MP Political Crisis: कर्नाटक हाईकोर्ट ने दिग्विजय सिंह की याचिका खारिज की
16 फरवरी को फ्लोर टेस्ट नहीं होने पर पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सीएम कमलनाथ के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी और जल्द से जल्द फ्लोर टेस्ट कराने की मांग की थी
नई दिल्ली:
मध्य प्रदेश में जारी सियासी संकट के बीज फ्लोर टेस्ट के मसले पर आज यानी बुधवार को सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला सुनाएगी. दरअसल 16 फरवरी को फ्लोर टेस्ट नहीं होने पर पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सीएम कमलनाथ के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी और जल्द से जल्द फ्लोर टेस्ट कराने की मांग की थी. सुप्रीम कोर्ट ने इस मसले पर सभी पक्षकारों को नोटिस भेजते हुए 18 मार्च यानी आज तक के लिए सुनवाई टाल दी थी. वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. मध्य प्रदेश कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर बीजेपी पर 16 विधायकों के अपहरण का मामला दर्ज किया है. कांग्रेस ने अपनी अर्जी में बेंगलुरु में मौजूद अपने विधायकों को छोड़ने की अर्जी दी है
कर्नाटक उच्च न्यायालय ने कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह की याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें पुलिस को निर्देश दिया गया कि वह बागी मध्य प्रदेश के कांग्रेस विधायकों से मिलने की अनुमति दें, जो बेंगलुरु में बंद हैं.
Karnataka High Court rejects the plea by Congress leader Digvijaya Singh seeking directions to the police to allow him to meet rebel Madhya Pradesh Congress MLAs who are lodged in Bengaluru. https://t.co/y6GwHjfLYz
— ANI (@ANI) March 18, 2020
सिंघवी, सिब्बल दोनों ने इसका विरोध किया. उन्होंने कहा कि इस्तीफे स्वीकार किए जाने की सूरत में विधायक खुद ब खुद अयोग्य हो जाएंगे. कोर्ट ने सिंघवी से पूछा कि अगर विधायक कल आपके सामने पेश होते हैं, तो क्या आप इनका इस्तीफा स्वीकार करेंगे. बागी विधायकों के वकील मनिंदर सिंह ने विरोध किया. कहा- हम स्पीकर के सामने पेश नहीं हो सकते हैं. हमारी सुरक्षा को खतरा है.
जज ने स्पीकर के वकील सिंघवी से कहा- आप विधायकों के इस्तीफे पर फैसला क्यों नहीं ले रहे. स्वीकार करने की स्थिति में वो ख़ुद ब खुद अयोग्य हो जाएंगे और अगर आप संतुष्ट नहीं है तो इस्तीफे खारिज कर सकते हैं. आपने 16 मार्च को बजट सत्र स्थगित कर दिया. अगर बजट ही नहीं पास होगा तो सरकार कैसे काम करेगी.
स्पीकर की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी अभी पक्ष रख रहे हैं. उन्होंने कहा कि अहम बात ये है कि ये कोई नई विधानसभा नहीं है. 18 महीने से ये सरकार वजूद में है और इस कोर्ट को विधानसभा की कार्यवाही संचालन के स्पीकर के अधिकार में कोई दखल नहीं देना चाहिए और बिना विधानसभा के नियमों की तह में जाए गवर्नर कैसे स्पीकर के अधिकार में दखल दे सकता है. अगर गवर्नर का ऐसे ही दखल जारी रहा तो फिर तो कोई भी विधानसभा काम नहीं कर पाएगी. इस सरकार के खिलाफ 3 अविश्वास प्रस्ताव पहले ही फेल हो चुके हैं.
मनिंदर सिंह ने कहा कि कोर्ट स्पीकर को निर्देश दे कि वो इस्तीफे को स्वीकार करे. उन्होंने आगे कहा कि हमारा भी मानना है कि ये सरकार बहुमत खो चुकी है, तुरंत फ्लोर टेस्ट होना चाहिए.
