रास्तों की तलाश में बागी विधायको वाली शिवसेना, कोर्ट जाने के साथ साथ MNS से भी शुरु की बात
पिछले 20 जून की शाम से शुरु हुआ महाराष्ट्र का सियासी ड्रामा खत्म होने के बजाय हर दिन नए मोड़ ले रहा है । राज्य सरकार और शिवसेना के कई बार मनाने के बाद भी एकनाथ शिंदे और उनके समर्थक झुकने और वापस आने के लिए तैयार नहीं हैं
नई दिल्ली:
पिछले 20 जून की शाम से शुरु हुआ महाराष्ट्र का सियासी ड्रामा खत्म होने के बजाय हर दिन नए मोड़ ले रहा है । राज्य सरकार और शिवसेना के कई बार मनाने के बाद भी एकनाथ शिंदे और उनके समर्थक झुकने और वापस आने के लिए तैयार नहीं हैं बल्कि शिंदे समर्थकों की संख्या लगातार बढती जा रही है । अब तक शिंदे गुट में शिवसेना कोटे के 9 मंत्री जिसमें शिवसेना और उनके समर्थक कुल मिलाकर 9 मंत्री हो चुके हैं
शिवसेना कोटे के अधिकतर मंत्री एकनाथ शिंदे के साथ एकनाथ शिंदे, नगर विकास मंत्री, उदय सामंत उच्च शिक्षा मंत्री, दादा भुसे कृषि मंत्री, गुलाब राव पाटिल, जल आपूर्ति मंत्री संदीपान भुमरे, रोजगार गारंटी योजना मंत्री, अब्दुल सत्तार राज्यमंत्री, बच्चूकडू राज्यमंत्री, शंभूराजे देशाई राज्यमंत्री, राजेन्द्र यद्रावकर राज्यमंत्री शामिल हैं । इधर नाराज विधायको के वापस ना लौटते देख शिवसेना ने कानूनी दांवपेंच इख्तियार करना शुरु कर दिया है । शिंदे समर्थक विधायको की संख्या कम करने के लिए शिवसेना की तरफ से 16 विधायको की सदस्यता समाप्त करने के लिए विधानसभा उपाध्यक्ष के पास लिखित आवेदन दिया जिसके बाद एडवोकेट जनरल से कानूनी सलाह के बाद उपाध्यक्ष नरहरि झिरवल ने 16 विधायको को सोमवार शाम पांच बजे तक पेश होने की बात कही और ना आने पर सदस्यता समाप्त करने के संकेत दिए । महाविकास अघाड़ी और शिवसेना - शरद पवार के चक्रव्यूह में फंसता देख शिंदे समर्थक विधायको ने नरहरि झिरवल से एक सप्ताह का समय मांगा और मामले को सुप्रीम कोर्ट लेकर चले गए हैं ।
जिसके बाद शिवसेना की तरफ से अपने खेमे से बागी हुए विधायको ने सुप्रीम कोर्ट से अलग पार्टी ना बना पाने की सूरत में MNS से भी बात करना शुरु कर दिया है । शिंदे समर्थको का मानना है कि अगर उन्हें शिवसेना का हक नही मिलता है तो वो हिंदुत्व के मुद्दे पर NMS में शामिल हो सकते हैं जिससे उनके उपर दल बदल कानून लागू नही होगा और सरकार अल्पमत में आ जाएगी जिससे सरकार गिरने के बाद बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बना सकते हैं । हालाकि अब तक बीजेपी ने इस पूरे संकट को शिवसेना का आंतरिक मामला बताते हुए अपना पल्ला झाड़ लिया है लेकिन जिस तरीके से नेता प्रतिपक्ष देवेंद्र फडणवीस की एकनाथ शिंदे से और अमित शाह से बात हुई उससे खेल स्पष्ट हो गया है कि आने वाले समय में बीजेपी और शिंदे गुट एकसाथ आ कर सरकार बना सकते हैं
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