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डिंपल के नामांकन के बाद अब कितनी आसान मैनपुरी की डगर?

मैनपुरी में लोकसभा उपचुनाव के लिए डिंपल यादव ने नामांकन दाखिल कर दिया है. नामांकन के दौरान उनके साथ सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव,राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव,पूर्व सांसद तेज प्रताप यादव मौजूद रहे

Updated on: 14 Nov 2022, 08:12 PM

New Delhi:

मैनपुरी में लोकसभा उपचुनाव के लिए डिंपल यादव ने नामांकन दाखिल कर दिया है. नामांकन के दौरान उनके साथ सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव,राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव,पूर्व सांसद तेज प्रताप यादव मौजूद रहे. हालांकि अनुमान लगाया जा रहा था कि शिवपाल यादव भी इस दौरान साथ रहेंगे लेकिन डिंपल के नामांकन से शिवपाल ने दूरी बनाना ही उचित समझा. इस दौरान अखिलेश यादव ने प्रेस कांफ्रेंस भी की. स्थानीय पत्रकारों ने जब अखिलेश से शिवपाल की अनुपस्थिति पर सवाल पूछा तो अखिलेश ने सवाल को टाल दिया. जब एक और पत्रकार ने यही सवाल किया तो अखिलेश ने कहा अभी सिर्फ प्रस्तावक आए हैं बाद में पूर परिवार एक साथ प्रचार करता नज़र आएगा।

लेकिन शिवपाल की गैर मौज़ूदगी ने सपा समर्थकों को एक संदेश ज़रूर दे दिया कि परिवार में सबकुछ ठीक नहीं है. अब डिंपल के सामने शिवपाल प्रत्याशी तो नहीं उतारेंगे लेकिन क्या उनके लिए वोट मांगते नज़र आएंगे या नहीं ये देखने वाली बात होगी. अब देखना ये भी है कि बीजेपी किसे मैनपुरी से प्रत्याशी बनाती है. कोर कमेटी की बैठक के बाद तीन नाम आलाकमान को भेजे गए हैं और जल्द ही शीर्ष नेतृत्व किसी एक नाम पर निर्णय लेगा. बीजेपी की तरफ से सबसे ज्यादा जिन नामों की चर्चा है वो है प्रेम सिंह शाक्य और अपर्णा यादव.


लेकिन आंकड़ों की मानें तो बीजेपी प्रेम सिंह शाक्य के साथ जा सकती है. दरअसल मैनपुरी में तकरीबन 17 लाख मतदाता हैं. इनमें 9.70 लाख पुरूष और 7.80 लाख महिला मतदाता हैं. 2019 चुनाव में इस सीट पर 58.5 % लोगों ने वोट डाले थे. जिसमें मुलायम सिंह को 524926 वोट मिले थे वहीं बीजेपी प्रत्याशी प्रेम सिंह शाक्य को 430537 वोट मिले थे. मुलायम सिंह यादव ने ये चुनाव 94389 वोटों से जीता था. ऐसे में कड़ी टक्कर देने वाले प्रेम सिंह शाक्य बीजेपी के प्रबल उम्मीदवार माने जा रहे हैं. क्योंकि यादव मतदाताओं के बाद यहां सबसे ज़्यादा शाक्य मतदाता ही हैं. अब देखना ये है कि डिंपल को टक्कर देने के लिए बीजेपी किसे उतारती है.

डिंपल को जहां मुलायम सिंह के निधन के बाद सहानुभूति मिल सकती है. वहीं कई बड़ी चुनौतियों से भी जूझना पड़ेगा. जहां उन्हें पारिवारिक कलह से भी निपटना पड़ेगा वहीं जातीय समीकरणों को भी साधना पड़ेगा. क्योंकि भारतीय जनता पार्टी सारे समीकरण भिड़ा कर डिंपल को हराने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ेगी.