मनिन्दर सिंह ने कहा कि इस्तीफा देना किसी विधायक का अधिकार है. हमने वैचारिक मतभेद के चलते इस्तीफे दिए हैं. क्या कोर्ट इस तह में जा सकता है कि हमने इस्तीफे क्यों दिए, लेकिन सवाल ये है कि क्या इस्तीफे पर फैसले को लेकर स्पीकर सेलेक्टिव हो सकते हैं. क्या वो कह सकते है कि वो कुछ पर फैसला लेंगे, कुछ इस्तीफे पर नहीं लेंगे.
बागी विधायकों की ओर से जिरह प्रारंभ करते हुए मनिंदर सिंह ने कहा, सभी 22 विधायकों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि वो अपनी मर्जी से इस्तीफा दे रहे हैं. उन्होंने बाकायदा हलफनामा दाखिल किया है. हम सबूत के तौर पर कोर्ट में CD जमा करने को तैयार हैं. जब बागी विधायक भोपाल में आकर कांग्रेस नेताओं से मिलना ही नहीं चाहते तो उन्हें इसके लिए कैसे मज़बूर किया जा सकता है.
मुकुल रोहतगी ने कर्नाटक और महाराष्ट्र के मामलों में फ्लोर टेस्ट के लिए दिए सुप्रीम कोर्ट के पुराने आदेशों का हवाला दिया. उनकी जिरह पूरी हो गई.
मुकुल रोहतगी ने कहा, कोर्ट की सन्तुष्टि के लिए इन विधायकों की जज के चैम्बर में परेड कराई जा सकती है. कर्नाटक HC के रजिस्ट्रार जनरल उनसे मिलकर वीडियो बना सकते हैं. हालांकि जजों ने इससे इनकार किया.
जस्टिस चंद्रचूड़ ने फिर से अपना सवाल दोहराते हुए कहा, हम कैसे तय करें कि विधायकों ने जो हलफनामे दिए हैं वो मर्जी से दिए गए है या नहीं? कोर्ट TV देखकर तय नहीं कर सकता. हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि विधायक दबाव में हैं या नहीं.
रोहतगी ने CM कमलनाथ को लिखे गवर्नर लालजी टंडन के खत का हवाला देते हुए कहा- गवर्नर ने इस खत में साफ किया है कि कमलनाथ सरकार बहुमत खो चुकी है.
जस्टिस चन्दचूड़ ने कहा, हम कैसे इसकी पुष्टि करें कि विधायक अपनी मर्जी से फैसले ले पा रहे हैं या नहीं.
मुकुल रोहतगी ने कहा- एक वीडियो में विधायक कह रहे हैं कि उन पर कोई दबाव नहीं है. वह अपनी मर्ज़ी से बंगलुरू में हैं. अगर कोई सीएम फ्लोर टेस्ट से बच रहा हो तो यह साफ संकेत है कि वह बहुमत खो चुका है. राज्यपाल को बागी विधायकों की चिट्ठी मिली थी. उन्होंने सरकार को फ्लोर पर जाने के लिए कहकर वहीं किया, जो उनकी संवैधानिक ज़िम्मेदारी है.
जस्टिस चंद्रचूड़ बोले, सवाल यह है कि क्या कोर्ट विधायकों को भोपाल आने को कह सकता है? हम यही कर सकते हैं कि देखें कि वह लोग स्वतंत्र निर्णय ले पा रहे हैं या नहीं.
BJP के वकील रोहतगी की दलील- अनुच्छेद 356 के तहत राष्ट्रपति शासन की सिफारिश भेजने से पहले राज्यपाल को सभी संभावित विकल्पों पर विचार करना होता है.
जस्टिस चन्दचूड़ ने कहा- स्पीकर विधायक के इस्तीफे पर विचार करने के बाद ही फ़ैसला लेंगे. (इस्तीफा genuine है या नहीं). यह कोई जज का इस्तीफा नहीं कि वो खुद अपनी मर्जी से इस्तीफा दे रहे हैं.
