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संयुक्त राष्ट्र में भारत ने कहा, बांग्लादेश में रोहिंग्या को लगातार मानवीय मदद मिल रहा है

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजीव के. चंद्र ने कहा की भारत ने शरणार्थियों की मदद के लिए भारत ने बांग्लादेश को मानवीय सहायता प्रदान की है।

Updated on: 19 Sep 2017, 03:18 PM

highlights

  • भारत ने संयुक्त राष्ट्र में कहा, बांग्लादेश को मानवीय सहायता दे रहे हैं
  • रखाइन में प्रोजेक्ट के लिए वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान के लिए भारत आगे आया
  • म्यांमार में हिंसा के बाद बांग्लादेश विस्थापित हो चुके हैं 4 लाख से अधिक रोहिंग्या मुस्लिम

नई दिल्ली:

रोहिंग्या शरणार्थियों को लेकर भारत का रुख भले ही अब तक सख्त रहा हो लेकिन वह बांग्लादेश की मदद के लिए आगे आया है। 

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजीव के. चंद्र ने कहा की भारत ने शरणार्थियों की मदद के लिए भारत ने बांग्लादेश को मानवीय सहायता प्रदान की है।

उन्होंने कहा, 'रखाइन में जो प्रोजेक्ट चल रहे हैं उसके लिए भारत ने हाल ही में म्यांमार को वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान करने का फैसला किया है।'

भारत ने संयुक्त राष्ट्र में कहा, 'रखाइन में जो समस्या है उसका समाधान सामाजिक आर्थिक एवं इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास से ही हो सकता है। भारत इसके लिए प्रयास कर रहा है।'

'ऑपरेशन इंसानियत' के तहत भारत ने बांग्लादेश की मदद की है। गुरुवार को भारतीय वायुसेना का एक विमान चटगांव मदद के लिए पहुंचा।

विदेश मंत्रालय के एक बयान के मुताबिक, 'बांग्लादेश में शरणार्थियों की बड़ी संख्या के कारण संकट का सामना करना पड़ रहा है। जिसके कारण इस सहायता को बढ़ाने का फैसला किया गया है।'

आपको बता दें कि म्यांमार के रखाइन प्रांत में हुई हिंसा के बाद 400,000 से ज्यादा रोहिंग्या मुसलमानों बांग्लादेश पलायन कर चुके हैं। म्यांमार में 25 अगस्त को बौद्ध और मुस्लिम के बीच संघर्ष हुआ था। जिसके बाद मुस्लिम पलायन कर रहे हैं।

भारत ने म्यांमार के हिंसा पीड़ितों को शरण देने से इनकार कर दिया है। जिसके बाद ज्यादातर रोहिंग्या बांग्लादेश की ओर जा रहे हैं।

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भारत ने 2012 में हुई हिंसा के बाद भारत आए रोहिंग्या मुस्लिमों को भी वापस भेजने का फैसला किया है। इस फैसले को वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।

केंद्र सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से रोहिंग्या मुद्दे पर हस्तक्षेप न करने का आग्रह करते हुए कहा कि उन्हें वापस भेजने का निर्णय सरकार का नीतिगत फैसला है। केंद्र ने साथ ही कहा कि इन रोहिंग्या में से कुछ का संबंध पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई और आतंकवादी गुटों से है।

म्यांमार सरकार का आरोप है कि 'अराकन रोहिंग्या साल्वेशन आर्मी' (एआरएसए) के विद्रोहियों ने 25 अगस्त को पुलिस चौकियों पर हमला कर दिया था और 12 सुरक्षाकर्मियों की हत्या कर दी थी, जिसके बाद हिंसा भड़की।

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