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दिल्ली: जरूरी दवाओं को छोड़िए साबुन और दस्तानों के लिए भी मोहताज डॉक्टर

बताया जा रहा है कि अस्पताल के लिए जो बजट आवंटित किया उसका 85 फीसदी हिस्सा सैलरी देने में खर्च हो जाता है

Updated on: 08 Jul 2019, 12:59 PM

नई दिल्ली:

एक तरफ जहां सरकार लोगों के बेहतर स्वास्थ्य की बात कर रही है तो वहीं सरकारी अस्पतालों की हालत इन दावों के पोल खोलती नजर आ रही है. एक रिपोर्ट के मुताबिक कुछ सरकारी अस्पताल ऐसे हैं जहां डॉक्टरों को हाथ धोने के साबुन और दस्तानों के लिए भी मरीजों के परिजनों पर निर्भर रहना पड़ रहा है . ये हाल और कहीं का नहीं बल्कि देश की राजधानी दिल्ली का है. टाइम्स ऑफ इंडिया अखबार में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली के हिंदू राव अस्पताल में डॉक्टर मरीजों के परिजनों से साबुन और दस्ताने मांग कर अपना काम चला रहे हैं. ये अस्पताल उत्तरी दिल्ली नगर निगम के तहत संचालित होता है.

अस्पताल की ऐसी हालत देखते हुए वहां के रेजिडेंट डॉक्टरों ने भी प्रशासन को चिट्ठी लिखी है. रिपोर्ट के मुताबिक डॉक्टरों का कहना है कि वे कहते हैं कि अस्पताल की जरूरी चीजें भी जैसे IV ड्रिप,सुई धागे और दस्ताने भी खत्म हो रहे हैं.

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अस्पताल के एक सीनियर डॉक्टर राहुल चौधरी ने बताया कि उनका मरीज ऑपरेशन थिएटर में था और उनके परिजनों को साबुन और दस्ताने खरीदकर लाने के लिए कहा गया जिनकी कीमत सिर्फ 10 रुपए थी. ICU और OT में डॉक्टरों के हाथ धोने के लिए साबुन तक नहीं है.

केवल डॉक्टर ही नहीं अस्पताल में आने वाले कई आम लोग भी अस्पताल की हालत को लेकर चिट्ठी लिख चुके हैं. बच्चे की डिलीवरी करवाने आए कई माता-पिताओं ने प्रशासन को चिट्ठी लिख बताया है कि कैसे उनसे डॉक्टरों के लिए हाथ धोने का साबुन और मामूली दवा मंगवाई गई.

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बताया जा रहा है कि अस्पताल के लिए जो बजट आवंटित किया उसका 85 फीसदी हिस्सा सैलरी देने में खर्च हो जाता है ऐसे में 15 फीसदी वेतन में अस्पताल की बुनियादी जरूरतें पूरी करना भी मुश्किल हो जाता है.