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रोहिंग्या तभी लौटेंगे जब उन्हें 'असली' जनता स्वीकार कर ले: म्यांमार आर्मी चीफ

म्यांमार के आर्मी चीफ ने कहा है कि रोहिंग्या शरणार्थी तब तक वापस नहीं लौट सकते जब तक कि देश की 'असली जनता' उन्हें स्वीकार नहीं कर लेती है।

Updated on: 16 Nov 2017, 07:56 PM

नई दिल्ली:

म्यांमार के आर्मी चीफ ने कहा है कि रोहिंग्या शरणार्थी तब तक वापस नहीं लौट सकते जब तक कि देश की 'असली जनता' उन्हें स्वीकार नहीं कर लेती है।

करीब 6 लाख रोहिंग्या बांग्लादेश के शरणार्थी कैंप में रह रहे हैं। रखाइन प्रांत में रोहिंग्याओं के खिलाफ वहां की सेना ने अभियान चलाया था। जिसके बाद से रोहिंग्या देश छोड़कर शरण ले रहे हैं।

संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि रखाइन में चलाए गए ऑपरेशन में गांवों को जला दिया गया और वहां से रोहिंग्या समुदाय के लोगों को भगा दिया गया।

लेकिन म्यांमार के सेनाध्यक्ष जनरल मिन ऑन्ग लाएंग ने इन आरोपों से इनकार किया है। उनका कहना है कि रोहिंग्या के आतंकियों के खिलाफ ही कार्रवाई की गई है।

अपनी बात रखने के लिये उन्होंने फेसबुक का भी सहारा लिया हुआ है। इसके माध्यम से वो बौद्धों को ये बताने की कोशिश कर रहे हैं कि मुस्लिम बांग्लादेश से आए हैं। जबकि वो राखाइन में कई पीढ़ियों से रह रहे हैं।

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अपने फेसबुक पोस्ट में उन्होंने कहा है, 'रखाइन के मूल निवासी जो म्यांमार के असली नागरिक हैं उनकी भावनाओं का भी ध्यान रखना चाहिये। रखाइन के स्थानीय निवासी स्वीकार करेंगे तभी सब मानेंगे।'

उन्होंने कहा कि सभी रोहिंग्याओं को वापस नहीं आने दिया जाएगा।

उन्होंने कहा, 'बांग्लादेश की तरफ से प्रस्तावित संख्या को स्वीकार करना संभव नहीं होगा।'

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उनका ये बयान अमेरिकी विदेश मंत्री रिक्स टिलरसन से बुधवार को हुई मुलाकात के बाद आई है। टिलरसन ने सेना से कहा था कि सभी शरणार्थियों को वापस बुलाया जाना चाहिये। साथ ही उन्होंने रोहिंग्या के खिलाफ सेना की कार्रवाई को भयानक करार दिया था।

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