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Cortisol Hormone: क्या है कोर्टिसोल हार्मोन जो डायबिटीज और ब्लड प्रेशर के लिए बन सकता है बड़ा खतरा

हार्ट अटैक को लेकर लोगों के पुराने मिथ टूटते जा रहे हैं. पहले जहां इसका कारण खराब पान, धूम्रपान और बढ़ती उम्र को माना जाता था. वहीं अब इसके कारण बदलते जा रहे हैं.

Updated on: 07 Mar 2023, 01:04 PM

नई दिल्ली:

हार्ट अटैक को लेकर लोगों के पुराने मिथ टूटते जा रहे हैं. पहले जहां इसका कारण खराब खान पान, धूम्रपान और बढ़ती उम्र को माना जाता था. वहीं अब इसके कारण बदलते जा रहे हैं. हाल ही में अभिनेत्री सुष्मिता सेन को हार्ट अटैक (Heart Attack) आया था. इसके पीछे कार्टिसोल हार्मोन (Cortisol Hormone) को जिम्मेदार माना गया. ये ऐसा हार्मोन है जो डायबिटीज (Diabetes) से लेकर ब्लड प्रेशर (Blood Pressure) और क्लॉटिंग (Blood Clotting) तक के लिए जिम्मेदार माना जाता है. इन हार्मोन के असंतुलित होने के कारण ये जानलेवा सिद्ध होता है. कोर्टिसोल (Cortisol) स्टेरॉयड हॉर्मोन है जो ग्लूकोकार्टिकोइड हार्मोन का एक वर्ग है. ये एड्रेनल ग्लैंड तैयार होता है. ये शरीर की अधिकतर कोशिकाओं में कोर्टिसोल रिसेप्टर्स होते हैं. यह अधिवृक्क ग्रंथियों में तैयार होते हैं. ये शरीर के चयापचय को कंट्रोल करते हैं. मानसिक तनाव के लिए भी  कोर्टिसोल हॉर्मोन जिम्मेदार माना जाता है. इस वजह से इसे ‘स्ट्रेस हार्मोन’ भी कहा जाता है. इस हार्मोन के बढ़ने के बाद से शरीर को क्या-क्या खतरे हो सकते हैं, वह इस प्रकार हैं.

किस तरह से बढ़ जाता है कोर्टिसोल हार्मोन?

कोर्टिसोल हार्मोन रक्त शर्करा को कंट्रोल करता है. इसके साथ ऊर्जा के स्तर को बढ़ाता है. ये रासायनिक और हार्मोनल संतुलन बनाने में असमर्थ होते हैं. अस्थाई रूप से ऊर्जा के स्तर को बढ़ाने के लिए हार्मोन शरीर को अतिरिक्त ग्लूकोज से भर देता है. तनाव की वजह से कोर्टिसोल हार्मोन ग्लूकोज का रास्ता रोकता है, जो शरीर में इंसुलिन के उत्पादन को रोक देता है. हालां​कि, जब  शरीर में कोर्टिसोल का स्तर बढ़ जाता है, तो शरीर में सामान्य इंसुलिन प्रतिरोधी स्थिति बनती है. मगर जब ग्लूकोज का ज्यादा उत्पादन होता है, तो उच्च शर्करा के स्तर को जन्म देता है. यह मधुमेह को बढ़ता है. शरीर में ग्लूकोज की मात्रा ज्यादा होने से टाइप-2 डायबिटीज का खतरा बढ़ता है. 

कोर्टिसोल उच्च रक्तचाप के लिए कैसे है जिम्मेदार?

इसके कारण उच्च रक्तचाप में कोर्टिसोल हार्मोन अहम भूमिका निभाता है. कोर्टिसोल शरीर में पानी के साथ सोडियम के स्तर को नियंत्रित करता है. जब ये हार्मोन उच्च स्तर पर होता है तो सोडियम का स्तर भी बढ़ जाता है. इससे धमनियों में रक्त का दबाव बढ़ता है.

मधुमेह और उच्च रक्तचाप बढ़े हुए कोर्टिसोल के स्तर का परिणाम 
 
शरीर में रक्त के फ्लो को बनाए रखने के लिए कोर्टिसोल हार्मोन जरूरी है. उच्च कोर्टिसोल सामग्री रक्त शर्करा के स्तर को बढ़ा देता है. ये उच्च रक्तचाप का कारण बन सकता है. कोर्टिसोल बढ़ने की वजह से शरीर में ग्लूकोज की मात्रा को अधिक कर देता है. आप इस तरह से समझ सकते हैं कि कोर्टिसोल हार्मोन इंसुलिन जारी करता है. यह जीएलपी-1 के उत्पादन को कम करता है. इससे शरीर में इंसुलिन के स्तर में कमी आती है. इसके साथ समय के साथ शरीर में कोर्टिसोल हार्मोन कुशिंग सिंड्रोम का कारण होता है. 

इसे कैसे​ नियंत्रित किया जाए

1. सबसे पहले अच्छी नींद इसे नियंत्रित करने में मददगार होगी. अनिद्रा की वजह से कोर्टिसोल का स्तर बढ़ने लगता है. 

2. नियमित व्यायाम से कोर्टिसोल के स्तर को संतुलित किया जा सकता है. अच्छी कसरत कोर्टिसोल के स्तर को बढ़े और कम करने से रोकती है. व्यायाम के दो फायदे हैं. पहला शरीर बेहतर होता है, वहीं नींद की गुणवत्ता में सुधार आता है. 

3. तनाव को कम करने के लिए ध्यान लगाना अच्छा है. इससे तनाव खत्म होता है. वहीं कोर्टिसोल हार्मोन को संतुलित करने में मदद मिलती है. 

4. स्वस्थ और बेहतर आहार से इसे कंट्रोल किया जा सकता है. उच्च चीनी सामग्री के साथ तेल और घी से बचने का प्रयास करें. ये शरीर में कोर्टिसोल के स्तर को बढ़ातें हैं. ये स्वास्थ्य शरीर को प्रभावित करता है.