RBI Guidelines: ग्राहक को पूरी जानकारी देने के बाद ही दें लोन, कुछ भी छुपाने पर होगी कार्रवाई
RBI Guidelines on Bank Loan: अब बैंक और एनबीएफसी कंपनियों की ओर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने आंखे तरेर ली हैं.
highlights
- केएफएस पर गाइडलाइंस को तर्कसंगत बनाने का लिया फैसला
- लोन एग्रीमेंट के मुख्य तथ्यों का जरूर दें विवरण
- डिजिटल लोन देने वालों को भी आसान भाषा में देनी होगी ग्राहक को सभी जानकारी
नई दिल्ली :
RBI Guidelines on Bank Loan: अब बैंक और एनबीएफसी कंपनियों की ओर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने आंखे तरेर ली हैं. एक नोटिफिकेशन जारी करते हुए कहा है कि बैंकों और सभी एनबीएफसी कंपनीज को ग्राहोकों को लोन देने से पहले पूरी जानकारी आसान भाषा में देनी होगी. यदि कोई भी इसका उलंघन करता है तो कार्रवाई निश्चित है. आरबीआई ने डेडलाइन जारी करते हुए कहा है कि एक अक्टूबर से रिटेल और एमएसएमई टर्म लोन के लिए कर्ज लेने वालों को सभी तरह की जानकारी मुहैया करानी होंगी. रिजर्व बैंक ने केएफएस पर गाइडलाइंस को तर्कसंगत बनाने का फैसला लिया गया है. यही नहीं केएफएस को आसान भाषा में समझाते हुए लोन का पूरा विवरण देना जरूरी होगा..
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क्या है RBI की गाइडलाइन
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के मुताबिक "यह आरबीआई के दायरे में आने वाले वित्तीय संस्थानों के प्रोडक्ट्स को लेकर ट्रांसपेरेंसी बढ़ाने और सूचना की कमी को दूर करने के लिए किया गया है. इससे लेन लेने वाले सोच-समझकर वित्तीय फैसले कर सकेंगे." रिजर्व बैंक ने कहा है कि कोई भी वित्तीय संस्थान बिना जानकारी दिये लोन नहीं दे सकता है. रिजर्व बैंक ने ये भी कहा है कि "वित्तीय संस्थान इन गाइडलाइंस को जल्द-से-जल्द लागू करने के लिए सभी जरूरी कदम उठाएंगे. एक अक्टूबर, 2024 को या उसके बाद पास किए गए सभी नये रिटेल और एमएसएमई टर्म लोन के मामले में गाइडलाइंस बिना किसी बदलाव के अक्षरश: पालन किया जाएगा. इसमें मौजूदा ग्राहकों को दिये गये नये लोन भी शामिल हैं."
इन नियमों को करना होगा फॅालो
आपको बता दें कि कई ऐसी एनबीएफसी कंपनियां है जो ग्राहक को पूरी बात नहीं बताती है. बात में जब उसे लोन चुकाना होता है तो पता चलता है आपको फंसाया गया है. जिसके बाद उसे काफी खराब लगता है. इसलिए किसी भी कंपनियों को आसान भाषा में सभी टर्म एंड कंडीशन ग्राहकों को समझाना होगा. उसके बाद अनुमति देने के बाद ही लोन सेंशन करना होगा. थर्ड-पार्टी सर्विस प्रोवाइडर्स की ओर से आरबीआई के दायरे में आने वाले संस्थानों को बीमा और कानूनी फीस आदि सभी की जानकारी देना अनिवार्य होगी.
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