अगर आप भी सोने से पहले देखते हैं मोबाइल तो ये खबर आपके लिए, हो जाएं सावधान
रात में मोबाइल या किसी दूसरे इलेक्ट्रॉनिक गैजेट का इस्तेमाल करने से स्लीपिंग हार्मोन ‘मेलाटोनिन’ का उत्पादन डिस्टर्ब होता है, जिसकी वजह से लोगों को गहरी नींद नहीं आती.
नई दिल्ली:
स्मार्ट फोन के आने के बाद से ये देखा गया है कि हर कोई रात में सोने से पहले उसी से चिपका रहता है और लॉकडाउन में ये आदत लोगों में और ज्यादा बढ़ गई है. कुछ लोग तो इतने ज्यादा आदती हो चुके हैं कि अगर रात को वो अपने मोबाइल पर दिन भर के अपडेट्स ने चेक कर लें तो उन्हें नींद ही नहीं आती है. अगर आप भी इस आदत के शिकार हो चुके हैं तो तुरंत इस आदत को बदल डालिए नहीं तो आपको इस आदत के गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं.
वनपोल का सर्वे के मुताबिक, नींद विशेषज्ञों का कहना है कि रात में मोबाइल या किसी दूसरे इलेक्ट्रॉनिक गैजेट का इस्तेमाल करने से स्लीपिंग हार्मोन ‘मेलाटोनिन’ का उत्पादन डिस्टर्ब होता है, जिसकी वजह से लोगों को गहरी नींद नहीं आती. इतना ही नहीं अगर आप सुबह देर तक सोते रहते हैं तब भी आपको सुबह वो ताजगी नहीं महसूस होती है जो कि एक नींद पूरी होने के बाद मिलती है.
ब्रिटेन की राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा के डॉ. रंज सिंह ने मीडिया से बातचीत में बताया कि आपको एक अच्छी नींद के लिए इस बात का जानना सबसे ज्यादा जरूरी है कि सोने से ठीक पहले किए जाने वाले काम का नींद पर क्या असर पड़ता है. सोने से पहले अगर हम भारी भोजन लेते हैं या फिर कैफेन युक्त पेय पीते हैं तो नींद में दिक्कत होती है इसके अलावा व्यायाम करके सोना भी अच्छी नींद में बाधा डालता है. इसी तरह से मोबाइल इस्तेमाल करने के बाद सोने से नींद लाने वाले कारक उतने सक्रिय नहीं हो पाते हैं.
सोने से पहले मोबाइल से एक घंटे पहले ही बनाएं दूरी
डॉक्टर सिंह के मुताबिक आपको गहरी नींद के लिए टेलीविजन, मोबाइल या अन्य किसी इलेक्ट्रॉनिक गैजेट से एक घंटे पहले ही दूरी बनानी चाहिए. क्योंकि इन गैजेट्स से निकलने वाली रोशनी दिमाग में उन हॉर्मोंस को प्रभावित कर देती है जिनके सक्रिय होने के बाद ही आप एक गहरी नींद ले सकते हैं इसलिए ऐसे में हमें सोने से ठीक एक घंटे पहले ही स्क्रीन से दूरी बना लेनी चाहिए ताकि हम एक अच्छी नींद ले सकें.
सोने से पहले पढ़ना ज्यादा बेहतर विकल्प
डॉ सिंह ने आगे बताया कि अगर आपको रात में जल्दी नींद नहीं आने की समस्या है तो आप इस समस्या से बहुत आसानी से निजात पा सकते हैं वो भी बिना किसी दवा के बस आपको अपने मोबाइल स्क्रीन से दूरी बनाकर रखनी होगी. हां अगर आप मोबाइल स्क्रीन की बजाए किताब या अखबार पढ़ेंगे तो वो आपके लिए ज्यादा लाभप्रद होगा. डॉ सिंह ने बताया कि किताब स्क्रीन की तरह ‘मेलाटोनिन’ सहित अन्य हार्मोन के सक्रिय होने में बाधा नहीं डालती इस लिहाज से जो लोग यह मानते हैं कि सोने से पहले किताब पढ़ना ठीक नहीं, वे पूरी तरह से गलत हैं.
लॉकडाउन की वजह से रात में मोबाइल का इस्तेमाल बढ़ा
पिछले कुछ महीनों से देश में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से लोगों को लॉकडाउन का सामना करना पड़ा जिसकी वजह से लोगों को देर रात तक मोबाइल पर बिजी रहना पड़ा. लंदन के किंग्स कॉलेज ने अपने शोध में पाया कि लॉकडाउन के बाद से लोग रात में फोन पर ज्यादा समय बिता रहे हैं जिसकी वजह से उन्हें गहरी नींद से वंचित होना पड़ा. आपको बता दें कि इसके पीछे तनाव भी एक बड़ा कारण है.
शारीरिक जरूरतें तय करती हैं नींद का समय
वैसे तो लोगों में ये अवधारणा बनी हुई है कि एक व्यक्ति को 8 घंटे सोने के लिए काफी समय होता है लेकिन रोजाना 8 घंटे की नींद काफी माना जाना सही नहीं है. डॉ. सिंह के मुताबिक किसी भी व्यक्ति की शारीरिक जरूरतों के हिसाब से उसके सोने का समय कम या ज्यादा हो सकता है. कुछ लोगों के लिए सात घंटे की नींद पर्याप्त होता है तो कुछ को नौ घंटे सोने की जरूरत पड़ती है.
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