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Good News: अब सिर्फ 30 रुपये में कोरोना के मरीजों का हो सकेगा टेस्ट, मुंबई के एक डॉक्टर ने किया बड़ा दावा

देश भर में हो रहे मज़दूरों के पलायन के बाद कोरोना के फैलने का खतरा और ज्यादा बढ़ गया है. वहीं कोरोना टेस्ट किट की कमी और उनके महंगे होने की वजह से सरकार ज्यादातर संदिग्धों का कोरोना टेस्ट नहीं कर पा रही है.

Updated on: 26 May 2020, 04:38 PM

मुंबई:

एक तरफ जहां देश भर में कोरोना (Corona kit) के किट की कमी के कारण दूसरे देशों की तुलना में तेज़ी से टेस्ट नहीं हो पा रहे हैं, वही दूसरी तरफ मुंबई के एक MBBS डॉक्टर ने दावा किया है कि कोरोना के मरीजों की पहचान एक ऐसे किट से हो सकती है जिस किट की हमारे देश में कोई कमी नही है. इस किट का इस्तेमाल करके महज 30 रुपये में कोरोना के मरीजों (Patient) की पहचान हो सकती है. देश भर में हो रहे मज़दूरों के पलायन के बाद कोरोना के फैलने का खतरा और ज्यादा बढ़ गया है. वहीं कोरोना टेस्ट किट की कमी और उनके महंगे होने की वजह से सरकार ज्यादातर संदिग्धों का कोरोना टेस्ट नहीं कर पा रही है.

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42 साल से प्रैक्टिस कर रहे डॉक्टर सतीशचंद्र शेनॉय का दावा

लेकिन मुंबई के एक डॉक्टर ने जो दावा किया है उसकी मानें तो आने वाले दिनों में कोरोना के मरीजों की पहचान बहुत ही सरल तरीके से हो पाएगी और इस टेस्ट की लागत सिर्फ 30 रुपये है. मुंबई के गोरेगांव इलाके में 42 साल से प्रैक्टिस कर रहे डॉक्टर सतीशचंद्र शेनॉय की मानें तो टाइफाइड की जांच के लिए जिस किट का इस्तेमाल होता है उसी किट से कोरोना के मरीजों की पहचान की जा सकती है. डॉक्टर शेनॉय ने 50 मरीजों का एक डाटा तैयार किया है जिनका widal टेस्ट किया गया और बाद में उन मरीजों का कोविड-19 टेस्ट भी किया गया. चौंकाने वाली बात ये है कि जिन 50 लोगों का Widal टेस्ट पॉजिटिव आया, उनमें से 39 लोगों का कोविड-19 टेस्ट भी पॉजिटिव आया है.

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टाइफाइड की जांच के लिए विडाल स्लाइड टेस्ट किया जाता

बता दें की टाइफाइड की जांच के लिए विडाल स्लाइड टेस्ट किया जाता है. इस टेस्ट में ब्लड सैंपल से निकाले गए सीरम को लेकर चार तरह के रीजेंट के साथ मिक्स किया जाता है. जिसकी मदद से मरीजों में टाइफाइड के टाइप को समझा जाता है. इस टेस्ट में डॉक्टर तब चौंक गए जब टेस्ट के दौरान ज्यादातर मरीजों का एंटीजन AH और BH पॉजिटिव आया. इससे अनुमान लगाया जा रहा है कि कोविड के जीनोटाइप और टाइफाइड के जीनोटाइप में सामान्यता हो सकती है. जिसके लिए डॉक्टर इस विषय पर सरकार का ध्यान आकर्षित करना चाहते हैं. टाइफाइड के टेस्ट और कोविड के टेस्ट को इसलिए भी जोड़कर देखा जा रहा है.

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इस वायरस के लक्षण में भी कई नए बदलाव दिखने लगे हैं

क्योंकि एज़ीथ्रोमायसिन नाम की जो दावा कोविड-19 के मरीजों को दिया जा रहा है, वहीं दवा टाइफाइड के मरीजों को भी दिया जाता है. गुजरते समय के साथ कोरोना वायरस अपने रंग बदल रहा है. इस वायरस के लक्षण में भी कई नए बदलाव दिखने लगे हैं. जानकारों की मानें तो आने वाले कुछ महीनों में भारत में कोरोना का कहर और तेज़ी से फैलने वाला है. ऐसे में अगर टाइफाइड के किट से कोरोना के मरीजों की पहचान हो सकती है, तो फिर ये एक बड़ी उपलब्धि साबित होगी. क्योंकि टाइफाइड के किट की मैन्यूफैक्चरिंग हमारे देश में बड़े पैमाने पर होती है. ऐसा होने से ना सिर्फ कम खर्च में कोरोना के मरीजों की पहचान हो पाएगी. साथ ही बड़ी तादाद में मरीजों का टेस्ट भी करना मुमकिम होगा.