आर्थिक मंदी पर अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने भारत को चेताया, कहा जल्द कदम उठाने होंगे
आईएमएफ (IMF) ने भारत से कहा कि उसे अपनी अर्थव्यवस्था में सुधार लाने के लिए जल्द से जल्द बड़े कदम उठाने होंगे.
नई दिल्ली:
देश और दुनिया की बड़ी आर्थिक संस्थाओं द्वारा भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट (GDP Growth Rate) कम रखने के अनुमान के बाद अब अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund-IMF) ने भारत को अर्थव्यवस्था में सुधार लाने के लिए आगाह किया है. आईएमएफ (IMF) ने भारत से कहा कि उसे अपनी अर्थव्यवस्था में सुधार लाने के लिए जल्द से जल्द बड़े कदम उठाने होंगे. IMF के मुताबिक भारतीय अर्थव्यवस्था वैश्विक आर्थिक विकास दर को बढ़ाने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक है.
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जल्द से जल्द नीतिगत उपाय करने की जरूरत: IMF
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष का कहना है कि निवेश और खपत कम होने और कर राजस्व में कमी की वजह से भारत की आर्थिक विकास दर को बड़ा झटका लगा है. आईएमएफ की एशिया और प्रशांत (IMF Asia and Pacific Department) की हेड रानिल सालगाडो (Ranil Salgado) के मुताबिक भारत को मौजूदा आर्थिक मंदी को दूर करने के लिए और आर्थिक ग्रोथ को वापस पटरी पर लाने के लिए जल्द से जल्द नीतिगत उपाय (Monetary Steps) करने की जरूरत है. उनका कहना है कि फिलहाल भारत सरकार के पास विकास पर खर्च के जरिए अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने जैसे बेहद सीमित विकल्प रह गए हैं.
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20 जनवरी 2020 को जारी होगी नई रिपोर्ट
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund) 20 जनवरी 2020 को नई रिपोर्ट जारी करेगा. IMF की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ के मुताबिक वित्त वर्ष 2019-20 की दिसंबर और मार्च तिमाही के दौरान भारत की विकास दर कमजोर रह सकती है. उनका कहना है कि पहले हमने चालू वित्त वर्ष की बाकी 2 तिमाही में तेजी का अनुमान लगाया था. हालांकि अब रिकवरी के संकेत नहीं दिख रहे हैं. मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए पुराने अनुमान को बदल दिया है.
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गीता गोपीनाथ का कहा है कि मौजूदा समय में भारत की कुछ मुश्किलों को आसानी से दूर नहीं किया जा सकता है. उनका कहना है कि बैंकिंग सेक्टर में भारत ही नहीं दुनियाभर में समस्याएं हैं. भारत में इनसॉल्वेंसी और बैंकरप्सी कोड (IBC) कोड के जरिए कुछ मामलों का हल निकाला जा सकता है. भारतीय बैंकिंग सेक्टर में कुछ अनिश्चितताएं हैं. भारत में अभी बैंकों की रिस्क लेने की क्षमता घट चुकी है, जिसका क्रेडिट ग्रोथ पर असर साफतौर पर दिख रहा है. उनका कहना है कि रिजर्व बैंक (RBI) इस साल अबतक 1.35 फीसदी रेपो रेट घटा चुका है.
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