श्रीलंका में 123 दिनों से चला आ रहा सरकार विरोधी प्रदर्शन अंततः खत्म हुआ
बीते हफ्ते पुलिस ने गाले फेस को खाली करने के लिए प्रदर्शनकारियों को 5 अगस्त तक की समयसीमा दी थी. हालांकि प्रदर्शनकारियों ने इस निर्देश को नहीं माना और प्रदर्शन को अपना अधिकार बताते हुए अदालत की शरण ले ली.
highlights
- गाले फेस में सरकार विरोधी प्रदर्शनकारी 9 अप्रैल से डटे थे
- सामूहक तौर पर सरकार विरोधी प्रदर्शन खत्म करने का निर्णय
कोलंबो:
श्रीलंका (Sri Lanka) के भूतपूर्व राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे (Gotabaya Rajapaksa) को देश छोड़कर भागने के लिए मजबूर कर देने वाला सरकार विरोधी प्रदर्शन अंततः 123 दिनों के बाद खत्म हो गया. हालांकि प्रदर्शनकारियों ने व्यवस्था में बदलाव आने तक अभियान जारी रखने की बात दोहराई है. प्रदर्शन के खात्मे के साथ ही प्रदर्शनकारियो ने गाले फेस प्रोमेनेड इलाके को खाली कर दिया, जहां वे हजारों की संख्या में 9 अप्रैल से डटे हुए थे. बताते हैं कि नए राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे (Ranil Wickremesinghe) के सुरक्षा बलों और पुलिस को दिए गए असीमित अधिकार और हिंसक प्रदर्शन को देश विरोधी घटनाओं में शुमार करने की चेतावनी के बाद प्रदर्शनस्थल पर प्रदर्शनकारियों की संख्या न के बराबर ही रह गई थी. संभवतः इसी कारण सरकार विरोधी प्रदर्शन को जारी नहीं रखने का फैसला लिया गया.
व्यवस्था में बदलाव का अभियान रहेगा जारी
प्रदर्शन की रूपरेखा तैयार करने वाले समूह के प्रवक्ता मनोज नन्याकारा के मुताबिक प्रदर्शन खत्म करने का फैसला सामूहिक तौर पर लिया गया. हालांकि इसका यह मतलब नहीं है कि हमारा संघर्ष ही खत्म हो गया. एक युवा बौद्ध भिक्षु के मुताबिक आपातकाल के खात्मे, नए संसदीय चुनाव और राष्ट्रपति व्यवस्था के खत्म होने तक हमारा अभियान जारी रहेगा. प्रदर्शन में शामिल एक अन्य प्रदर्शनकारी विदर्शना कन्नांगरा के मुताबिक व्यवस्था में परिवर्तन तक हमारा अभियान जारी रहेगा. भले ही हमने इस साइट पर अपना प्रदर्शन समाप्त कर दिया हो.
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अदालत की शरण ले ली थी प्रदर्शनकारियों ने
गौरतलब है कि बीते हफ्ते पुलिस ने गाले फेस को खाली करने के लिए प्रदर्शनकारियों को 5 अगस्त तक की समयसीमा दी थी. हालांकि प्रदर्शनकारियों ने इस निर्देश को नहीं माना और प्रदर्शन को अपना अधिकार बताते हुए अदालत की शरण ले ली. हालांकि अब जब प्रदर्शनकाररी गाले फेस से जा चुके हैं तो उन्होंने घोषणा की अदालत में दायर याचिकाएं भी वापस ले ली गई है. गौरतलब है कि सड़कों पर प्रदर्शन का आह्वान पिछले महीने ही वापस ले लिया गया था, जब गोटाबाया राजपक्षे मालदीव और फिर सिंगापुर भाग गए थे. सिंगापुर से ही राजपक्षे ने राष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया था.
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