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दिल्ली: पुणे के व्यापारी को 11 साल के बेटे सहित कैब चालक ने किया अपहरण, पुलिस रात भर सोती रही!

देश की राजधानी की पुलिस के 'शांति सेवा और न्याय' नारे पर कतई विश्वास मत कीजिए. यह सब फरेब है. कुछ ऐसा ही अनुभव रहा है पुणे के एक व्यापारी पिता और उनके 11 साल के पुत्र का.

Updated on: 15 Nov 2019, 01:52 PM

नई दिल्ली:

देश की राजधानी की पुलिस के 'शांति सेवा और न्याय' नारे पर कतई विश्वास मत कीजिए. यह सब फरेब है. कुछ ऐसा ही अनुभव रहा है पुणे के एक व्यापारी पिता और उनके 11 साल के पुत्र का. दोनों का 1 नवंबर 2019 की रात अपहरण कर लिया गया. अपहरणकर्ता कैब ड्राइवर और उसके साथी पिता-पुत्र को रात भर कार में लेकर घूमते रहे, मगर स्कॉटलैंट पुलिस की स्टाइल पर काम का दम भरने वाली दिल्ली पुलिस को कान-ओ-कान भनक तक नहीं लगी.

इतना ही नहीं चार शराबी, दो जुआरी और आए-दिन भगोड़े घोषित गली-कूचों के छोटे-मोटे अपराधियों को पकड़ कर तुरंत मीडिया में खबर छपवाने की शौकीन, दिल्ली पुलिस इतनी बड़ी घटना को 15 दिन से दबाए बैठी है. महज इसलिए कि उसके 'शांति सेवा और न्याय' के नारे पर कालिख न पुते.

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पुलिस सूत्रों ने आईएएनएस को शुक्रवार को बताया, 'देश की राजधानी में रुह कंपा देने वाली इस घटना के शिकार व्यापारी ने अपहरणकतार्ओं के चंगुल से छूटने के बाद नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पुलिस को सूचना दी. तब नई दिल्ली थाना पुलिस की नींद खुली.'

घटनाक्रम के मुताबिक, "पीड़ित पिता-पुत्र घटना वाले दिन आगरा से रात करीब 11 बजे नई दिल्ली स्टेशन पर पहुंचे. उन्होंने मोबाइल एप से एक कैब बुक कराई. दोनों को नई दिल्ली स्टेशन से दिल्ली हवाई अड्डे जाना था. थोड़ी देर में एक एसियंट कार (कैब) लेकर ड्राइवर पहुंच गया. पिता पुत्र को लेकर कैब जैसे ही कनाट प्लेस के आसपास मौजूद एक अंडरब्रिज के नीचे (संभवतय: मिंटो ब्रिज) पहुंची, तो ड्राइवर ने रास्ते में मिले तीन-चार अन्य लोगों को भी कार में बैठा लिया."

पुलिस सूत्रों ने बताया, 'उन अजनबियों ने कार में बैठते ही पिता-पुत्र को हथियारों के बल पर काबू कर लिया. अनजान शहर में इस जानलेवा मुसीबत में फंसते ही पिता-पुत्र को मौत सामने खड़ी नजर आने लगी. दोनों ने समझदारी हिम्मत से काम लिया. अपहरणकतार्ओं ने जैसा कहा वे दोनो वैसा ही करते गये. अपहरणकतार्ओं ने एटीएम कार्ड लूट कर नकदी भी निकाली. इसके बाद बदमाश कई घंटे तक पिता-पुत्र को लेकर राजधानी की सड़कों पर घूमते रहे. जबकि सड़क पर आधी रात को हुए इस सनसनीखेज अपहरण से 'शांति, सेवा न्याय' का नारा पुलिस कंट्रोल रुम की जिप्सियों पर लिखाये हुए दिल्ली पुलिस कथित नाइट पेट्रोलिंग ड्यूटी का ढोंग करती रही.'

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कुछ समय बाद पिता-पुत्र को पूर्वी दिल्ली के एक मकान में ले जाकर बंद कर दिया गया. इसके बाद दुस्साहसी अपहरणकर्ता पीड़ित व्यापारी के ही मोबाइल से सवारियां बुक करते रहे. पुलिस सूत्रों के मुताबिक, 'पिता-पुत्र से मिली जानकारी के बाद नींद से जागी पुलिस ने वारदात में इस्तेमाल कार को बाद में लावारिस हालत में मेरठ एक्सप्रेस से बरामद कर लिया.'

वारदात के वक्त सोती रही और मामले को दबाये बैठी दिल्ली पुलिस अब इस सनसनीखेज अपहरण में कुख्यात मेवात गैंग का हाथ मान रही है. यह अलग बात है कि, घटना में शामिल अपहरणकतार्ओं तक दिल्ली पुलिस अभी नहीं पहुंची है. भले ही कहने देखने-सुनने को पुलिस और कानून के हाथ बहुत लंबे होते हों.

पुलिस को दी शिकायत के मुताबिक तो, अपहरणकतार्ओं ने पिता-पुत्र की आंखों पर काली पट्टी भी बांध दी थी. सवाल यह पैदा होता है कि एक कार में चार-पांच लोगों के बीच आंख पर काली पट्टी बांधकर बैठे पिता-पुत्र भी आखिर दिल्ली पुलिस को नजर क्यों नहीं आये?

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पुलिस के सूत्र तो यह भी बताते हैं, कि दिल्ली की 'ओवर-स्मार्ट' पुलिस को गच्चा देने वाले अपहरणकर्ता अपना काम करने के बाद पिता-पुत्र को कश्मीरी गेट इलाके में फेंक कर चले गये. तब वे दोनों पुलिस के पास पहुंचे.