Bob Biswas ने छोड़ा झकझोरने वाला सवाल, क्या कोमा के बाद व्यक्तित्व में लौट सकता है इंसान?
बॉब बिस्वास हाल ही में ज़ी5 पर रिलीज़ हुई है. फिल्म ने लोगों के लिए सवाल छोड़ दिया है कि किसी शख्स की याद्दाश्त जाने के बाद वापस आ जाती है तो वह धीरे-धीरे अपने परिवार, दोस्तों को तो याद कर सकता है. लेकिन क्या वो अपना व्यक्तित्व वापस पा सकता है?
नई दिल्ली :
बॉब बिस्वास (Bob Biswas) हाल ही में ज़ी5 पर रिलीज़ हुई है. इसके साथ ही फिल्म पर रिव्यू आने भी शुरू हो गए हैं. लेकिन हम आज उसी घिसी-पिटी बातों जैसे फिल्म के किरदार, संगीत, कहानी, स्क्रीन प्ले आदि पर बात नहीं करेंगे. बल्कि हम बात करने वाले हैं उस सवाल पर, जिसका जवाब फिल्म ने लोगों पर छोड़ दिया है. वो सवाल है कि अगर किसी शख्स की याद्दाश्त जाने के बाद वापस आ जाती है तो वह धीरे-धीरे अपने परिवार, दोस्तों और सहकर्मियों को तो याद कर सकता है. पुरानी आदतों में भी लौट सकता हैं. लेकिन क्या वो अपना व्यक्तित्व वापस पा सकता है? क्या वो पहले की तरह सही-गलत, अच्छे-बुरे की पहचान कर सकता है? क्या वो अपने मूल्यों को याद कर पाता है या फिर पूरी तरह से बदल जाता है?
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फिल्म की शुरुआत इस तरह से होती है कि बॉब बिस्वास (Bob Biswas)आठ साल से कोमा में रहने के बाद बाहर आता है. जहां वो अपनी मेमोरी खो चुका होता है. हालांकि, वो कोमा में कैसे गया, इसका कारण कहानी में नहीं दिखाया गया है. फिर बॉब को उसकी पत्नी (चित्रांगदा सिंह) और उसके दोनों बच्चों (समारा तिजोरी, रोनिथ अरोड़ा) के बारे में बताया जाता है. साथ ही उसे बताते हैं कि वो इंश्योरेंस सेल्समैन का काम किया करता था. जिसके बाद बॉब अपनी नॉर्मल लाइफ जीने की कोशिश करता है, लेकिन उसका अतीत उसके सामने आकर खड़ा हो जाता है और एक बार फिर उसे उसी दलदल में ढकेलने की कोशिश करता है, जिससे वो पिछले 8 सालों से दूर था. हम बात कर रहे हैं कॉन्ट्रैक्ट किलिंग की, बॉब का पुराना सीक्रेट बॉस उसे दोबारा इस काम को करने के लिए कहता है.
जिसके बाद धीरे-धीरे बॉब (Bob Biswas)को ये सारी चीज़ें याद आ जाती हैं कि वो किस तरह से बंदूक को असेंबल कर इस्तेमाल करता था. लेकिन इस नए बॉब में कहीं न कहीं एक चिंता थी कि क्या वो ये सब सही कर रहा है. वो खुद से सवाल करता है कि क्या उसे ये काम जीने के लिए करना चाहिए? या फिर वो इसी के लिए बना है? फिर धीरे-धीरे बॉब इन सवालों को पीछे छोड़ते हुए एक्शन मे आ जाता है और लोगों को मारने लगता है.
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बॉब बिस्वास (Bob Biswas) के रूप में अभिषेक बच्चन (Abhishek Bachchan) की एक्टिंग लोगों को खूब भाई. लेकिन फिल्म में कई कमियां रही. फिल्म का स्क्रीन प्ले कुछ जगहों पर कमज़ोर रहा. फर्स्ट हाफ तक मूवी ने लोगों को बांधे रखा, लेकिन उसके बाद कहानी बोरिंग लगने लगी. साथ ही और भी कई सवाल रहे, जिसके जवाब फिल्म में नहीं मिले. जैसे बॉब सीरियल किलर कैसे बना? जब वो अकेला था, क्या तब भी वो ऐसा ही हुआ करता था?
खैर बात की जाए फिल्म की तो अभिषेक बच्चन के साथ चित्रांगदा सिंह (Chitrangda Singh) और विद्दा बालन (Vidya Balan) लीड रोल में हैं. ये एक क्राइम-थ्रिलर फिल्म है, जिसे सुजॉय घोष (Sujoy Ghosh) की बेटी दिव्या अन्नपूर्णा घोष (Divya Annapurna Ghosh) ने डायरेक्ट किया है. बता दें कि दिव्या के निर्देशन में बनी ये पहली फिल्म है. हालांकि, उनका काम देखकर ये बिल्कुल नहीं कहा जा सकता कि दिव्या पहली बार फिल्म डायरेक्ट कर रही हैं.
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