Delhi: मुख्य सचिव के बाद अब प्रधान वित्त सचिव ने AAP सरकार का आदेश मानने से किया इन्कार
सर्विसेज मंत्री ने कहा कि जीएनसीटीडी एक्ट का परिणाम है कि कुछ दिनों पहले मुख्य सचिव ने 10 पन्ने की चिट्ठी लिखकर कहा था कि वो चुनी हुई सरकार के आदेशों का पालन नहीं करेंगे.
New Delhi:
दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार के सामने फिर एक बड़ा संकट खड़ा हो गया है. राज्य के मुख्य सचिव के बाद प्रधान वित्त सचिव आशीष चन्द्र वर्मा ने भी दिल्ली सरकार का आदेश मानने से इनकार कर दिया है. प्रधान वित्त सचिव ने इसके पीछे दिल्ली सर्विसेज एक्ट का हवाला दिया है. वित्त सचिव ने अपने 40 पन्नों की चिट्ठी में साफ कहा कि वो चुनी हुई सरकार की बात नहीं मानेंगे और उन्हें यह अधिकार जीएनसीटीडी अमेंडमेंट एक्ट देता है. आपको बता दें कि यह मामला जीएसटी रिफंड के मुद्दे से जुड़ा है. इससे पहले इस मुद्दे को लेकर पहले पूर्व वित्त मंत्री कैलाश गहलोत ने प्रधान वित्त सचिव को सरकार की तरफ से एक वकील नियुक्त कर सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर करने का आदेश दिया था. उसका अनुपालन न होने के बाद मौजूदा वित्त मंत्री आतिशी ने भी यही आदेश दिया था, जिसे प्रधान वित्त सचिव ने मानने से इन्कार कर दिया.
Delhi Services Act gives license to officers to openly rebel against written orders of elected govt. And officers have started refusing to obey orders of elected Ministers. Can any state or country or institution run like this? This Act will ruin Delhi n this is what BJP wants.… https://t.co/vDGNAMPafw
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) August 30, 2023
दिल्ली सरकार को बर्बाद करने का आरोप
वहीं, सीएम अरविंद केजरीवाल ने केंद्र सरकार पर दिल्ली को बर्बाद करने का आरोप लगाया है. उन्होंने ट्वीट कर कहा कि दिल्ली सेवा अधिनियम ने अधिकारियों को चुनी हुई सरकार के लिखित आदेशों का खुले तौर पर विरोध करने का लाइसेंस दे दिया है. यही वजह है कि अधिकारी अब चुनी हुई दिल्ली सरकार के मंत्रियों के आदेशों को मानने से इन्कार करने लगे हैं. उन्होने सवाल खड़ा करते हुए कहा कि क्या कोई राज्य या देश या संस्था इस तरह चल सकती है? सीएम केजरीवाल ने कहा कि यह कानून दिल्ली को बर्बाद कर देगा और भाजपा तो यही चाहती है. इस एक्ट को तुरंत निरस्त किया जाना चाहिए.
दिल्ली में संविधान, लोकतंत्र, संवैधानिक ढांचे की उड़ रही धज्जियां
दिल्ली की सर्विसेज मंत्री आतिशी ने इस पर प्रेस वार्ता करते हुए कहा कि केंद्र सरकार द्वारा दिल्ली पर थोपे गए जीएनसीटीडी एक्ट 2023 के कारण दिल्ली में संविधान, लोकतंत्र, संवैधानिक ढांचे की धज्जियां उड़ रही है. दिल्ली सर्विसेज एक्ट दिल्ली की चुनी हुई सरकार की सारी शक्तियां छीन लेता है. उन्होंने कहा कि देश के संविधान ने भारत को एक लोकतंत्र बनाया है। लोकतंत्र का अर्थ है कि जनता का, जनता के लिए और जनता द्वारा शासन। साथ ही, ट्रिपल चेन ऑफ़ अकाउंटबिलिटी सुनिश्चित होता है, जिसमें अफसरों की जबाबदेही मंत्री के प्रति, मंत्री की जबावदेही विधानसभा के प्रति और विधानसभा की जबावदेही जनता के प्रति होगी. इसे बार-बार सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है कि लोकतंत्र ट्रिपल चेन ऑफ़ अकाउंटबिलिटी से चलता है.
अफ़सरों के बग़ावत की जो बात कही थी वो सच होता हुआ दिख रहा है।
— Atishi (@AtishiAAP) August 30, 2023
दिल्ली में Chief Secretary के बाद, अब Finance Secretary ने भी एक 40 पेज की चिट्ठी लिखकर, चुनी हुई सरकार के आदेश मानने से इंकार कर दिया है।
दिल्ली सर्विसेज़ एक्ट का हवाला देकर,सरकार के तमाम काम रोकने की कोशिश जारी है। https://t.co/OdmU1Nv1NH
सर्विसेज मंत्री आतिशी का वार
सर्विसेज मंत्री आतिशी कहा कि इसी तरह से देश में लोकतंत्र चलता है, लेकिन जीएनसीटीडी एक्ट चुनी हुई सरकार के प्रति अफसरों की जबाबदेही ख़त्म कर देता है. इसका सेक्शन 45जे अफसरों, मुख्य सचिव या किसी विभाग के सचिव को यह शक्ति देता है कि वो चाहे तो चुनी हुई सरकार के मंत्री के आदेश का क्रियान्वयन न करे. सर्विसेज मंत्री ने कहा कि जीएनसीटीडी एक्ट का परिणाम है कि कुछ दिनों पहले मुख्य सचिव ने 10 पन्ने की चिट्ठी लिखकर कहा था कि वो चुनी हुई सरकार के आदेशों का पालन नहीं करेंगे. ये दिल्ली में चुनी हुई सरकार के खिलाफ अफसरों के बगावत की शुरुआत थी और अब दिल्ली के प्रधान वित्त सचिव ने भी 40 पन्ने की चिट्ठी लिखकर साफ़ कह दिया है कि वो चुनी हुई सरकार के मंत्री के आदेश नहीं मानेंगे.
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