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क्या 2018 में दलित आंदोलन के वक्त लड़के को लगी थी गोली? जानिए वायरल तस्वीर का सच 

फोटो में एक लड़के को घुटनों पर खून से लथपथ शर्ट पहने हुए दिखाया गया है. पड़ताल में पाया गया कि तस्वीर के साथ किया दावा पूरी तरह से गलत था. 

Updated on: 05 Apr 2022, 02:21 PM

highlights

  • फोटो में एक लड़के को घुटनों पर खून से लथपथ शर्ट पहने हुए दिखाया गया है
  • पड़ताल में पाया गया कि तस्वीर के साथ किया दावा पूरी तरह से गलत था

नई दिल्ली:

चार साल पहले यानि 2018 में कई राज्यों में लाखों लोग अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति  अधिनियम के प्रावधानों के कमजोर पड़ने का विरोध कर रहे थे. भारी संख्या में भीड़ सड़कों पर उतर आई थी. 2 अप्रैल, 2018 को विरोध मार्च हिंसक हो गया और कई लोग घायल हो गए और यहां तक ​​कि मारे गए. अब चार साल बाद, विरोध मार्च की बरसी पर एक तस्वीर सोशल मीडिया पर इस दावे के साथ वायरल हुई है कि यह गाजियाबाद के निखिल धोबी की है, जो कथित तौर पर हिंसा के दौरान मारा गया था. फोटो में एक लड़के को घुटनों पर खून से लथपथ शर्ट पहने हुए दिखाया गया है. पड़ताल में पाया गया कि तस्वीर के साथ किया दावा पूरी तरह से गलत था. वायरल हो रही तस्वीर अभी भी एक फिल्म की है.

2 अप्रैल, 2018 को दलित संगठनों द्वारा भारत बंद का आयोजन किया गया था, जिसे उन्होंने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के कमजोर होने के  रूप में देखा था. मगर यह विरोध अचानक हिंसक हो उठा. दिल्ली, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पंजाब और बिहार समेत कई राज्यों में हिंसा की सूचना मिली थी. जांच के लिए न्यूज नेशन की टीम ने गूगल Google पर कई कीवर्ड सर्च किए. इसमें पता करने की कोशिश की गई  कि क्या मरने वालों में निखिल धोबी नाम का लड़का शामिल है. मगर हमें ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं मिली, जो इस दावे की पुष्टि करती हो.

इसी तरह, हमने विरोध के दौरान गाजियाबाद में हुई हिंसा की खबरों को भी देखा. 4 अप्रैल, 2018 की एक रिपोर्ट के अनुसार, गाजियाबाद में विरोध प्रदर्शन के दौरान हंगामा करने और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान के आरोप में लगभग 5 हजार लोगों पर मामला दर्ज किया गया  था. जबकि नौ पुलिसकर्मी घायल हुए थे.