झील की खुदाई के वक्त मिली ब्रिटिशकाल की नाव, 50 साल पहले दब गई थी मलबे में
उत्तराखंड के चमोली के निजमुला गांव में लोगों को खुदाई के दौरान दुर्मीताल से एक ब्रिटिश काल की एक नाव मिली है. वर्ष 1970 में दुर्मी गांव में बादल फटने से दुर्मीताल में मौजूद ब्रिटीशकाल की नाव दब गई थी.
चमोली:
उत्तराखंड के चमोली के निजमुला गांव में लोगों को खुदाई के दौरान दुर्मीताल से एक ब्रिटिश काल की एक नाव मिली है. वर्ष 1970 में दुर्मी गांव में बादल फटने से दुर्मीताल में मौजूद ब्रिटीशकाल की नाव दब गई थी. निजमुला गांव के लोगों ने इस नाव को करीब 5 फीट की खुदाई के बाद ढूंढ निकाला है. ब्रिटिश काल की इस नाव को देखने के लिए अब ग्रामीणों का हुजूम उमड़ा रहा है.
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दरअसल, चंमोली के निजमूला गांव में दुर्मीताल के पुनर्निर्माण को स्थानीय लोग खुद आगे आए हैं. स्वतंत्रता दिवस के मौके पर गांवों के लोगों ने दुर्मीताल के पुनर्निर्माण का संकल्प लिया था. खास बात यह रही कि पहले ही दिन खोदाई में ग्रामीणों को ब्रिटिश काल की एक नाव मलबे में दबी मिली. बताया जाता है कि ब्रिटिश काल में दुर्मीताल तकरीबन पांच किमी क्षेत्र में फैला हुआ था. यहां अंग्रेज अफसर नौकायन का लुत्फ उठाया करते थे.
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हालांकि आजादी के बाद भी यह ताल आसपास के गांवों के लोगों के लिए रोजगार का प्रमुख जरिया हुआ करता था. लेकिन 1970 में बादल फटने की घटना के बाद आई आपदा में दुर्मीताल तहस-नहस को गया था. ईरानी गांव के प्रधान मोहन सिंह नेगी का कहना है कि उस आपदा में अंग्रेजों की अधिकांश नाव बह गई थीं तो कुछ मलबे में दब गई थीं.
उत्तराखंड: वर्ष 1970 में दुर्मी गांव में बादल फटने से दुर्मीताल में मौजूद ब्रिटीशकाल की नाव दब गई थी। निजमुला गांव के लोगों ने इस नाव को करीब 5 फीट की खुदाई के बाद ढूंढ निकाला है। pic.twitter.com/l1yasEEmMZ
— ANI_HindiNews (@AHindinews) August 23, 2020
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ग्राम प्रधान मोहन सिंह का यह भी कहना है कि 15 अगस्त को स्थानीय लोगों ने पुनर्जागरण का काम किया था. वर्तमान में ताल की स्थिति अच्छी नहीं है. अगर इसका भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण कराया जाता है और उसमें ताल भूगर्भीय रूप से स्थिर आए तो इस क्षेत्र को आने वाले समय में पर्यटन और रोजगार से जोड़ा जा सकता है.
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