अखिलेश यादव ने सपा के सभी मोर्चों को किया भंग, संगठन में होगा व्यापक फेरबदल
अगस्त के अंतिम सप्ताह या सितंबर की शुरुआत में होने वाले सपा के राष्ट्रीय सम्मेलन के बाद सपा की नई कार्यकारिणी का गठन किया जा सकता है.
लखनऊ:
उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी अपने संगठन में बदलाव के लिए पार्टी के सभी मोर्चा और फ्रंट को भंग कर दिया है. 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों की हार के बाद सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने रविवार को यूपी के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल को छोड़कर सभी पार्टी मोर्चों और इकाइयों को भंग कर दिया. इस बात की जानकारी एसपी के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से साझा की गई. ट्वीट में कहा गया है: “समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव जी ने पार्टी की उत्तर प्रदेश इकाई के अध्यक्ष को छोड़कर, युवा संगठनों, महिला सभा और अन्य सभी प्रकोष्ठों, प्रदेश अध्यक्षों और जिला सहित अन्य सभी इकाइयों और फ्रंटल संगठन को भंग करने का निर्णय लिया है. राष्ट्रीय अध्यक्ष और प्रदेश अध्यक्ष और जिला कार्यकारिणी को तत्काल प्रभाव से भंग कर दिया गया है.
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अखिलेश यादव जी ने तत्काल प्रभाव से सपा उ.प्र. के अध्यक्ष को छोड़कर पार्टी के सभी युवा संगठनों, महिला सभा एवं अन्य सभी प्रकोष्ठों के राष्ट्रीय अध्यक्ष, प्रदेश अध्यक्ष,जिला अध्यक्ष सहित राष्ट्रीय,राज्य, जिला कार्यकारिणी को भंग कर दिया है।
— Samajwadi Party (@samajwadiparty) July 3, 2022
उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, नई समिति में ऐसे नेता होंगे जो 2022 के विधानसभा चुनावों के दौरान बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) जैसे अन्य दलों से अलग हो गए थे. समाजवादी पार्टी 2024 के चुनावों को ध्यान में रखते हुए संगठन में व्यापक फेरबदल करने जा रही है. सूत्रों के अनुसार बसपा से आए नेताओं को अहम जिम्मेदारी दी जाएगी, वहीं दलित, ओबीसी और मुस्लिम समुदाय के नेताओं को अहम पद दिया जाएगा. नई कार्यसमिति में ब्राह्मण और कायस्थ समुदाय के नेताओं को समायोजित करने की भी योजना है.
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पार्टी के एक प्रवक्ता ने कहा कि यह एक बड़ा कदम है जिसे 2024 के संसदीय चुनाव की तैयारियों से जोड़ा जा रहा है. अगस्त के अंतिम सप्ताह या सितंबर की शुरुआत में होने वाले सपा के राष्ट्रीय सम्मेलन के बाद सपा की नई कार्यकारिणी का गठन किया जा सकता है. 403 सदस्यीय यूपी विधानसभा में 400 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा था, उन्हें सिर्फ 111 सीटों से संतोष करना पड़ा.
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