Xi 'तानाशाही गद्दार', बीजिंग में Jinping को हटाने की मांग करते बैनर-पोस्टर लगे
अपने किस्म के अनूठे मामले में सीसीपी कांग्रेस की बैठक से एक दिन पहले जिनपिंग के खिलाफ बीजिंग में बैनर-पोस्टर दिखे. इनमें जीरो कोविड पॉलिसी की वापसी की मांग कर शी जिनपिंग को हटाने की बात कही गई थी.
highlights
- रविवार को सीसीपी कांग्रेस बैठक से पहले शी जिनपिंग को उठानी पड़ी शर्मिंदगी
- बीजिंग में जीरो कोविड पॉलिसी के खात्मे की मांग करते बैनर-पोस्टर लगाए गए
- इनमें से कुछ पर शी जिनपिंग के विरोध में लिखी गई तीखी बातें और नारे
बीजिंग:
पार्टी महासचिव पद पर फिर से निर्वाचन की औपचारिकता वाली चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) की 20वीं कांग्रेस बैठक से एक दिन पहले राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) को जबर्दस्त शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा है. बीजिंग में जिनपिंग को पद से हटाने की मांग करते बैनर-पोस्टर दिखाई पड़े हैं. यह तब है जब शी जिनपिंग 20वीं कांग्रेस में तीसरी बार राष्ट्रपति बनने की ओर भी अग्रसर हैं और कांग्रेस की बैठक में इस पर मुहर लगनी तय है. ऐसे में जीरो कोविड पॉलिसी (Covid Policy) का विरोध, लॉकडाउन खत्म करने समेत जिनपिंग को पद से हटाने की मांग वाले बैनर-पोस्टर ने बीजिंग के माहौल में तल्खी घोल दी है. एक बैनर-पोस्टर में क्रांतिकारी बदलाव लाने की वकालत करते हुए शी जिनपिंग को 'तानाशाही गद्दार' तक करार दिया गया है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सोशल मीडिया पर जिनपिंग का विरोध करते बैनर-पोस्टर वाले फोटो और वीडियो के शेयर होते ही स्थानीय प्रशासन ने बैनर-पोस्टर हटा दिए.
बैनर-पोस्टर में जिनपिंग पर तीखा हमला
बीजिंग में एक विदेशी पत्रकार के ट्वीट ने शी जिनपिंग विरोधी बैनर-पोस्टर से जुड़े वीडियो को सामने लाने का काम किया है. चीन की अन्य मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक शी विरोधी एक बैनर पर लिखा था, 'आइए हम स्कूलों और काम से हड़ताल करें और तानाशाही गद्दार शी जिनपिंग को हटा दें'. दूसरे बैनर पर लिखा था, 'हम कोविड परीक्षण नहीं चाहते, हम भोजन चाहते हैं; हम लॉकडाउन नहीं चाहते, हम आजादी चाहते हैं'. शी जिनपिंग के विरोध में यह बैनर-पोस्टर ऐसे वक्त लगे हैं, जब सीसीपी कांग्रेस में भाग लेने के लिए सदस्यों का आना शुरू हो चुका है. गौरतलब है कि बीजिंग की जीरो कोविड पॉलिसी मूलतः यात्रा प्रतिबंध, क्वारंटाइन और बार-बार लॉकडाउन लगाने जैसे सख्त नियम-कायदों पर केंद्रित है. इस जीरो कोविड पॉलिसी का बड़े पैमाने पर विरोध हो रहा है. यह अलग बात है कि सरकार इसे कोविड के प्रचार-प्रसार पर नियंत्रण लगाने में प्रभावी मान रही है.
