जानें अपने अधिकार: संविधान हर नागरिक को उपलब्ध कराता है धर्म की आज़ादी
साल 1976 में भारतीय संविधान के 42वें संशोधन के बाद भारत 'धर्मनिरपेक्ष राज्य' बना। संविधान का अनुच्छेद 25-28 धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार को सुनिश्चित करता है।
highlights
- राज्य दो धर्मों के आधार पर किसी के साथ भेदभाव नहीं कर सकता है
- संविधान का अनुच्छेद 25-28 धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार को सुनिश्चित करता है
- भारतीय संविधान में किसी भी धर्म को न मानने वाले व्यक्ति को स्थान नहीं दिया गया है
नई दिल्ली:
भारत में हर व्यक्ति को एक ख़ास धर्म स्वीकार करने की स्वतंत्रता मिली हुई है। समानता, अभिव्यक्ति और जीने की स्वतंत्रता के अधिकारों के साथ ही धार्मिक स्वतंत्रता को भी संविधान के मौलिक अधिकार में शामिल किया है।
पिछले कुछ सालों में भारत जैसे धर्म-निरपेक्ष देश के अंदर धर्म को लेकर ज़बरदस्त बहस हुई हैं, ख़ासकर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के 2014 में सत्ता में आने के बाद हिंदुत्व और हिंदू धर्म को लेकर कई सवाल खड़े हुए हैं।
साथ ही धर्म परिवर्तन और लव जिहाद जैसे शब्द काफ़ी ज़्यादा चर्चित रहे हैं, ऐसे में यह जानना ज़रूरी है कि आप देश में किस तरह अपने धर्म को चुनने के लिए स्वतंत्र हैं।
धार्मिक विविधताओं से भरे भारत में सभी व्यक्ति को स्वतंत्रता मिली हुई है कि वह अपने तरीके से अपने धर्म का अभ्यास या प्रचार प्रसार कर सकता है।
साल 1976 में भारतीय संविधान के 42वें संशोधन के बाद भारत 'धर्मनिरपेक्ष राज्य' बना। संविधान का अनुच्छेद 25-28 धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार को सुनिश्चित करता है और भारत को एक धर्म-निरपेक्ष राज्य बताता है।
जानिए क्या है धर्म को लेकर आपके अधिकार
- भारत (राष्ट्र) के पास कोई भी अपना आधिकारिक धर्म नहीं है
- राज्य दो धर्मों के आधार पर किसी के साथ भेदभाव नहीं कर सकता है
- अनुच्छेद-25: आप राज्य की सार्वजनिक व्यवस्था, नैतिकता और स्वास्थ्य और इसके अन्य प्रावधानों के अधीन अपने पसंद के धर्म के उपदेश, अभ्यास और प्रचार करने के लिए स्वतंत्र हैं।
- अनुच्छेद-26: राज्य की सार्वजनिक व्यवस्था, नैतिकता और स्वास्थ्य के अधीन सभी धार्मिक संप्रदाय और पंथ अपने धार्मिक मामलों का स्वयं प्रबंधन करने, धार्मिक संस्थाएं स्थापित करने, क़ानून के अनुसार संपत्ति रखने के लिए स्वतंत्र हैं।
- अनुच्छेद-27: किसी भी व्यक्ति को अपने धर्म या धार्मिक संस्था को बढ़ावा देने के लिए टैक्स देने पर बाध्य नहीं किया जा सकता है।
चुंकि धर्म एक निजी विषय है इसलिए संविधान के अनुच्छेद-28 में कहा गया है कि राज्य के द्वारा वित्तपोषित शैक्षिक संस्थाओं में किसी विशेष धर्म की शिक्षा नहीं दी जा सकती है।
और पढ़ें: जानें अपने अधिकार: बच्चों को शिक्षा उपलब्ध कराना सरकार की ज़िम्मेदारी
हालांकि भारतीय संविधान में किसी भी धर्म को न मानने वाले व्यक्ति को स्थान नहीं दिया गया है, जबकि आधुनिक समाज में ऐसे लोग तेजी से बढ़ रहे हैं।
इसलिए ज़रूरी है कि उन्हें भी संवैधानिक मूल्यों के बीच एक स्थान दिया जाय। नास्तिक लोगों की एक अलग अपनी पहचान है, जिसे नकारा नहीं जा सकता।
संविधान के तहत मिली धार्मिक आज़ादी के बावजूद समय-समय पर देश की धार्मिक सहिष्णुता टूटती नज़र आई है और इसका राजनीतिक इस्तेमाल भी काफ़ी ज्यादा हुआ है।
जम्मू-कश्मीर में कश्मीरी पंडितों के साथ हिंसा, 1984 का सिक्ख विरोधी दंगा, 1992 में बाबरी मस्जिद का तोड़ा जाना, 2002 में गुजरात के दंगे या फिर अन्य कई धार्मिक आधार पर हुए दंगे संविधान में दिए धर्म की स्वतंत्रता का असहिष्णु रूप सामने लेकर आया है।
और पढ़ें: जानें अपने अधिकार: हर व्यक्ति को स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराना सरकार की है ज़िम्मेदारी
Don't Miss
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
-
Viral Photos: निसा देवगन के साथ पार्टी करते दिखे अक्षय कुमार के बेटे आरव, साथ तस्वीरें हुईं वायरल
-
Moushumi Chatterjee Birthday: आखिर क्यों करियर से पहले मौसमी चटर्जी ने लिया शादी करने का फैसला? 15 साल की उम्र में बनी बालिका वधु
-
Arti Singh Wedding: आरती की शादी में पहुंचे गोविंदा, मामा के आने पर भावुक हुए कृष्णा अभिषेक, कही ये बातें
धर्म-कर्म
-
May 2024 Annaprashan Muhurat: अन्नप्राशन मई 2024 में कब-कब कर सकते हैं ? यहां जानें सही डेट और शुभ मुहूर्त
-
Saturday Jyotish Upay: शनिवार के दिन की गई यह एक गलती शनिदेव की कर सकती है नाराज, रखें ध्यान
-
Shani Shash Rajyog 2024: 30 साल बाद आज शनि बना रहे हैं शश राजयोग, इन 3 राशियों की खुलेगी लॉटरी
-
Ganga Saptami 2024 Date: कब मनाई जाएगी गंगा सप्तमी? जानें शुभ मूहूर्त, महत्व और मंत्र