माधव नेपाल ने भी छोड़ा ओली का साथ, नई पार्टी बनाकर को देंगे चुनौती
नेपाल की सत्ता से बाहर हुए कम्यूनिष्ट पार्टी के नेता एवं देश के पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को एक बडा राजनीतिक झटका लगा जब वर्तमान सरकार ने राजनीतिक दल विभाजन संबंधी अध्यादेश लाकर ओली की पार्टी में एक और विभाजन को सुनिश्चित कर दिया है
नई दिल्ली:
नेपाल की सत्ता से बाहर हुए कम्यूनिष्ट पार्टी के नेता एवं देश के पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को एक बडा राजनीतिक झटका लगा जब वर्तमान सरकार ने राजनीतिक दल विभाजन संबंधी अध्यादेश लाकर ओली की पार्टी में एक और विभाजन को सुनिश्चित कर दिया है. सत्ता में रहते एक बार पहले ही विभाजन का दंश झेल चुके ओली को सत्ता से बाहर होने के बाद एक बार फिर पार्टी में विभाजन को प्रकोप झेलना पड़ेगा. ओली के साथ एक ही पार्टी में पिछले पांच दशकों से एक साथ काम करने वाले माधव कुमार नेपाल करीब दो दर्जन सांसदों के साथ अपनी नई पार्टी गठन करने जा रहे हैं.
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ओली के पार्टी अध्यक्ष बनते ही दोनों नेताओं के बीच में मनमुटाव शुरू हो गया
नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री समेत रहे माधव नेपाल को उसी पार्टी को तोडने के लिए मजबूर होना पड़ा जिस पार्टी के वो ना सिर्फ संस्थापक सदस्य रह चुके थे बल्कि 13 वर्षों तक उस पार्टी का कमान भी उटनके ही हाथों में था. लेकिन ओली के पार्टी अध्यक्ष बनते ही दोनों नेताओं के बीच में मनमुटाव शुरू हो गया जो बाद में प्रधानमंत्री बनने के साथ ही और गहराता गया. ओली की पार्टी में विभाजन लाने के लिए देउवा सरकार ने संसद के चालु सत्र को खत्म कर एक अध्यादेश लेकर आई जिसके मुताबिक सिर्फ 20 प्रतिशत सांसद या केन्द्रीय सदस्य रहने पर भी पार्टी विभाजन को मान्यता मिल जाएगी. नेपाल के संविधान में दल विभाजन को लेकर कड़ी नियमावली रखी गई थी जिसमें पार्टी विभाजन के लिए 40 प्रतिशत सांसद और 40 प्रतिशत केन्द्रीय समिति सदस्य दोनों का होना अनिवार्य बनाया गया था.
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सांसदों की संख्या 177 से घटकर 100 पर सिमट गई है
ओली की पार्टी में हुए ताजा विभाजन के बाद ओली की पार्टी के सांसदों की संख्या 177 से घटकर 100 पर सिमट गई है. राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी द्वारा अध्यादेश जारी किए जाने के बाद बुधवार को संसद में नेपाल की पहली और चौथी सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टियों में फूट पड़ गई. नेपाल सरकार ने मंगलवार को राष्ट्रपति विद्या देवी को नए दलों के गठन में ढील देने के लिए मौजूदा राजनीतिक दल अधिनियम में संशोधन करने की सिफारिश की थी. राष्ट्रपति द्वारा अध्यादेश जारी किए जाने के कुछ घंटों बाद, संसद में नेपाल की सबसे बड़ी पार्टी, नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (यूएमएल) अलग हो गई है. यूएमएल के अध्यक्ष पूर्व प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली हैं। सदन में चौथी सबसे बड़ी पार्टी जनता समाजवादी पार्टी, जिसके निचले सदन में 32 विधायक हैं, भी टूट गई है.
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