता पर भी ध्यान दिया है जा रहा है और सकारात्मक नतीजों के आने की उम्मीद है लेकिन इसके लिए हम समय सीमा नहीं दे सकते हैं।
बता दें कि हाल ही में केंद्र सरकार ने उत्तर पूर्व राज्य मेघालय से आफस्पा को पूरी तरह हटा दिया था, साथ ही अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों से भी इसे हटाया गया था।
लेकिन यह एक्ट अब भी नागालैंड, असम और अरुणाचल के तीन जिलों में लागू है।
उत्तर पूर्व और जम्मू-कश्मीर से विवादित कानून आफस्पा को हटाने की मांग लंबे समय से कई संगठनों की तरफ से की जा रही है। इन संगठनों का मानना है कि सुरक्षा बलों को नागरिकों के खिलाफ कार्रवाई की पूरी शक्ति मिल जाती है।
नागालैंड में आफ्स्पा कई दशकों से लगी है वहीं असम में 1990 के दशक के शुरुआत से लगी हुई है।
क्या है आफस्पा:
अफस्पा सेना और केंद्रीय सुरक्षा बलों को 'अशांत क्षेत्रों' में कानून का उल्लंघन करने पर किसी को भी मारने, बिना वारंट के तलाशी लेने और गिरफ्तारी करने की शक्ति देता है और केंद्र सरकार की मंजूरी के बिना अभियोजन और कानूनी मुकदमे से बलों को सुरक्षा प्रदान करता है।
यह पूरे नागालैंड, असम, मणिपुर (इंफाल के सात विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों को छोड़कर) में प्रभावी है। असम और मणिपुर की राज्य सरकारों के पास अब इस अधिनियम को बनाए रखने या रद्द करने की शक्तियां हैं।
गौरतलब है कि मणिपुर में इरोम शर्मीला ने आफ्सपा के खिलाफ 16 साल तक अनशन किया था। काफी लंबे समय से इस अधिनियम को हटाने की मांग की जा रही है। स्थानीय लोग अक्सर इस अधिनियम के खिलाफ प्रदर्शन करते रहे हैं।
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