चीन-भूटान सीमा विवाद भारत के लिए क्यों है चिंता की बात?
चीन की 22457 किलोमीटर लंबी सीमा 14 देशों से लगी है लेकिन सिर्फ भारत और भूटान के साथ ही उसका सीमा विवाद है.
highlights
- भूटान और चीन के बीच 477 किलोमीटर लंबी सीमा है
- चीन ने भूटान के चार गांवों पर भी कब्जा कर लिया है
- चीन ने सिलीगुड़ी कॉरिडोर के नजदीक बुना सैन्य प्रतिष्ठानों का जाल
नई दिल्ली:
China Bhutan Border Dispute: चीन-भूटान में सीमा विवाद बढ़ गया है. चीन भूटान को धमकाना शुरू कर दिया है. और चीन ने भूटान के चार गांवों पर भी कब्जा कर लिया है. चीन की यह कार्रवाई भारत के लिए चिंता का सबब है. लेकिन भारत भूटान सीमा पर चीन की इस हरकत से आंख मूंदे बैठा है. चीन-भूटान सीमा विवाद बहुत पुराना है. 1984 से भूटान के साथ बातचीत करने के बावजूद चीन अभी तक सीमा विवाद को सुलझाने में विफल रहा है.अब लगभग चार दशकों बाद चीन ने एक बार फिर भूटान के साथ सीमा वार्ता को तेज करने के लिए एक नए समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद ढोल पीट रहा है.लेकिन यह सब चीन की नई चाल है.
चीन की 22457 किलोमीटर लंबी सीमा 14 देशों से लगी है लेकिन सिर्फ भारत और भूटान के साथ ही उसका सीमा विवाद है.भूटान और चीन के बीच 477 किलोमीटर लंबी सीमा है.चीन और भूटान सीमा पर मुख्य रूप से दो इलाके ऐसे हैं, जिसपर विवाद ज्यादा है.भूटान के साथ समझौता ज्ञापन से यह भी स्पष्ट हो गया है कि दूसरों की जमीन कब्जाने की ताक में बैठे चीन ने दुनिया के सबसे कम आबादी और सैन्य नेतृत्व रूप से कमजोर मुल्क की जमीन पर भी कब्जा किया हुआ है.
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चीन हर हाल में भूटान के साथ सीमा विवाद को खत्म करना चाहता है.इसके जरिए वह पूरी दुनिया को झूठा संदेश देने की कोशिश में है कि सिर्फ भारत के साथ ही उसका सीमा विवाद है और वह भारतीय नेताओं की हठधर्मिता के कारण समझौता नहीं कर पा रहा है.इतना ही नहीं, चीन चाहता है कि भूटान तिब्बत से सटे एक बड़े भूभाग को ले ले और इसके बदले में डोकलाम के पास रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इलाके को उसे सौंप दे.भारत जानता है कि अगर भूटान ने यह इलाका चीन को सौंपा तो इससे सिलीगुड़ी कॉरिडोर को खतरा हो सकता है.
दरअसल, चीन ने सिलीगुड़ी कॉरिडोर के नजदीक भूटानी जमीन पर सड़कों और सैन्य प्रतिष्ठानों का जाल सा बुन दिया है.चीन का यह निर्माण सिलीगुड़ी कॉरिडोर के नजदीक है.इतना ही नहीं, यह इलाका डोकलाम के नजदीक है, जहां 2017 में भारत और चीन के बीच कई महीनों तक सैन्य तनाव बना हुआ था.सिलीगुड़ी कॉरिडोर को ही चिकन नेक के रूप में जाना जाता है.यह गलियारा ही शेष भारत को पूर्वोत्तर के राज्यों के साथ जोड़ता है.यह कॉरिडोर तिब्बत, नेपाल, भूटान और बांग्लादेश से सटा हुआ है.कई जगहों पर इस कॉरिडोर की चौड़ाई बमुश्किल 22 किलोमीटर की है.
गलवान में हिंसा और लद्दाख में जारी तनाव के बाद भारत सतर्क है.यही कारण है कि भारतीय सेना ने लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक चीन से लगी सीमा पर कई बुनियादी ढांचों का निर्माण किया है.इतना ही नहीं, इन इलाकों में भारतीय सेना की माउंटेन कोर, हल्के तोप, बख्तरबंद गाड़ियां, ठंड में सुरक्षा प्रदान करने वाले टेंट समेत कई एहतियाती कदम उठाए हैं.
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