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धारा 370 पर BJP अध्यक्ष अमित शाह ने कहा- 'यह मुद्दा हम नहीं छोड़ेंगे, 370 मुमकिन है'

भारतीय संविधान की धारा 360 जो वित्तीय आपातकाल से सम्बंधित है, वह धारा 370 के चलते जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होती.

Updated on: 19 Apr 2019, 09:41 AM

नई दिल्ली:

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के अध्यक्ष अमित शाह ने मतदान परिणाम से पहले ही बीजेपी की बड़ी जीत ऐलान कर दिया है. उन्होंन एक निजी चैनल से बातचीत के दौरान कहा, '2019 के लोकसभा चुनाव में आम जनता उन्हें साल 2014 के चुनाव से भी बड़ी जीत दिलाएगी.' इसके साथ ही उन्होंने बसपा सपा के गठबंधन पर हमला बोलते हुए कहा, 'विधानसभा में सपा-कांग्रेस का गठबंधन हुआ था लेकिन हमें इससे कोई फर्क नहीं पड़ा था. ऐसे ही लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा के एक होने से भी कोई फर्क नहीं पड़ने वाला.'

वहीं धारा 370 के मुद्दें पर अमित शाह ने कहा, ' सभी को पता है कि राज्यसभा में हमें बहुमत नहीं था. यह मुद्दा हम 1950 से लेकर चल रहे हैं, जब तक नहीं होगा, यह मुद्दा हम छोड़ेंगे नहीं. यह मुमकिन है. जब मोदी सरकार में इतनी योजनाएं मुमकिन हैं तो 370 भी मुमकिन है. .'

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और महबूबा मुफ्ती पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा 'चाहे राहुल गांधी हों या फिर महबूबा मुफ्ती, जब तक भारतीय जनता पार्टी के एक भी कार्यकर्ता के शरीर में प्राण है, कश्मीर को हिन्दुस्तान से कोई अलग नहीं कर सकता. इतना सरल नहीं है. यह 1947 का नेतृत्व नहीं है और न ही 1947 वाली पार्टी की सरकार है. इस देश के टुकड़े कोई नहीं कर सकता.'

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धारा 370 जम्मू-कश्मीर के विशेषाधिकार

धारा 370 के प्रावधानों के अनुसार, संसद को जम्मू-कश्मीर के बारे में रक्षा, विदेश मामले और संचार के विषय में कानून बनाने का अधिकार है, लेकिन किसी अन्य विषय से संबंधित क़ानून को लागू करवाने के लिए केंद्र को राज्य सरकार का अनुमोदन चाहिए.

इसी विशेष दर्जें के कारण जम्मू-कश्मीर राज्य पर संविधान की धारा 356 लागू नहीं होती, इसी कारण राष्ट्रपति के पास राज्य के संविधान को बरख़ास्त करने का अधिकार नहीं है

1976 का शहरी भूमि क़ानून जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होता. इसके तहत भारतीय नागरिक को विशेष अधिकार प्राप्त राज्यों के अलावा भारत में कही भी भूमि ख़रीदने का अधिकार है. यानी भारत के दूसरे राज्यों के लोग जम्मू-कश्मीर में ज़मीन नहीं ख़रीद सकते हैं.

भारतीय संविधान की धारा 360 जिसमें देश में वित्तीय आपातकाल लगाने का प्रावधान है, वह भी जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होती. 

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धारा 370 की खास बातें

- जम्मू-कश्मीर के नागरिकों के पास दो नागरिकता होती है- एक जम्मू-कश्मीर की दूसरी भारत की.

- जम्मू-कश्मीर का अपना अलग राष्ट्रध्वज होता है .

- जम्मू-कश्मीर की विधानसभा का कार्यकाल 6 वर्षों का होता है जबकि भारत के अन्य राज्यों की विधानसभाओं का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है.

- जम्मू-कश्मीर के अन्दर भारत के राष्ट्रध्वज या राष्ट्रीय प्रतीकों का अपमान अपराध नहीं होता है.उदाहरण के लिये यदि आप जम्मू-कश्मीर में जाकर भारत के तिरंगे का अपमान कर देते हैं तो इसे अपराध नहीं माना जायेगा.

- भारत के उच्चतम न्यायालय यानी सुप्रीम कोर्ट के आदेश जम्मू-कश्मीर के अन्दर मान्य नहीं होते.

- भारतीय संविधान की धारा 360 जो वित्तीय आपातकाल से सम्बंधित है, वह धारा 370 के चलते जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होती.

- भारतीय संविधान का भाग 4 में राज्यों के नीति निर्देशक तत्त्वों का प्रावधान है और भाग 4A में नागरिकों के मूल कर्तव्य गिनाये गए हैं, पर दिलचस्प बात यह है कि कोई भी नीति निर्देशक तत्व या कोई भी मूल कर्तव्य जम्मू कश्मीर में लागू नहीं होता.

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- धारा 370 के चलते कश्मीर में RTI (Right to Information) लागू नहीं है . RTE (Right to Education) लागू नहीं है . CAG लागू नहीं होता . भारत का कोई भी कानून जम्मू-कश्मीर में लागू नहीं होता.

- कश्मीर में महिलाओं पर शरियत कानून लागू है.

- कश्मीर में पंचायत का कोई प्रावधान नहीं है.

- कश्मीर में अल्पसंख्यको [हिन्दू- सिख] को 16% आरक्षण नहीं मिलता.

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- जम्मू-कश्मीर की कोई महिला यदि भारत के किसी अन्य राज्य के व्यक्ति से विवाह कर ले तो उस महिला की नागरिकता समाप्त हो जाएगी.

- इसके विपरीत यदि वह पकिस्तान के किसी व्यक्ति से विवाह कर ले तो उसे भी जम्मू-कश्मीर की नागरिकता मिल जाएगी.