क्या खत्म हो जाएगा नैनीताल ?
सरोवर नगरी के नाम से विश्व प्रसिद्ध नैनीताल की खूबसूरती हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करती रही है। लेकिन अब उसी नैनीताल के अस्तित्व को लेकर सवाल उठने लगे हैं...
नई दिल्ली:
सरोवर नगरी के नाम से विश्व प्रसिद्ध नैनीताल की खूबसूरती हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करती रही है। लेकिन अब उसी नैनीताल के अस्तित्व को लेकर सवाल उठने लगे हैं... नैनीताल में बढ़ते भूस्खलन के चलते ऐसा कहा जाने लगा है क्या भविष्य में नैनीताल इतिहास बन जाएगा.... क्यों नैनीताल को लेकर यह हालात बने हुए हैं देखिए इस स्पेशल रिपोर्ट में......साल 1891 में अंग्रेज व्यापारी पीटर बैरन ने नैनीताल की खोज करके उसको सबके सामने रखा था। नैनीताल की खूबसूरती से अंग्रेज अफसर इतने प्रभावित हुए उन्होंने 1842 में नैनीताल को अपनी ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाया था। अंग्रेज इसे छोटी विलायत भी कहते थे। लेकिन अपनी खूबसूरती के लिए अलग पहचान रखने वाला नैनीताल आज अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है नैनीताल में बड़े पैमाने पर जिस तरह भूस्खलन हो रहे हैं उसे भविष्य में नैनीताल को लेकर चिंताएं बढ़ने लगी है।
नैनीताल में सालों से सबसे बड़ी चिंता बना बलिया नाला में एक बार फिर से तेजी से भूस्खलन शुरू हो गया है ऐसे में इस क्षेत्र में रहने वाले लोगों के लिए चिंताएं बढ़ने लगी हैं। बलिया नाला के किनारे रहने वाले स्थानीय लोगों का कहना है कि इस समस्या का स्थाई समाधान किसी भी सरकार ने नहीं किया सिर्फ बरसातों में यहां के लोगों को शिफ्ट कर दिया जाता है जब की स्थिति तो यह है किस का स्थाई समाधान होना चाहिए।
नैनीताल के लिए बलिया नाला ताल की जड़ की तरह है। क्योंकि अगर क्षेत्र में भूस्खलन बढ़ता रहेगा तो वह ताल के साथ-साथ राजभवन तक को अपनी चपेट में ले सकता है ऐसे में अगर इसका कोई स्थाई समाधान नहीं हुआ तो आने वाले कुछ सालों में क्षेत्र का नक्शा बदल जाएगा अपनी खूबसूरती के लिए अलग पहचान रखने वाला नैनीताल कहीं ना कहीं बर्बादी की ओर बढ़ रहा है। नैनीताल के बलियानाला क्षेत्र में राजकीय इंटर कॉलेज का आधा फुटबॉल ग्राउंड भूस्खलन की चपेट में आ चुका है जिससे जिस से बड़ा नुकसान हो सकता है।
नैनीताल में बढ़ते भूस्खलन को लेकर नैनीताल के जानकार लोगों का कहना है कि ऐसा पहली बार नहीं है जब नैनीताल में भूस्खलन हो रहा है सरकारों की इच्छाशक्ति की कमी रही है कि उन्होंने उसके ट्रीटमेंट को लेकर कभी नहीं सोचा । नैनीताल के वरिष्ठ पत्रकार राजीव लोचन साह बताते हैं की अंग्रेजों ने नैनीताल के संरक्षण और इसके बचाव के लिए काफी प्रयास किए लेकिन अब लोगों की महत्वाकांक्षा और बढ़ते पर्यटन की वजह से भी इसे नुकसान हो रहा है।
नैनीताल से भवाली रोड पर पहुंचने से बलिया नाला का भूस्खलन सीधे तौर पे दिखता है कि कितने बड़े क्षेत्र को अपनी चपेट में ले चुका है। इन तस्वीरों में आप देख सकते हैं कि किस तरह से बलिया नाला का भूस्खलन आगे की ओर बढ़ रहा है और ऐसे में यह नैनीताल के ताल की जड़ तक अगर पहुंचेगा तो ताल के अस्तित्व को ही खत्म कर देगा।
नैनीताल की झील इसकी खूबसूरती में चार चांद लगाती है लेकिन पिछले कुछ सालों से ऐसा लगता है कि नैनीताल की झील को नजर लग गई है कभी भूस्खलन तो कभी झील के ओवर फ्लो से नैनीताल को नुकसान होता रहा है। नैनीताल के निवासी और नैनीताल के जानकार कमल जगाती का कहना है की अंग्रेजों ने जिस तरह से नैनीताल का संरक्षण किया था ऐसा ध्यान सरकार और प्रशासन नहीं दे रहा है। नैनीताल का पूरा पर्यटन नैनीताल की खूबसूरत झील है। अगर झील खत्म हो जाएगी तो यह पर्यटन भी खत्म हो जाएगा इसलिए प्रशासन को वक्त रहते काम करने की जरूरत है।
अंग्रेजों ने जिस नैनीताल को अपने बच्चे की तरह पाला उसके संरक्षण के लिए बहुत सारे काम किए लेकिन आज प्रशासन की अनदेखी और पर्यटन की असीमित चाह मैं नैनीताल को बर्बाद करने में कोई कमी नहीं छोड़ी है वक्त रहते अगर हम नहीं समझे तो नैनीताल एक इतिहास बनकर रह जाएगा।
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