मुकुल रोहतगी : गवर्नर किसी भी राज्य का सवैंधानिक प्रमुख होता है. किसी राज्य का काम कैसे सुचारु रूप से चले, यह देखना गवर्नर का दायित्व है. यह सत्ता की ही भूख है कि एक CM जो बहुमत खो चुका है, जिसे एक दिन भी सत्ता में बने रहने का हक नहीं है, वो चाहता है कि वो उसे छह महीने मिल जाए. फिर से चुनाव हो और फ्लोर टेस्ट उसके बाद हो. वे एक दिन भी सत्ता में बने रहने लायक नहीं हैं.
बीजेपी के अधिवक्ता मुकल रोहतगी ने दोनों अधिवक्ताओं की इस मांग का विरोध करते हुए कोर्ट से आज ही अंतरिम आदेश पारित करने की मांग की. रोहतगी ने कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए कहा- कांग्रेस वो पार्टी है, जिसने 1975 में इमरजेंसी लगाई थी. यह पार्टी किसी भी तरह से बस सत्ता में आना चाहती है. MLAs ने अपनी मर्जी से इस्तीफा दिया है. वो अगर चुनाव फिर से लड़ना चाहते हैं तो उनकी मर्जी. यह डिफेक्शन का कोई केस ही नहीं है.
दुष्यंत दवे ने कहा, कोर्ट नोटिस जारी करे और किसी और दिन सुनवाई करे. उनकी इस मांग का स्पीकर की ओर से पैरवी कर रहे सिंघवी ने भी समर्थन किया. उन्होंने जवाब दाखिल के लिए और वक्त देने की मांग की.
दवे ने कहा, कोई आसमान नहीं गिर पड़ा है कि राज्य सरकार को तुरंत हटाकर शिवराज सिंह को गद्दी पर बैठा दिया जाए.
दुष्यंत दवे ने दलील दी- इस स्टेज पर फ्लोर टेस्ट की इजाजत नहीं दी जा सकती. राज्यपाल को फ्लोर टेस्ट का आदेश नहीं देना चाहिए था. जो विधायक इस्तीफा दे रहे हैं, वो चुनाव में जनता के बीच जाएं. इस पर जस्टिस हेमंत गुप्ता ने टिप्पणी की- वही तो कर रहे हैं. फिर चुनाव लड़ना चाहते हैं.
दवे ने कहा- डिफेक्शन तब भी होता है, जब विधायक इस्तीफे देते हैं, ना कि सिर्फ जब वो दूसरी पार्टी में शामिल होते हैं. जिस विधायक को चुना गया है, वो यूं ही इस्तीफा देकर अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकता.
दवे ने जिरह करते हुए कहा- सबसे बुनियादी सवाल यह है कि क्या गवर्नर फ्लोर टेस्ट का आदेश दे सकते हैं? वो ये तय करने वाले कौन होते हैं कि फ्लोर टेस्ट कब होगा? दवे ने 10th शेड्यूल का हवाला दिया तो जस्टिस हेमंत गुप्ता ने उन्हें टोकते हुए कहा, हम 10th शेड्यूल पर अभी बात नहीं कर रहे हैं.
इस पर सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, स्पीकर ने पहले मंत्री के रूप में इस्तीफे स्वीकार किये और बाद में MLAs के रूप में. BJP की ओर से पैरवी करते हुए वकील मुकुल रोहतगी ने कहा, यह समय टालने की एक कोशिश भर है. इसी कोर्ट ने एक राज्य के मामले में आधी रात को सुनवाई की थी.
दवे ने कहा, स्थाई सरकार संविधान का बेसिक फीचर है. इसलिये 5 साल का वक़्त दिया जाता है. गवर्नर को कोई अधिकार नहीं है कि वो रात को CM या स्पीकर को निर्देश दे. कोर्ट ने पूछा- अभी तक कितने इस्तीफे स्वीकार हुए हैं. इस पर कोर्ट को बताया गया कि 6 इस्तीफे स्वीकार कर लिए गए हैं.
