सरकारी खर्चे को कम करने के लिए योगी सरकार ने उठाए ये पांच बड़े कदम
यूपी सरकार ने खर्च में कटौती करने के लिए पुलिस और स्वास्थ्य विभाग के अलावा किसी भी दूसरे विभाग में नया पद बनाने पर रोक लगा दी है
लखनऊ:
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने सरकारी खर्चे को कम करने के लिए बड़ा फैसला लिया है. अब न तो यूपी सरकार के अधिकारी और मंत्री फाइव स्टार होटल में खाना खा पाएंगे और न ही उन्हें अब हवाई जहाज में बिजनेस क्लास का टिकट मिलेगा. यूपी सरकार ने खर्च में कटौती करने के लिए पुलिस और स्वास्थ्य विभाग के अलावा किसी भी दूसरे विभाग में नया पद बनाने पर रोक लगा दी है.
इतना ही नहीं अब यूपी सरकार में चतुर्थ वर्गीय श्रेणी में भी स्थायी नियुक्ति नहीं होगी और अलग-अलग विभागों में सपोर्टिंग स्टाफ की नियुक्ति भी आउट सोर्सिंग के जरिए होगी। नए साल पर अधिकारियों को सरकारी खर्चे पर मिलने वाले डायर, कलेंडर और गिफ्ट पर भी योगी सरकार ने रोक लगा दी है.
इसके लिए मुख्य सचिव अनूप चंद्र पांडेय ने अनुपयोगी पदों को समाप्त करने और सरकारी खर्चो में कटौती को लेकर दिशा-निर्देश जारी किए हैं। मुख्य सचिव अनूप चंद्र पांडेय ने इस संबंध में एक विस्तृत शासनादेश जारी किया है। उन्होंने समस्त अपर मुख्य सचिवों, प्रमुख सचिवों, सचिवों, विभागाध्यक्षों और कार्यालयाध्यक्षों को इन निर्देशों का कड़ाई से पालन करने को कहा है।
उन्होंने कहा है कि चिकित्सा और पुलिस विभाग को छोड़कर अन्य विभागों में नए पद स्वीकार न किए जाएं। चतुर्थ श्रेणी के रिक्त हो रहे पदों पर नियमित नियुक्ति न करने के आदेश जारी कर दिए गए हैं।
मुख्य सचिव ने पांच सितारा होटल में राजकीय भोज आयोजित न करने, सम्मेलन, सेमिनार और कार्यशालाएं होटलों की जगह सरकारी भवनों में करने, सरकारी काम के लिए हवाई यात्रा इकॉनमी क्लास में ही करने को कहा है।
पांडेय ने कहा है कि प्रदेश के संशाधनों का अधिकतम उपयोग विकास कार्यो में करने के लिए प्रशासनिक खर्चों में कमी लाया जाना जरूरी है। इसके लिए शासन ने कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं जिसका कड़ाई से पालन सुनिश्चित कराया जाए।
उन्होंने कहा है कि कई विभागों के कार्यभार में भी कमी आई है। ऐसे में बदले परिवेश में अनुपयोगी पदों को चिह्न्ति कर समाप्त किया जाएं और ऐसे पदों पर कार्यरत कर्मियों को अन्य पदों या अन्य विभागों में समायोजित करने की कार्यवाही प्राथमिकता के साथ की जाए।
मुख्य सचिव का यह आदेश सरकारी विभागों व कार्यालयों के साथ-साथ समस्त सार्वजनिक उपक्रमों, स्थानीय निकायों, स्वायत्तशासी संस्थाओं और प्राधिकरणों पर समान रूप से लागू होगा।
वहीं राज्य सरकार के इस फैसले को विपक्ष ने राजनीतिक स्टंट करार दिया है. विपक्ष ने आरोप लगाया कि नौकरियों और वेतन के लिए योगी सरकार के पास पैसा नहीं है इसलिए यह सब किया जा रहा है.
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