Two protest banners were hung on a #Beijing Third Ring Road bridge today. There was also a fire. The banners opposed Zero #Covid measures, calling for an end to lockdowns, promoting revolutionary change in this country adding "we need to vote; we don't want to be slaves". #China https://t.co/Vdb64jjaFv
— Stephen McDonell (@StephenMcDonell) October 13, 2022
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चीनी अवाम को सीसीपी कांग्रेस बैठक बाद जीरो कोविड पॉलिसी के खात्मे की थी उम्मीद
चीनी अवाम को उम्मीद थी कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की 20वीं कांग्रेस के बाद जीरो कोविड पॉलिसी खत्म कर दी जाएगी, लेकिन उनकी सारी उम्मीदों पर पानी फिर गया जब चीनी सरकार के मुखपत्र में 'वायरस नियंत्रण पर कभी झूठ नहीं बोलने की कसम' शीर्षक से संपादकीय प्रकाशित हुआ. रविवार को होने वाली सीसीपी की कांग्रेस बैठक से पहले स्थानीय प्रशासन से जुड़े अधिकारी देश भर में कोरोना के नए मामलों को लहर बनने से रोकने के लिए जुट गए हैं. इसके तहत शंघाई जैसे प्रमुख शहरों में नए सिरे से लॉकडाउन घोषित कर कड़े प्रतिबंध लागू कर दिए गए हैं. बेहद सख्त कोरोना प्रतिबंधों ने आर्थिक विकास की रफ्तार धीमी कर दी है, तो जिनपिंग प्रशासन के बेहद नजदीकी सेक्टर रियल इस्टेट पर भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं. विगत दिनों कुछ शहरों में बैंकों में जमा धनराशि निकालने के लिए अवाम झुंड के झुंड में टूट पड़ी थी. स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए चीनी सेना को सड़कों पर उतरना पड़ा था.
जीरो कोविड पॉलिसी से आम नागरिकों में निराशा और कुंठा पनपी
गौरतलब है कि जिनपिंग सरकार की जीरो कोविड पॉलिसी से आम नागरिकों में निराशा और कुंठा बढ़ रही है, क्योंकि इसके कठोर लॉकडाउन, सख्त क्वारंटाइन और बार-बार बड़े पैमाने पर कोरोना परीक्षण जैसे नियम शामिल हैं. जीरो कोविड पॉलिसी ने दैनिक कमाने वालों की आजीविका को बुरी तरह प्रभावित किया है और अर्थव्यवस्था की रफ्तार को धीमा कर दिया है. हालांकि सरकार अवाम की इच्छा को दरकिनार कर इस नीति को जारी रखने के लिए प्रतिबद्ध है. सीपीसी के मुखपत्र, पीपुल्स डेली ने इस सप्ताह लगातार तीन दिनों तक जीरो कोविड पॉलिसी पर विश्लेष्णात्मक लेख प्रकाशित किए हैं, जिनमें कहा गया कि चीन जीरो कोविड पॉलिसी को जारी रखेगा. मुखपत्र लिखता है, 'कुछ न करने की सलाह नहीं दी जा सकती है और कोरोना से जंग जीतने के लिए हाथ पर हाथ धरे बैठा भी नहीं जा सकता.' मुखपत्र ने इसके लिए एक शब्द 'लाइंग फ्लैट' का इस्तेमालकिया है, जिसका आशय 'कुछ नहीं करने' से है. यहां यह भी नहीं भूलना चाहिए कि चीन कोरोना संक्रमण को लेकर लगातार अमेरिका की आलोचना करता रहता है.
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कट्टर राष्ट्रवादी छवि बना रहे हैं शी जिनपिंग
चीन की सख्त जीरो कोविड पॉलिसी के बीच राष्ट्रपति शी जिनपिंग अपनी स्थिति मजबूत कर इतिहास के पन्नों में दर्ज होने के रास्ते पर आगे बढ़ चले हैं. तय माना जा रहा है कि जिनपिंग का पार्टी महासचिव पद पर फिर से चुनाव उनके पूर्ववर्तियों द्वारा राष्ट्रपति पद पर दो कार्यकाल की सीमा खत्म कर देगा. गौरतलब है कि राष्ट्रपति पद पर लगातार दो कार्यकाल की सीमा किसी एक शख्स के पार्टी और देश पर उसका एकाधिकार कायम नहीं होने देने के लिए तय की गई थी. यह अलग बात है कि शी जिनपिंग ने पार्टी संविधान संशोधन कर तीसरी बार राष्ट्रपति पद पर बने रहने का अपना रास्ता साफ कर लिया है. यही नहीं, जिनपिंग के शासनकाल में ताइवान के खिलाफ आक्रामक रवैये ने वॉशिंगटन और बीजिंग के रिश्तों में जबर्दस्त तल्खी पैदा कर दी है. 2020 के गलवान में हिंसक संघर्ष के बाद पड़ोसी देश भारत से भी उसके रिश्ते तनावपूर्ण चल रहे हैं. यही नहीं, हिंद-प्रशांत क्षेत्र में आक्रामक चीन पर लगाम कसने के लिए भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका ने मिलकर क्वाड का गठन कर लिया है. इसके अलावा चीन उइगर मुसलमानों के दमन और मानवाधिकारों के हनन पर भी वैश्विक बिरादरी की आलोचनाओं के केंद्र में है.
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