दिल्ली HC ने कहा- इन अस्पतालों को अपने ऑक्सीजन प्लांट लगाने चाहिए
दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने कहा कि 100 या 100 से ज्यादा बेड की क्षमता वाले हॉस्पिटल को अपने PSA ऑक्सीजन प्लांट लगाने चाहिए, जिसमें उनकी सामान्य जरूरत से दोगुना ऑक्सीजन उत्पादन की क्षमता हो.
नई दिल्ली:
देश में एक तरफ कोरोना की दूसरी लहर ने कहर बरपा रखा है तो दूसरी तरफ कई राज्यों में ऑक्सीजन की कमी को लेकर हाहाकार मचा हुआ है. इस बीच दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने कहा कि 100 या 100 से ज्यादा बेड की क्षमता वाले हॉस्पिटल को अपने PSA ऑक्सीजन प्लांट लगाने चाहिए, जिसमें उनकी सामान्य जरूरत से दोगुना ऑक्सीजन उत्पादन की क्षमता हो. 50 या 50 से ज्यादा बेड की क्षमता वाले हॉस्पिटल को भी अपने ऑक्सीजन प्लांट लगाने चाहिए, जो रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा कर सके. इस मसले को प्रिंसिपल सेकेट्री हेल्थ देखे.
दिल्ली HC ने कहा कि राजधानी में मेडिकल ऑक्सीजन की कमी के चलते जो कड़वा अनुभव दिल्ली वालों ने झेला है, उससे अस्पतालों को सबक लेने की ज़रूरत है. इसके लिए कोर्ट ने एमिकस क्युरी राजशेखर राव से कहा कि वो एमसीडी के चेयरमैन, DDA, और हॉस्पिटल के प्रतिनिधियों के साथ मीटिंग करें, ताकि बड़े अस्पतालों में ऑक्सीजन की सामर्थ्य को दोगुना किया जा सके.
कोर्ट ने कहा कि MCD और DDA इसके लिए बिल्डिंग नियमों में रियायत देने पर भी विचार करें, क्योंकि अस्पतालों को इसके लिए ज़्यादा स्पेस की ज़रूरत होगी. इस मसले पर कोर्ट ने अगले गुरुवार तक स्टेटस रिपोर्ट दायर करने को कहा है.
कोविड मामलों में लापरवाही पर राजनेताओं, अफसरशाहों को दिल्ली HC की फटकार
दिल्ली के अस्पतालों में कोविड मैनेजमेंट से जुडी याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार को कहा था कि नौकरशाहो और राजनेताओं के लिए अपनी नाकामायबी या गलती का स्वीकार करना बहुत मुश्किल है. ये उनके स्वभाव में नहीं है, लेकिन जमीनी हकीकत क्या है, ये हम देख रहे हैं. दिल्ली HC ने ये टिप्पणी डेल्ही ज्यूडिशियल मेंबर्स एसोसिएशन की ओर से दायर अर्जी पर सुनवाई करते हुए की. अर्जी में न्यायिक क्षेत्र में काम करने वाले लोगों और उनके परिजनों के लिए हर जिले में एक हॉस्पिटल से अटैच्ड, केंद्रीय कोविड केयर सुविधा स्थापित करने की मांग की गई थी.
याचिकाकर्ता की ओर से वकील दयाकृष्णन ने दलील दी कि ज्यूडिशियल अफसरों के लिए अभी की गई व्यवस्था छलावा भर है. कई जिलों में स्थापित ऐसी सुविधा को हॉस्पिटल से नहीं जोड़ा गया है. इसके पहले ऑक्सीजन किल्लत की हॉस्पिटल की कॉल पर नोडल अधिकारी के जवाब नहीं देने की शिकायत पर दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार की खिंचाई की थी. हाई कोर्ट ने कहा था कि बार-बार ऐसी शिकायत आने का मतलब है कि कुछ गड़बड़ है.
ऐसी व्यवस्था बनाने का फायदा क्या, जो हॉस्पिटल को कोर्ट आना पड़े. HC ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा था कि ऑक्सीजन सिलेंडर वेंडर्स ने चीफ सेक्रेटरी के साथ मीटिंग में हिस्सा नहीं लिया. कोर्ट ने दिल्ली सरकार से कहा कि अगर वो आदेश नहीं मान रहे तो उन्हें कस्टडी में लीजिए. आपके पास उनके खिलाफ एक्शन का अधिकार है. इस दौरान हाईकोर्ट ने कहा कि आप से स्थिति नहीं संभल रही तो हमें बताइए, हम केंद्र को संभालने के लिए कहेंगे.
इसके पहले उच्च न्यायालय ने केंद्र को भी ऑक्सीजन आपूर्ति के मामले पर फटकार लगाई थी. 27 अप्रैल की सुनवाई में हाई कोर्ट ने कहा था कि 20 अप्रैल से ये आवंटन हुआ था. लेकिन आज तक एक भी दिन इतनी सप्लाई दिल्ली को नहीं मिली. अगर 490 टन ऑक्सीजन की सप्लाई नहीं हुई तो सम्बन्धित अधिकारियों को अगली तारीख पर पेश होना होगा. हम उनके खिलाफ अदालत की अवमानना की कार्रवाई भी चला सकते है. दिल्ली औद्योगिक राज्य है इसके पास अपने टैंकर नहीं होंगे. लेकिन ये सब व्यवस्था करना केन्द्र सरकार की भी जिम्मेदारी है.
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