विश्व हृदय दिवस: दिल की सेहत का रखें ख्याल, इन लक्षणों को न करें नजरअंदाज
दुनियाभर में होने वाली हर तीन में से एक मौत दिल संबंधी रोगों के कारण होती है। विश्व हृदय दिवस पर हमें इसके लक्षण की जानकारी होनी चाहिए और इसे अनदेखा नहीं करना चाहिए।
नई दिल्ली:
दुनियाभर में होने वाली हर तीन में से एक मौत दिल संबंधी रोगों के कारण होती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक 2015 में दिल के रोग के कारण 17.7 मिलियन लोग अपनी जान खो बैठे है। इन चौका देने वाले आंकड़ों में ये खुलासा हुआ है कि 7.4 मिलियन लोगों को कोरोनरी दिल के रोग के कारण मृत्यु हुई वही 6.7 मिलियन लोग स्ट्रोक के कारण अपनी जान गंवा बैठे।
छोटी-छोटी ऐसी कई बीमारियां हैं जो गंभीर हृदय रोगों का कारण बन सकती हैं। ऐसे में हमें इसके लक्षण की जानकारी होनी चाहिए और इसे अनदेखा नहीं करना चाहिए। विश्व हृदय दिवस पर जेपी हॉस्पिटल के हृदय रोग विभाग की निदेशक डॉ. गुंजन कपूर ने हृदय रोगों से संबंधित जोखिमें की पहचान बताई।
- दिल का दौरा : कोरोनरी धमनी रोग या दिल का दौरा ऐसी ही बीमारी है जिससे हृदय गंभीर रूप से बीमार हो सकता है और मरीज की जान को जोखिम पहुंचा सकता है। कोरोनरी धमनी रोग होने पर हृदय की मांसपेशियों में रक्त की आपूर्ति कम हो जाती है और धीरे-धीरे रक्त प्रवाह पूरी तरह बंद हो जाता है।
- ब्लड शुगर लेवल : जो मरीज मधुमेह से पीड़ित होते हैं उनमें हृदयघात होने की संभावना बढ़ जाती है। एक आंकड़े के अनुसार सामान्य लोगों की अपेक्षा मधुमेह रोगियों में दिल का दौरा पड़ने की संभावना 2 से 4 गुना बढ़ जाती है। इसलिए ब्लड शुगर लेवल का पूरा ध्यान रखना चाहिए।
- ब्लड प्रेशर लेवल : उच्च रक्तचाप भी हृदय रोग होने का एक महत्वपूर्ण कारक है। चिकित्सकीय जगत में इसे साइलेंट किलर भी कहा जाता है। उच्च रक्तचाप में व्यक्ति को सिरदर्द एवं चक्कर आने जैसे लक्षण महसूस होते हैं, लेकिन कई बार ऐसा होता है कि मरीजों को उच्च रक्तचाप से संबंधित किसी लक्षण का पता ही नहीं लग पाता और यह गंभीर हृदय रोगों में बदल जाता है।
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जब रक्तचाप का लेवल सामान्य से कम हो जाता है तो उसे निम्न रक्तचाप कहते हैं। लोग खासकर दुबली-पतली महिलाओं को यह गलतफहमी होती है कि वे निम्न रक्तचाप से पीड़ित हैं। ऐसी महिलाएं अपने शरीर में होने वाली किसी भी बदलाव को निम्न रक्तचाप से जोड़कर देखती हैं, जबकि यह सही नहीं है।
निम्न रक्तचाप के कुछ प्रमुख कारण हैं- लंबे समय तक बेड पर रहना, गर्भावस्था के शुरू के 6 महीने, अत्यधिक रक्तस्राव, गंभीर संक्रमण और सेप्सिस, हार्ट अटैक, गंभीर एलर्जी, रिएक्शन (एनाफिलेक्सिस) और हार्मोन संबंधी समस्याएं।
कोलेस्ट्रॉल लेवल : कोलेस्ट्रॉल वसायुक्त पदार्थ है जो हमारे शरीर में होता है। दिमाग और सेलुलर फंक्शंस को बनाने के लिए कोलेस्ट्रॉल की कुछ मात्रा की आवश्यकता होती है।
हमें कोलेस्ट्रॉल दो स्रोतों से प्राप्त होता है। पहला लिवर संश्लेषण के बाद हमें कोलेस्ट्रॉल प्राप्त होता है और दूसरा हम अपने आहार से सीधे कोलेस्ट्रॉल ग्रहण करते हैं। ताड़ और नारियल के तेल जैसे कुछ फल लिवर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को बढ़ा सकते हैं।
उच्च रक्तचाप से होने वाली बीमारियां :
- हृदयघात
- स्ट्रोक
- दिल का दौरा (दिल का फैलना व पंपिंग फंक्शन का कमजोर होना)
- गुर्दा रोग या गुर्दा का फेल होना
- आंखों की रोशनी खोना
- पुरुषों में यौन रोग
- पेरिफेरल धमनी रोग, जिसमें पैर, हाथ, पेट और आंत में रक्त की आपूर्ति घट जाती है।
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