सायरस का लेटर बम, कहा-रतन टाटा हर काम में देते थे दख़ल
सायरस ने इस मेल में रतन टाटा पर लगातार हस्तक्षेप करने का आरोप भी लगाया है।
नई दिल्ली:
टाटा संस के चेयरमैन पद से हटाये जाने के बाद सायरस मिस्त्री ने कंपनी की बोर्ड को किये एक मेल में हैरत जताते हुए लिखा है कि उन्हें यकीन नहीं हो रहा कि उनके हटाये जाने की वजह कमज़ोर प्रदर्शन है। सायरस ने इस मेल में रतन टाटा पर लगातार हस्तक्षेप करने का आरोप भी लगाया है। सायरस ने लिखा है कि कि लगातार बाहरी हस्तक्षेप की वजह से निर्णय प्रक्रिया कमज़ोर हो गई थी और सत्ता के कई केंद्र उभर गए थे।
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सायरस ने लिखा है कि 24 अक्टूबर को बोर्ड मीटिंग में जो कुछ भी हुआ, उन्हें इसका यकीन नहीं हो रहा था। उन्हें छोटी सी सफाई भी देने का भी मौक़ा नहीं दिया गया। ये ना सिर्फ गलत और गैरकानूनी था बल्कि बोर्ड के निदेशक अपने सम्मान के मुताबिक़ भी पेश नहीं आये।
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सायरस ने कहा कि दिसम्बर 2012 में जब उन्हें चेयरमैन बनाया गया था तो यह कहा गया था कि उन्हें काम करने की पूरी आज़ादी होगी लेकिन दरअसल ऐसा हुआ नहीं। उसी वक़्त Articles of Association में बदलाव किये गए, जिस वजह से टाटा संस और टाटा के पारिवारिक ट्रस्टों का आपसी संबंध बदल गया।
सायरस ने लिखा है कि उन्हें विरासत में परेशानियां मिली थीं और रतन टाटा के कई नए योजनाओं की वजह से कंपनी को नुक्सान हो रहा था। उन्होंने लिखा कि इन घाटे वाली योजनाओं की वजह से टाटा संस को 1.18 लाख करोड़ रूपये का नुकसान उठाना पड़ सकता है।
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