लगातार झटकों के बाद अब IMF से मोदी सरकार (Modi Sarkar) के लिए आई अच्छी खबर
आईएमएफ (IMF) की रिपोर्ट के अनुसार, भारत (India) और चीन (China) चालू वित्तवर्ष में अपनी 6.1 फीसदी की आर्थिक विकास दर (Economic Development Rate) के साथ दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में शीर्ष स्थान पर रहेंगे.
नई दिल्ली:
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ-IMF) के अनुसंधान उपनिदेशक गियान मारिया मिलेसी-फेरेटी ने मंगलवार को कहा कि चालू वित्त वर्ष 2019-20 के लिए भारत की आर्थिक विकास दर (Economic Development Rate) अनुमान को हालांकि घटाकर कर छह फीसदी कर दिया गया है, लेकिन वैश्विक मानकों से यह फिर भी काफी मजबूत है. फेरेटी और आईएमएफ (IMF) की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने भारत (India) के लिए आशावादी नजरिया रखते हुए वाशिंगटन (Washington) में आईएमएफ के वैश्विक आर्थिक आउटलुक की रिपोर्ट पेश करते हुए एक प्रेसवार्ता में कहा कि अगले साल भारत की अर्थव्यवस्था (INdian Economy) रफ्तार पकड़ेगी.
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आईएमएफ की रिपोर्ट के अनुसार, भारत और चीन चालू वित्तवर्ष में अपनी 6.1 फीसदी की आर्थिक विकास दर के साथ दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में शीर्ष स्थान पर रहेंगे. मिलेसी फेरेटी ने कहा, "भारत की आर्थिक विकास दर वैश्विक अर्थव्यवस्था के मानकों के अनुसार, कुल मिलाकर काफी मजबूत है जबकि हमने भारत के लिए काफी उच्च मानक रखे थे उसे कम है."
उन्होंने कहा कि छह फीसदी से अधिक आर्थिक विकास दर उल्लेखनीय है और खासतौर से उस देश के लिए काफी महत्वपूर्ण है जिसकी इतनी बड़ी आबादी है. गोपीनाथ ने कहा, "यह आर्थिक विकास दर वैश्विक अर्थव्यवस्था के विपरीत है जिसकी विकास दर सिकुड़कर 2019 में तीन फीसदी पर आ गई है और वैश्विक वित्तीय संकट के बाद से इसकी रफ्तार धीमी पड़ गई है."
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आईएमएफ ने भारत की अर्थव्यवस्था के लिए अगले साल रफ्तार भरने की उम्मीद जाहिर की है. गोपीनाथ ने कहा, "हमारा अनुमान है कि भारत 2020 में सात फीसदी की विकास दर हासिल करेगा."
आईएमएफ ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था 2019 में 6.1 फीसदी की दर से रफ्तार भरेगी और 2020 में सात फीसदी की विकास दर हासिल करेगी. वैश्विक आर्थिक आउटलुक अप्रैल 2019 के मुकाबले 2019 के लिए 1.2 फीसदी की कटौती और 2020 के लिए 0.5 फीसदी की कटौती घरेलू मांग में उम्मीद से ज्यादा कमी को दर्शाती है."
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हालांकि आईएमएफ की रिपोर्ट में कहा गया है कि मौद्रिक नीति में नरमी, कॉरपोरेट टैक्स की दरों में कटौती और कॉरपोरेट व पर्यावरण संबंधी विनियमनों का समाधान करने की दिशा में हालिया उपायों से मदद मिलेगी.
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