दवे ने कहा, बिना सभी विधायकों की मौजूदगी के फ्लोर टेस्ट नहीं हो सकता. अगर 22 विधायकों के इस्तीफे स्वीकार हो जाने के बाद वो सीटें खाली हो जाती हैं, तो बहुमत परीक्षण तब तक नहीं हो सकता है जब तक कि उन 22 सीट के प्रतिनिधि सदन में मौजूद नहीं हों. इसके लिए उपचुनाव के जरिये 22 सीटो पर विधायक चुने जाना ज़रूरी है.
गवर्नर के रुख पर भी सवाल उठाते हुए दवे ने कहा, क्या एक गवर्नर से ऐसे काम की अपेक्षा की जाती है! वो पहले से ही यह मानकर चल रहे हैं कि सरकार बहुमत खो चुकी है लेकिन बिना किसी को सुने वो कैसे इस नतीजे पर पहुंच सकते हैं.
दवे ने कहा- बीजेपी जिम्मेदार पार्टी है, क्या एक जिम्मेदार पार्टी से यह उम्मीद की जाती है कि वो MLAs का अपहरण करे. कल जहां ये सत्ता में नहीं होंगे, वहां के विधायकों को किडनैप करेंगे और फ्लोर टेस्ट के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख करेंगे.
कांग्रेस की ओर से दवे ने मांग की कि कोर्ट 16 विधायको के इस्तीफे को लेकर कोई अंतरिम आदेश पास न करे और मामला आगे विचार के लिए संविधान पीठ को सौंप दिया जाए.
दवे ने कहा, कांग्रेस मुक्त भारत पीएम नरेंद्र मोदी का सपना है लेकिन क्या सभी विधायकों की गैरमौजूदगी में फ्लोर टेस्ट की इजाजत दी जा सकती है.
मुकुल रोहतगी दरअसल कुछ बोलना चाहते थे. इस पर दवे ने कहा कि आप 50 मिनट लेट से आ रहे हैं और फिर खुद को टॉप लॉयर (वकील) बताते हैं. दवे ने कहा, बीजेपी लोकतांत्रिक ताने-बाने को खत्म करनॉ चाहती है. स्पीकर को देखने दीजिए कि इस्तीफा genuine है या नहीं. इसके लिए उन्हें वक़्त दिया जाना चाहिए. जब गुजरात MLa बेंगलुरू शिफ्ट किए गए, बीजेपी ने CRPF का इस्तेमाल किया, IT रेड कराई.
दवे ने कहा, कांग्रेस को चुनाव में 114 सीटें मिलीं जबकि बीजेपी को 109. लोगों ने कमलनाथ सरकार पर उसी दिन विश्वास जता दिया था. राज्य में 18 माह से अस्थायी सरकार काम कर रही है. इस दौरान दवे की मुकल रोहतगी से तीखी नोकझों हुई.
दवे ने कोर्ट से जवाब देने के लिए और वक्त दिये जाने की मांग करते हुए कहा, आसमान नहीं गिर जाएगा, अगर कोर्ट आज सुनवाई नहीं करता. इस मामले में बागी विधायकों की ओर से मनिदर सिंह पेश हो रहे हैं. उन्होंने कहा, किसी विधायक का अपहरण नहीं किया गया. इस पर दवे ने कहा, MLA से उम्मीद की जाती है कि वो चुनकर आने के बाद अपने इलाके की सेवा करे न के इस्तीफा दे दे.
मध्यप्रदेश मामले में कांग्रेस की ओर से दुष्यंत दवे जिरह कर रहे हैं. अभी कांग्रेस की उस याचिका पर सुनवाई हो रही है, जिसमें उसने BJP पर 16 विधायकों के किडनैपिंग का आरोप लगाया था.
