अखिलेश यादव ने किसान आंदोलन-महंगाई को लेकर सरकार पर साधा निशाना
उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने महंगाई और किसान आंदोलन को लेकर मोदी और योगी सरकार पर निशाना साधा है.
लखनऊ:
उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने महंगाई और किसान आंदोलन को लेकर मोदी और योगी सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि भाजपा के कुशासन से समाज का हर वर्ग बुरी तरह त्रस्त है. किसान अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए सड़क पर संघर्ष कर रहे हैं. कृषि विरोधी कानूनों के जरिए किसान को अपनी खेती से बेदखल करने और पूंजी घरानों की मर्जी पर उसकी जिंदगी बंधक बनाने की साजिशों का देशव्यापी विरोध हो रहा है.
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि किसान के साथ जनसामान्य भी तमाम परेशानियों से गुजर रहा है. भाजपा चारों तरफ भ्रम फैलाकर अपना स्वार्थ साधन करना चाहती है पर अब लोग उसमें फंसने वाले नहीं है. आज भी यह स्थिति है कि कर्ज के बोझ तले दबकर किसान आत्महत्या कर रहा है.
पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने आगे कहा कि बांदा में गिरवा थाना क्षेत्र के बरई मानपुर गांव में कर्ज से बदहाल किसान गोविन्द (55) ने फांसी लगाकर अपनी जान दे दी. आजमगढ़ में क्रय केंद्रों पर कभी बोरे की कमी तो कभी धान की उठान न होने से किसान परेशान हैं. शासन-प्रशासन के न्यूनतम समर्थन मूल्य और डेढ़ गुना उत्पादन लागत दिलाने के दावे झूठे साबित हो रहे हैं.
उन्होंने आगे कहा कि डॉ. स्वामी नाथन की सिफारिशें भी लागू नहीं की गई. तथाकथित कृषि सुधारों के प्रति अविश्वास घर कर गया है. अब किसान अपनी समस्याओं का तत्काल समाधान और जवाब चाहता है. लोकतंत्र में उनके साथ अलोकतांत्रिक व्यवहार क्यों किया जा रहा है? भाजपा सरकार किसानों से लंबी वार्ता षडयंत्र के तहत कर रही है, लेकिन इससे वह आंदोलन को कमजोर नहीं कर पाएगी, क्योंकि देश किसानों के साथ है.
अखिलेश यादव ने आगे कहा कि भाजपा सरकार में पेट्रोल-डीजल के साथ रसोई गैस के दाम भी बड़ी तेल कंपनियों की मनमर्जी से जब तब बढ़ा दिए जाते हैं. अभी रसोई गैस के दामों में 50 रुपये की वृद्धि हो गई है. यह गरीब जनता पर एक और आर्थिक अत्याचार है. अपनी तिजोरी भरने में लगी सरकार को गरीबी रेखा से नीचे गुजर बसर करने वालों की चिंता नहीं. जब भाजपा सरकार मंहगाई कम नहीं कर सकती तो कम से कम बढ़ाए तो नहीं.
उन्होंने कहा कि जनता को अच्छे दिनों का सपना दिखाया गया, लोग अब उसकी व्यर्थता से परिचित होकर जागरूक हो गए हैं. मुख्यमंत्री के ठोको, राम नाम सत्य है जैसे जुमलों का जब कोई असर नहीं दिखाई दिया तो वह फिल्मी दुनिया की रंगीनी दिखाने में लग गए हैं. वैसे भी बहुरंगी बड़े मानसिक क्षितिज की उम्मीद रखने वाली फिल्म सिटी इंडस्ट्री आज एकांगी और संकीर्ण सोच वाली सत्ता को स्वीकार्य नहीं हो सकती है. कल को यही भाजपाई फिल्म के विषय, भाषा, पहनावे एवं दृश्यों के फिल्मांकन पर भी अपनी पाबंदियां लगाने लगेंगे.
सपा अध्यक्ष ने आगे कहा कि सच बात तो यह है कि भाजपा स्वयं अपने कामों और आचरण से रोज-ब-रोज अप्रासंगिक होती जा रही है. उसकी सोच और कार्यप्रणाली दोनों संकीर्ण है और समाज के हितों के विरोध में है. वह विकास और सामाजिक सौहार्द के बजाये नफरत की राजनीति करती है. भाजपा सरकार के अब दिन ही कितने रह गए हैं. फिर लंबी-लंबी बातें करने का क्या फायदा? भाजपा शायद यह समझती है कि वह अनंतकाल तक अपने षड्यंत्र के जाल में फंसा सकती है? अखिलेश यादव के बयान को सपा मुख्य प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने फेसबुक में पोस्ट किया है.
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