जीएसटी पर अधिकारी समूह की रिपोर्ट: दरें बढ़ाने, छूट प्राप्त वस्तुओं की सूची घटाने का सुझाव
केन्द्र और राज्यों के अधिकारियों को मिलाकर बनाई गई इस समिति का गठन जीएसटी की समीक्षा के लिये किया गया था.
दिल्ली:
राज्यों को माल एवं सेवाकर (जीएसटी) क्षतिपूर्ति के लिये उपकर से प्राप्त राशि में चालू वित्त वर्ष के दौरान 60,000 करोड़ रुपये से अधिक की कमी रहने की आशंका के बीच अधिकारियों की एक समिति ने जीएसटी राजस्व बढ़ाने के बारे में सुझाव दिये हैं जिनमें विभिन्न पक्षों से प्राप्त सुझाव भी शामिल किसे गये हैं. इनमें जीएसटी से छूट प्राप्त वस्तुओं की संख्या कम करने और कुछ वस्तुओं पर जीएसटी दरें बढ़ाने के सुझाव भी शामिल हैं. केन्द्र और राज्यों के अधिकारियों को मिलाकर बनाई गई इस समिति का गठन जीएसटी की समीक्षा के लिये किया गया था. समिति को इस दौरान विभिन्न संबद्ध पक्षों से भी कई सिफारिशें और सुझाव प्राप्त हुये हैं.
इनमें शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में चुनींदा आधार पर कर लगाने के सुझाव भी शामिल हैं सू्त्रों ने यह जानकारी दी. इस समिति ने 18 दिसंबर को हुई जीएसटी परिषद की बैठक में रिपोर्ट में दिये गये सुझावों और सिफारिशों को लेकर प्रस्तुतीकरण दिया था. इसमें जीएसटी राजस्व बढ़ाने के लिये छूट प्राप्त वस्तुओं की सूची कम करने का सुझाव दिया गया है. मांस, मछली, अंडा, शहद, दूध उत्पाद, सब्जियां, फल और सूखे मेवे सहित कुछ उत्पादों को जीएसटी से छूट प्राप्त है. सूत्रों ने बताया कि इसके साथ ही समिति ने कुछ वस्तुओं को पांच प्रतिशत की दर से बढ़ाकर 12 प्रतिशत और मोबाइल फोन जैसे कुछ सामानों को 12 से बढ़ाकर 18 प्रतिशत की श्रेणी में लाने का भी सुझाव दिया है. समिति ने जीएसटी परिषद को यह भी सुझाव दिया है कि उसे कुछ वस्तुओं पर जीएसटी दर को 18 से बढ़ाकर वापस 28 प्रतिशत के दायरे में लाने पर भी विचार करना चाहिये.
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वर्तमान में जीएसटी व्यवस्था के तहत कर की चार श्रेणियां हैं - पांच, 12, 18 और 28 प्रतिशत. इसमें 28 प्रतिशत की श्रेणी में आने वाले माल एवं सेवाओं पर इस दर के ऊपर उपकर भी लगाया जाता है. यह उपकर एक से लेकर 25 प्रतिशत के दायरे में लगाया जाता है. जीएसटी परिषद ने पिछली बैठक में कोई भी निर्णय लेने से पहले रिपोर्ट का अध्ययन करने का फैसला किया था. इस रिपोर्ट में प्रक्रियागत मामलों में भी कुछ सुझाव दिये गये हैं. इसके अलावा इनपुट टैक्स क्रेडिट और स्रोत पर कर कटौती को व्यापक बनाने जैसे भी सुझाव दिये गये हैं. सूत्रों ने बताया कि बीजक से जुड़े कुछ सुझाव पहले से ही क्रियान्वयन के दायरे में हैं. जीएसटी परिषद की अगली बैठक में इन मुद्दों पर व्यापक चर्चा हो सकती है. जीएसटी परिषद के समक्ष दिये गये प्रस्तुतीकरण के मुताबिक पांच प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि के स्तर पर चालू वित्त वर्ष के दौरान राज्यों को जीएसटी क्षतिपूर्ति राशि 1.60 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकती है.
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ऐसे में इस दर पर 2019- 20 के दौरान क्षतिपूर्ति और उपकर से मिलने वाली राशि के बीच 63,200 करोड़ रुपये का अंतर रह सकता है. जीएसटी परिषद की पिछली बैठक के बाद कुछ गैर- भाजपा शासित राज्यों के वित्त मंत्री अथवा प्रतिनिधियों ने कहा कि केन्द्र सरकार भुगतान में असफल हो सकती है क्योंकि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राज्यों को दी गई गारंटी के अनुरूप जीएसटी के बकाये का भुगतान समय पर करने को लेकर काई आश्वासन नहीं दिया. जीएसटी प्रणाली लागू करते समय कानून में यह व्यवस्था की गई कि केन्द्र सरकार राज्यों को पांच साल तक उनके राजस्व में एक तय दर (14 प्रतिशत) से वृद्धि के अनुरूप राजस्व में होने वाली कमी की भरपाई करती रहेगी. इसके लिये जीएसटी पर उपकर लगाकर राजस्व जुटाने की व्यवसथा भी की गई लेकिन मौजूदा जारी सुस्ती के दौर में उपकर से केन्द्र को राज्यों की राजस्व क्षतिपूर्ति के लिये उम्मीद के अनुरूप पूरा राजस्व नहीं मिल पा रहा है.
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