इसी बीच सीएम कमलनाथ की ओर से पेश वकील सिब्बल ने जवाब देने के लिए वक्त मांगा है. कोर्ट ने उन्हें वक्त देते हुए कहा कि वो दूसरे मामलो के बाद इस पर सुनवाई करेगा.
दिग्विजय सिंह और अन्य नेताओं को अब बेंगलुरु के अमृताहल्ली पुलिस स्टेशन से बाहर निकाला जा रहा है. उन्होंने कहा हैं, 'मुझे नहीं पता कि मुझे कहां ले जाया जा रहा है. मुझे अपने विधायकों से मिलने की अनुमति दी जानी चाहिए. मैं एक कानून का पालन करने वाला नागरिक हूं। सरकार भी बचाएंगे और हमारे विधायकों को भी वापस लाएंगे
Digvijaya Singh & other leaders are now being taken out of Amruthahalli Police Station in Bengaluru. He says, "I don't know where am I being taken. I should have been allowed to meet my MLAs. I am a law-abiding citizen. Sarkar bhi bachaenge aur hamare MLAs ko bhi wapas laenge." https://t.co/tGfWcXdRIn pic.twitter.com/aWIxuxFywK
— ANI (@ANI) March 18, 2020
कांग्रेस नेता सचिन यादव और कांतिलाल भूरिया को एहतियातन हिरासत में रखा गया है.
#MadhyaPradesh Congress leaders Sachin Yadav and Kantilal Bhuria have also been placed under preventive arrest. https://t.co/z1X1IcDwyk
— ANI (@ANI) March 18, 2020
कर्नाटक के कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने कहा, राज्य की बीजेपी सरकार सत्ता का गलत इस्तेमाल कर रही है. हमारी खुद की राजतिनीतिक रणनीति है. हमें पता है कि स्थिति को कैसे नियंत्रित करना है.वो यहां अकेले नहीं है. मैं यहां हुं. मुझे पता है कि उसे कैसे सपोर्ट करना है. लेकिन मैं कर्नाटक में कानून और व्यवस्था की स्थिति नहीं बनाना चाहता
दिग्विजय सिंह ने कहा, हम उम्मीद कर रहे थे कि वो वापस आएंगे, लेकिन जब हमने देखा कि उन्हें रोक लिया गया है तो उनके परिवार से हमें संदेश मिले. मैनें 5 विधायकों से निजी तौर पर बात की. उन्होंने बताया कि हमें बंदी बना लिया गया है, फोन छीन लिए गए हैं. हर कमरे के सामने पुलिस तैनात है. 24/7 उन पर नजर रखी जा रही है.
Digvijaya Singh: We were expecting them to come back, but when we saw they're being held back, messages came from their families...I personally spoke to 5 MLAs, they said they're captive, phones snatched away, there is Police in front of every room. They're being followed 24/7. https://t.co/G0QknzQ3Dp pic.twitter.com/enwv1qv6dK
— ANI (@ANI) March 18, 2020
दिग्विजय सिंह को एहतियातन हिरासत में ले लिया गया है. दरअसल वह बागी विधायकों को मनाने के लिए बेंगलुरु पहुंचे थे. पुलिस ने उन्हें रोका तो वह धरने पर बैठ गए थे
#WATCH Karnataka: Congress leader Digvijaya Singh has now been placed under preventive arrest. He was sitting on dharna near Ramada hotel in Bengaluru, allegedly after he was not allowed by Police to visit it. 21 #MadhyaPradesh Congress MLAs are lodged at the hotel. pic.twitter.com/dP3me4qjw0
— ANI (@ANI) March 18, 2020
कांग्रेस बीजेपी पर 16 बागी विधायकों का अपहरण करने का आरोप लगा रही है. इस बीच कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह बेंगलुरु पहुंचे हैं. पुलिस ने उन्हें विधायकों से मिलने से रोक दिया है जिसके बाद वह धरने पर बैठ गए हैं.
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